भारत में ही संभव है ब्लड कैंसर का पुख्ता इलाज, पूरी तरह ठीक हो सकते हैं मरीज

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Blood Cancer Treatment: कैंसर अपने आपमें बहुत खतरनाक बीमारी है और इनमें भी ब्लड कैंसर को सबसे खतरनाक माना जाता है. इसकी वजह है इस कैंसर के बढ़ने की स्पीड. माना जाता है कि ब्लड कैंसर अन्य सभी कैंसर की तुलना में सबसे तेज स्पीड से बढ़ता है. बल्ड कैंसर से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं, जिन्हें लोग कंफर्म करना चाहते हैं. ऐसे ही कई प्रश्नों का उत्तर दे रही हैं, दिल्ली बेस्ड कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर अमृता चक्रवर्ती…

ब्लड कैंसर क्या है और ये कितने तरह का होता है?  

डॉक्टर अमृता करती हैं ‘ब्लड कैंसर में मुख्य रूप से तीन तरह की बीमारियां शामिल होती हैं, जिन्हें ल्यूकीमिया, लिंफोमा और मल्टीपल माइलोमा कहते हैं. आप इन्हें ब्लड कैंसर के तीन प्रकार के रूप में भी समझ सकते हैं. फिर ल्यूकीमिया भी दो तरह के होते हैं, एक जिनमें बहुत तेजी से ब्लड कैंसर फैलता है और दूसरे वो जिनमें धीरे-धीरे कैंसर बढ़ता है. फिर लिंफोमा आते हैं, जिनमें कैंसर गांठ की तरह बन जाता है. मल्टीपल माइलोमा को बोनमेरो की बीमारी कहा जाता है.’

इतनी बात से ये तो साफ है कि ब्लड कैंसर भी अपने आपमें कई टर्म्स और कंडीशन समेटे हुए है. इसलिए यह कहना सही नहीं होगा कि ब्लड कैंसर ही सबसे अधिक तेजी से फैलता है क्योंकि इसमें भी स्लो ग्रोइंग और फास्ट ग्रोइंग कैंसर होते हैं. अब जानते हैं कि ब्लड कैंसर के लक्षण भी क्या इस कैंसर की तरह एकदम स्पेसिफिक होते हैं…

ब्लड कैंसर के लक्षण क्या होते हैं?

लक्षणों के बारे में बात करते हुए हुए डॉक्टर चक्रवर्ती कहती हैं, अलग-अलग तरह के ब्लड कैंसर के अनुसार इनके लक्षण भी अलग होते हैं. जो लक्षण सभी तरह के ब्लड कैंसर में दिखने को मिलते हैं वे इस तरह हैं…

  • बार-बार बुखार आना
  • इम्युनिटी बहुत वीक हो जाना
  • बार-बार इंफेक्शन होना
  • प्लेटलेट्स होना
  • ब्लीडिंग होना
  • कमजोरी आना
  • एनीमिया होना
  • सांस लेने में दिक्कत होना
  • चक्कर आना
  • गांठे फील होना
  • भूख कम लगना
  • वजन लगातार घटना
  • बैक पेन होना
  • रात में इतना पसीना आना कि कपड़े भीग जाएं
  • हड्डियां कमजोर हो जाना
  • ब्लड में कैल्शियम का बढ़ जाना

ब्लड कैंसर का ट्रीटमेंट क्या है?

  • इसका उत्तर देते हुए डॉक्टर चक्रवर्ती कहती हैं कि ‘ब्लड कैंसर के अलग-अलग टाइप के अनुसार इनका ट्रीटमेंट भी अलग-अलग है. लेकिन मुख्य रूप से कीमोथेरपी को यूज किया जा सकता है. इसमें इम्युनोथेरपी को भी यूज किया जाता है. टारगेटेड थेरपी का उपयोग किया जाता है. रेडियो थेरपी का भी यूज किया जाता है और मुख्य रूप से इसका उपयोग लिंफोमा में किया जाता है.’
  • एक्यूट ल्यूकीमिया में जिस स्थिति में कीमोथेरपी काम नहीं करती है, वहां बोनमेरो ट्रांसप्लांट का यूज किया जाता है. लिंफोमा भी अगर एक बार ठीक होकर दोबारा हो जाए और मल्टीपल माइलोमा में भी बोन मैरो ट्रांसप्लांट का यूज किया जाता है.

बोन मैरो ट्रांसप्लांट क्या होता है?

बोन मैरो एक खास रहत के बहुत सॉफ्ट टिश्यूज होते हैं, जो बोन्स के अंदर भरे हुए होते हैं. इनके कुछ सेल्स लेकर कैंसर को ठीक करने के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है. ये बोन मेरो पेशेंट के शरीर से भी लिए जा सकते हैं और डोनर से भी लिए जा सकते हैं. ये निर्भर करता है पेशेंट की कंडीशन पर कि कौन-सा स्टेपलेना है.

क्या पूरी तरह ठीक हो सकता है ब्लड कैंसर?

  • हां अब ऐसा संभव है. पिछले 10-15 साल में कैंसर के ट्रीटमेंट में बहुत अच्छी और डेवलप्ड टेक्नोलजी आ गई हैं. जिनके उपयोग से ब्लड कैंसर को भी पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. लेकिन इसमें भी कंडीशन अप्लाइड होती हैं क्योंकि कैंसर के इलाज में सिर्फ कैंसर की स्थिति नहीं बल्कि पेशेंट की उम्र, मेडिकल हिस्ट्री, लंग्स, हार्ट, लिवर और किडनी कैसे काम कर रहे हैं, जैसी कई बातें अहम होती हैं.
  • इन स्थितियों के कारण हर पेशेंट की बीमारी से लड़ने की क्षमता अलग-अलग हो जाती है और फिर दवाओं का असर भी उसी तरह से होता है. इसलिए कहा जा सकता है कि आज के समय में ब्लड कैंसर के पेशेंट्स का पूरी तरह ठीक हो जाना संभव है. 

 

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