Gautam Adani: Hindenburg Research के करंट से गौतम अडानी को एक और झटका, अब नहीं लगाएंगे इस सरकारी कंपनी पर बोली


नई दिल्ली: अमेरिकी रिसर्च फर्म Hindenburg Research की रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप (Adani Group) को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया है। इसके कारण गौतम अडानी (Gautam Adani) की अगुवाई वाले ग्रुप के मार्केट कैप में 135 अरब डॉलर की गिरावट आई है। साथ ही ग्रुप ने अब आक्रामक तरीके से विस्तार की योजनाओं को भी ठंडे बस्ते में डालना शुरू कर दिया है। ग्रुप का जोर अब कैश बचाने पर है। पहले उसने डीबी पावर (DB Power) के साथ डील को आगे नहीं बढ़ाया और पीटीसी इंडिया लिमिटेड (PTC India Ltd.) से भी हाथ पीछे खींच लिए हैं। अडानी ग्रुप ने इस सरकारी इलेक्ट्रिसिटी ट्रेडर कंपनी के लिए बोली लगाने की तैयारी में थे। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप ने अब इसके लिए बोली नहीं लगाने का फैसला किया है। अडानी ग्रुप ने अपना रेवेन्यू ग्रोथ टारगेट आधा कर दिया है। साथ ही निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए फ्रेश कैपिटल एक्सपेंडीचर को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

पीटीसी इंडिया लिमिटेड में चार सरकारी कंपनियों एनटीपीसी (NTPC), एनएचपीसी (NHPC), पावर ग्रिड (Power Grid) और पावर फाइनेंस (Power Finance) की हिस्सेदारी है। ये कंपनी पीटीसी इंडिया में अपनी चार-चार फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में हैं। कंपनी के ताजा शेयर भाव के मुताबिक 16 फीसदी हिस्सेदारी की कीमत 5.2 करोड़ डॉलर बैठती है। इस साल इसके शेयरों में 11 फीसदी तेजी आई है और इसका कुल मार्केट कैप करीब 32.2 करोड़ डॉलर है। इससे पहले अडानी पावर ने डीबी पावर को खरीदने की डील छोड़ दी थी। जब 2022 में इस डील की घोषणा की गई थी तो यह इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में अडानी ग्रुप की दूसरी सबसे बड़ी मर्जर एंड एक्विजिशन डील थी। लेकिन Hindenburg Research के झटकों से जूझ रहा अडानी ग्रुप इस डील को पूरा करने में नाकाम रहा।

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Gautam Adani: 132 अरब डॉलर गंवा चुका है अडानी ग्रुप, फिर भी और लोन देने को तैयार है यह सरकारी बैंक

क्या होता फायदा

अगर पीटीसी इंडिया अडानी की झोली में आती तो इससे देश के एनर्जी वैल्यू चेन में उनकी पकड़ और मजबूत होती। अडानी ग्रुप कोल माइनिंग से लेकर ट्रेडिंग बिजनस, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सर्विसेज में है। देश के एनर्जी सेक्टर में अडानी ग्रुप पहले ही काफी मजबूत स्थिति में है। पीटीसी इंडिया को पहले पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता था। इसकी स्थापना साल 1999 में गई थी। कंपनी में हिस्सेदारी बेचने के लिए चार सरकारी कंपनियों ने एक सलाहकार नियुक्त किया है।



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