![ट्रेन में लाल, नीले और हरे रंग के डिब्बे देखे होंगे, जानते हैं इनमें क्या होता है अंतर 1 pic](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-99684709,imgsize-90268/pic.jpg)
नीले रंग के कोच का मतलब
ट्रेन में सफर के दौरान आपने नीले रंग के कोच सबसे ज्यादा देखें होंगे। ट्रेन में ज्यादातर नीले रंग के कोच दिखाई देते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन्हें इंटीग्रेटेड कोच कहते हैं। ऐसे कोच वाली ट्रेन की रफ्तार 70 से 140 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। ये लोहे के बने होते हैं और इनमें एयरब्रेक लगे होते हैं। इसलिए इनका इस्तेमाल मेल एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेनों में होता है। वहीं ट्रेन में लाल रंग के कोच का भी इस्तेमाल होता है।
लाल रंग के कोच
लाल रंग के कोच को लिंक हॉफमैन (Link Hoffmann) भी कहा जाता है। यह खास तरह के कोच होते हैं, जिन्हें जर्मनी में तैयार किया गया है। भारतीय रेलवे ने ऐसे कोच साल 2000 में भारत में आयात किए गए थे। मौजूदा समय में इनका निर्माण पंजाब के कपूरथला में किया जा रहा है। यह कोच भी आपने ट्रेनों में खूब देखे होंगे। लाल कोच एल्युमिनियम के बने होते हैं। वहीं दूसरे कोच के मुकाबले इनका वजन कम होता है। इनमें डिस्क ब्रेक लगी होती है। ये वजन में हल्के होने के कारण 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से भाग सकते हैं। लाल रंग के कोच आपने राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेन में देखे होंगे। इससे इन ट्रेनों को अच्छी स्पीड मिल पाती है।
हरे रंग के डिब्बे
इसके अलावा ग्रीन कलर के भी कोच होते हैं। इन्हें भारतीय रेलवे की ट्रेन गरीब रथ में लगाया गया है. इस तरह अलग-अलग रंग के ट्रेन कोच का प्रयोग भी अलग-अलग तरह की ट्रेन के लिए किया जाता है।