सरकार की सख्ती के बाद सभी डीलिस्टेड भारतीय ऐप्स को बहाल करेगी Google

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अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी Google ने अपने Play Store पर डीलिस्ट की गई सभी भारतीय ऐप्स को बहाल करने पर सहमति दी है। इन ऐप्स को इन-ऐप पेमेंट गाइडलाइंस का पालन नहीं करने के लिए हटाया गया था। केंद्र सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए दोनों पक्षों को इस विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत करने का सुझाव दिया था। 

टेलीकॉम एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्टर, Ashwini Vaishnaw ने बताया है, “गूगल और स्टार्टअप्स की मेरे साथ मीटिंग हुई है। गूगल ने सभी ऐप्स को बहाल करने पर सहमति दी है।” इन ऐप्स को डीलिस्ट करने को लेकर सरकार ने कड़ा रुख दिखाया था। अश्विनी ने कहा था कि गूगल को इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि गूगल और स्टार्टअप्स आगामी महीनों में इसका लंबी-अवधि का समाधान निकालने में सफल होंगे।” 

गूगल का दावा है कि इन ऐप डिवेलपर्स ने उसकी सर्विसेज लेने के लिए प्ले स्टोर की फीस का भुगतान नहीं किया था। इस वजह से इन्हें गूगल के Android ऐप मार्केटप्लेस से हटाया गया है। कुछ कंपनियों ने मद्रास हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर कर गूगल के प्ले स्टोर की बिलिंग पॉलिसी को चुनौती दी थी। इन कंपनियों की दलील है कि गूगल अपनी सर्विसेज के लिए भारी फीस वसूलती है। गूगल की ओर से किसी पेड ऐप के प्रति डाउनलोड पर 11 प्रतिशत से 26 प्रतिशत तक सर्विस फीस लगाई जाती है। इसके अलावा ऐप में की गई खरीदारी पर भी फीस ली जाती है। 

इन कंपनियों में Unacademy, Kuku FM और Info Edge शामिल हैं। NDTV Profit की रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करने की सहमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने प्ले स्टोर से इन कंपनियों की ऐप्स को डीलिस्ट न करने के लिए गूगल को कोई इंटरिम ऑर्डर देने से इनकार कर दिया था। इन कंपनियों ने गूगल को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के 19 मार्च को विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई करने तक ऐप्स को डीलिस्ट नहीं करने का निवेदन किया था। इस पर गूगल का कहना था, “वर्षों से किसी कोर्ट या रेगुलेटर ने गूगल के प्ले स्टोर की सर्विस के लिए फीस लेने के अधिकार को मना नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी 9 फरवरी को ऐसा करने के हमारे अधिकार में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था। इसने बताया है कि देश में केवल 60 ऐप डिवेलपर्स ने 15 प्रतिशत से अधिक फीस ली जा रही है। 

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