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कर्नाटक चुनाव 2023 में जनाधार बढ़ाने में कुमारस्वामी की जेडीएस जुटी हुई है। इस बार के चुनाव मेंवीरशैव-लिंगायत वोटों पर नजर-लिंगायत वोटों पर भी उसकी नजर है।
India
oi-Bhavna Pandey
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कर्नाटक
के
पूर्व
मुख्यमंत्री
और
जनता
दल-सेक्युलर
(JDS)
के
नेता
एच
डी
कुमारस्वामी
ने
हाल
ही
में
वीरशैव-लिंगायत
समुदाय
को
लुभाने
के
लिए,वीरशैव
मतदाताओं
से
माफी
मांगी
थी।
मैसूरु
में
वीरशैव-लिंगायत
समुदाय
को
संबोधित
करते
हुए
कुमारस्वामी
ने
‘पुरानी
घटनाओं
को
भूल
जाने’
की
अपील
की
और
2007
में
बीएस
येदियुरप्पा
को
मुख्यमंत्री
पद
नहीं
सौंपने
के
लिए
समुदाय
से
माफी
मांगने
से
भी
नहीं
चूके।
बता
दें
जब
कुमारस्वामी
और
येदियुरप्पा
2006
ने
मिलकर
सरकार
बनाई
थी,
जिसके
कारण
धरम
सिंह
के
नेतृत्व
वाली
गठबंधन
सरकार
गिर
गई
थी।
दोनों
दलों
के
बीच
सत्ता-साझाकरण
समझौते
के
तहत,
जद
(एस)
के
कुमारस्वामी
सरकार
के
कार्यकाल
के
पहले
20
महीनों
के
लिए
राज्य
के
मुख्यमंत्री
बने,
जिसके
बाद
भाजपा
के
येदियुरप्पा
शेष
20
महीने
सीएम
बनकर
सत्ता
संभालनी
थी
लेकिन
जब
समय
आया
तो
जेडीएस
नेता
ने
ऐसा
करने
से
इनकार
कर
दिया,
जिसके
कारण
2008
में
सरकार
गिर
गई।
उस
समय
से
ही
यह
माना
जाता
है
कि
वीरशैव-लिंगायत
समुदाय
ने
जद
(एस)
और
कुमारस्वामी
के
खिलाफ
शिकायत
है।
2018
में
हालांकि
जद
(एस)
जिसे
बड़े
पैमाने
पर
वोक्कालिगा
की
पार्टी
के
रूप
में
देखा
जाता
है,
उसने
33
लिंगायत
उम्मीदवारों
को
मैदान
में
उतारा,
जिनमें
से
चार
ने
चुनाव
जीता
था।
इस
बार
उन्होंने
93
उम्मीदवारों
की
पहली
सूची
में
15
लिंगायत
उम्मीदवारों
के
नाम
शामिल
किए
हैं।
गौरतलब
है
कि
वीरशैव-लिंगायत
समुदाय,
जिन्हें
भाजपा
का
मुख्य
मतदाता
आधार
माना
जाता
है,
कुल
पांच
करोड़
मतदाताओं
का
लगभग
15
प्रतिशत
है।
224
सदस्यीय
विधानसभा
में
भाजपा
के
पास
सबसे
अधिक
वीरशैव-लिंगायत
विधायक
(38)
हैं।
हालांकि
कर्नाटक
कांग्रेस
अध्यक्ष
डीके
शिवकुमार
वोक्कालिगा
नेता
और
समुदाय
से
सीएम
चेहरे
के
रूप
में
उभर
रहे
हैं,
जद
(एस)
अपने
मतदाता
आधार
का
विस्तार
करने
की
पूरी
कोशिश
कर
रहा
है।
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English summary
Karnataka elections: JDS is busy increasing its base, keeping an eye on Veerashaiva-Lingayat votes