Koo App: दुनिया में दिखी भारत की धमक, कू बना दुनिया का दूसरा बड़ा माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफार्म


नई दिल्ली: पीएम मोदी (PM Modi) का सपना साकार हो रहा है। भारत का बहुभाषी माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म, कू ऐप (Koo App), दुनिया के लिए उपलब्ध दूसरे सबसे बड़े माइक्रो-ब्लॉग के रूप में उभर कर सामने आया है। अब इससे आगे सिर्फ ट्विटर से ही पीछे है। इस मंच पर यूजर्स, उनके द्वारा बिताए जाने वाले समय और यूजर्स के जुड़ाव में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।

दुनिया का दूसरा बड़ा प्लेटफार्म
इस समय दुनिया का सबसे बड़ा माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफार्म ट्विटर है। गूगल प्ले स्टोर पर इस समय इसके 100 करोड़ से भी ज्यादा डाउनलोड बताया जा रहा है। इसके बाद मार्च 2020 में लॉन्च किया गया कू ऐप (Koo App) ही नंबर आ गया है। इस लेटफॉर्म ने हाल ही में 5 करोड़ डाउनलोड हासिल किए हैं। कह सकते हैं कि इस समय भारतीय कू ऐप एकमात्र माइक्रो-ब्लॉग है जो ट्विटर, गेट्ट्र, ट्रुथ सोशल, मैस्टडॉन, पार्लर जैसे अन्य वैश्विक माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के साथ टक्कर ले रहा है और यूजर डाउनलोड के मामले में दूसरे स्थान (ट्विटर के बाद) पर पहुंच गया है। यदि इसी तरह से इसकी तरक्की जारी रही तो अगले कुछ साल में ही यह ट्विटर के लिए खतरा बन सकता है। वैसे भी ब्ल्यू टिक के लिए पैसे लेने की घोषणा के बाद ट्विटर के कुछ यूजर्स बिदके हुए हैं।

अमेरिका और यूके समेत 100 से ज्यादा देशों में
कू ऐप सीईओ और सह-संस्थापक (CEO & Co-Founder) अप्रमेय राधाकृष्ण का कहना है कि फिलहाल, कू ऐप संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, सिंगापुर, कनाडा, नाइजीरिया, यूएई, अल्जीरिया, नेपाल, ईरान और भारत सहित 100 से ज्यादा देशों में 10 भाषाओं में उपलब्ध है। लॉन्चिंग के बाद से कू ऐप ने प्लेटफॉर्म पर पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए 7,500+ येलो टिक ऑफ एमिनेंस और एक लाख ग्रीन सेल्फ वेरिफिकेशन टिक दिए हैं। यह ज्यादा से ज्यादा नई वैश्विक भाषाओं को जोड़ने और अधिक देशों में डिजिटल स्वतंत्रता को सक्षम बनाने के लिए काम कर रहा है। कू ऐप फिलहाल हिंदी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, तमिल, तेलुगू, असमिया, बंगाली और अंग्रेजी समेत 10 भाषाओं में उपलब्ध है।

वहां भी जाएंगे जहां शुल्क लिया जा रहा है
कू के सह-संस्थापक मयंक बिदावतका ने कहा, “कू ऐप आज दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा माइक्रो-ब्लॉग है। वैश्विक स्तर पर माइक्रो-ब्लॉगिंग परिदृश्य में हो रहे बदलावों को देखते हुए हम उन भौगोलिक क्षेत्रों तक विस्तार करना चाहते हैं जहां मौलिक अधिकारों के लिए शुल्क लिया जा रहा है। हमारा मानना है कि इंटरनेट पर ऐसे मौलिक उपकरणों की कोई कीमत नहीं होनी चाहिए। एक-दूसरे से सुरक्षित तरीके से जुड़ना और संचार करना या अपनी पहचान साबित करना एक मौलिक अधिकार है। कू ऐप ने हमेशा विशिष्ट शख्सियतों को एक मुफ्त येलो एमिनेंस टिक और हर नागरिक के लिए एक आसान सेल्फ-वेरिफिकेशन टूल प्रदान किया है और ऐसा करना जारी रखेंगे। हम गर्व से इस ‘मेड इन इंडिया’ उत्पाद के लिए एक बड़े वैश्विक तबके को आमंत्रित करने के लिए बहुत उत्साहित हैं।”



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