कानून मंत्री का सेवानिवृत्त जजों पर विवादित बयान, कहा- कुछ भारत विरोधी गैंग के सदस्य, कीमत चुकानी पड़ेगी


कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा, कुछ रिटायर्ड जज भारत विरोधी गैंग में शामिल हैं। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि देश के खिलाफ काम करने पर किसी को भी कीमत चुकानी होगी।

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oi-Jyoti Bhaskar

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Law Minister Rijiju

Law
Minister
Rijiju
ने
न्यायपालिका
से
जुड़ी
विवादित
टिप्पणी
की
है।
केंद्रीय
कानून
मंत्री
किरेन
रिजिजू
ने
कहा
कि
कुछ
(सेवानिवृत्त)
न्यायाधीश
हैं
जो
एक्टिविस्ट
हैं
और
भारत
विरोधी
गिरोह
का
हिस्सा
हैं।
उन्होंने
कहा,
ऐसे
लोग
न्यायपालिका
को
सरकार
के
खिलाफ
करने
की
कोशिश
कर
रहे
हैं।
उन्होंने
चेतावनी
भरे
अंदाज
में
कहा
कि
ऐसे
लोग
जो
देश
के
खिलाफ
हो
जाते
हैं
उन्हें
इसकी
कीमत
चुकानी
होगी।

कानून
मंत्री
ने
शनिवार
को
इंडिया
टुडे
कॉन्क्लेव
2023
में
सवालों
का
जवाब
देते
हुए
न्यायाधीशों
की
जवाबदेही
पर
बयान
दिया।
हाल
ही
में
आयोजित
सेमिनार
का
जिक्र
करते
हुए
किरेन
रिजिजू
ने
कहा,
“हाल
ही
में
एक
संगोष्ठी
न्यायाधीशों
की
जवाबदेही
पर
थी।
लेकिन
किसी
तरह
पूरी
संगोष्ठी
इस
दिशा
में
घूम
गई
कि
कार्यपालिका
न्यायपालिका
को
कैसे
प्रभावित
कर
रही
है।”
उन्होंने
कहा,
“कुछ
न्यायाधीश
हैं
जो
सक्रिय
हैं
और
भारत
विरोधी
गिरोह
का
हिस्सा
हैं
जो
न्यायपालिका
को
विपक्षी
दलों
की
तरह
सरकार
के
खिलाफ
बदलने
की
कोशिश
कर
रहे
हैं।”

रिजिजू
ने
कहा,
जज
किसी
भी
तरह
से
राजनीतिक
लोगों
से
संबद्ध
नहीं
होते,
ऐसे
में
लोग
कैसे
कह
सकते
हैं
कि
कार्यपालिका
में
शासन
की
जरूरत
है।
उन्होंने
कहा
कि
कोई
भी
नहीं
बचेगा
और
देश
के
खिलाफ
जाने
वालों
को
कीमत
चुकानी
होगी।
कोलेजियम
प्रणाली
और
न्यायाधीशों
की
नियुक्ति
पर
कानून
मंत्री
ने
कहा,
जजों
की
नियुक्तियों
में
दखल
देकर
कांग्रेस
सरकारों
के
दुस्साहस
ने
कॉलेजियम
सिस्टम
को
जन्म
दिया।

उन्होंने
कहा,
संविधान
के
अनुसार
न्यायाधीशों
की
नियुक्ति
सरकार
पर
निर्भर
है
और
राष्ट्रपति
भारत
के
मुख्य
न्यायाधीश
और
उच्च
न्यायालयों
के
मुख्य
न्यायाधीशों
के
परामर्श
से
सर्वोच्च
न्यायालय
और
उच्च
न्यायालय
के
न्यायाधीशों
की
नियुक्ति
करेंगे।
हालांकि,
कांग्रेस
पार्टी
ने
न्यायपालिका
में
दखल
का
दुस्साहस
किया
जिसके
कारण
कॉलेजियम
प्रणाली
अस्तित्व
में
आई।
उन्होंने
कहा,
जजों
की
नियुक्ति
के
लिए
कोई
भी
नई
व्यवस्था
बनने
तक
केंद्र
सरकार
कॉलेजियम
व्यवस्था
का
पालन
करेगी।

कानून
मंत्री
ने
कहा
कि
न्यायाधीशों
की
नियुक्ति
एक
प्रशासनिक
कार्य
है
और
सरकार
को
उचित
परिश्रम
करना
होगा।
कॉलेजियम
की
अनुशंसा
के
बावजूद
नामों
को
लंबे
समय
तक
मंजूरी
नहीं
देने
के
आरोपों
पर
रिजिजू
ने
कहा,
‘मैं
व्यक्तिगत
नामों
के
बारे
में
बात
नहीं
करना
चाहता
और
नामों
को
मंजूरी
क्यों
नहीं
दी
जा
रही
है…
कॉलेजियम
जानता
है
कि
हमने
मंजूरी
क्यों
नहीं
दी
और
हम
यह
भी
जानते
हैं
कि
उन्होंने
नामों
पर
जोर
क्यों
दिया।
मैं
इसका
जवाब
दे
सकता
हूं
लेकिन
किसी
का
नाम
लेना
उचित
नहीं
होगा।’

कोर्ट
और
न्यायाधीशों
की
छुट्टी
से
जुड़े
एक
सवाल
पर
कानून
मंत्री
ने
कहा,
“न्यायाधीशों
को
छुट्टियों
की
जरूरत
होती
है
क्योंकि
वे
प्रशासनिक
कर्तव्यों
के
साथ-साथ
प्रतिदिन
कम
से
कम
50-60
मामलों
का
निपटारा
करते
हैं।
बकौल
रिजिजू,
अमेरिका
में
न्यायाधीश
4
से
5
मामलों
का
निपटारा
करते
हैं।
भारत
में
न्यायाधीशों
के
सामने
रोजाना
50
से
60
मामले
होते
हैं।
कई
दिन
ऐसे
भी
होते
हैं
जहां
न्यायाधीश
100
मामलों
की
सुनवाई
भी
करते
हैं।
उन
पर
भारी
मानसिक
दबाव
होता
है।
ऐसे
में
उन्हें
छुट्टी
की
जरूरत
भी
होती
है।

कार्यपालिका
और
न्यायपालिका
का
‘संघर्ष’

एक
सवाल
के
जवाब
में
कानून
मंत्री
रिजिजू
ने
कहा,
उनके
विचार
से
“संघर्ष”
सही
शब्द
नहीं
है।
उन्होंने
कहा
“एक
लोकतांत्रिक
व्यवस्था
में,
हमेशा
मतभेद
होते
हैं।
तीन
अंगों
के
बीच
मुद्दे
होंगे
जो
एक-दूसरे
के
खिलाफ
चलेंगे,
लेकिन
यह
कहना
सही
नहीं
है
कि
टकराव
होता
है,
हम
हमेशा
न्यायपालिका
की
स्वतंत्रता
पर
टिके
रहे
हैं
और
न्यायपालिका
को
मजबूत
भी
करते
रहे
हैं।”

सरकार
समलैंगिक
विवाह
के
खिलाफ
क्यों

हाल
ही
में
सुप्रीम
कोर्ट
पहुंचा
समलैंगिक
विवाह
का
मुद्दा
भी
खूब
चर्चा
में
रहा
है।
इस
पर
कानून
मंत्री
रिजिजू
ने
सरकार
का
रूख
स्पष्ट
किया।
समलैंगिक
विवाह
का
विरोध
करने
पर
उन्होंने
कहा,
संसद
लोगों
की
दृष्टि
और
लोगों
की
पसंद
का
प्रतिबिंब
है।
इसलिए,
विवाह
की
संस्था
कैसे
संचालित
होगी,
इस
सवाल
पर
संसद
में
बहस
करने
की
जरूरत
है।

चुनाव
आयुक्त
की
नियुक्ति
पर
सुप्रीम
कोर्ट
का
फैसला

गौरतलब
है
कि
सर्वोच्च
न्यायालय
की
संविधान
पीठ
ने
भारत
के
चुनाव
आयुक्त
(ECI)
की
अप्वाइंटमेंट
पर
ऐतिहासिक
निर्णय
सुनाया।
इस
फैसले
में
कहा
गया
है
कि
आयोग
के
सदस्यों
की
नियुक्ति
एक
समिति
की
सलाह
पर
की
जानी
चाहिए।
इस
पर
सरकार
क्या
सोचती
है?
जवाब
में
कानून
मंत्री
ने
सवाल
किया,
“अगर
भारत
के
CJI
या
जज
हर
नियुक्ति
का
फैसला
करेंगे
तो
न्यायिक
कार्य
को
कौन
आगे
बढ़ाएगा?”
साथ
ही
उन्होंने
यह
भी
स्पष्ट
किया
कि
वह
फैसले
की
आलोचना
नहीं
कर
रहे।
हालांकि,
उन्होंने
इस
बात
पर
जोर
भी
दिया
कि
न्यायाधीश
मुख्य
रूप
से
न्यायिक
आदेश
पारित
करने
और
न्यायपालिका
से
जुड़े
काम
करने
के
लिए
हैं।

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same
sex
marriage
पर
केंद्र
सरकार
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साथ!
संघ
पदाधिकारी
ने
कहा-
‘शादी
केवल
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लिंग
के
बीच’

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English summary

Law Minister Rijiju retired judges activists part of anti india gang



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