Budget 2023: आठ लाख गरीबी का पैमाना और ढाई लाख से ज्यादा आय पर टैक्स

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Publish Date: | Tue, 31 Jan 2023 12:32 PM (IST)

Budget 2023: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। बुधवार को आने वाले आम बजट से पहले आयकर की सीमा (स्लैब) में बदलाव को लेकर मांग उठ रही है। कर विशेषज्ञों से लेकर आम तबका और व्यापारी भी आयकर स्लैब में बदलाव व सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। 2014 के बाद से अब तक आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि महंगाई से लेकर खर्च और रुपये की कीमत तक में चौतरफा बदलाव हुआ है। खुद सरकार के नियम ही आयकर की सीमा के उलट नजर आ रहे हैं। दरअसल आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिए सरकार ने ही सात लाख 99 हजार 999 रुपये यानी आठ लाख से कम आय वालों को आर्थिक कमजोर या पिछड़ा माना है। ऐसे में ढाई लाख रुपये से ज्यादा आय पर टैक्स लेने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

इस वर्ष के आम बजट में आयकर की सीमा में नौ साल बाद बदलाव की उम्मीद बनी हुई है। कर विशेषज्ञों से लेकर व्यापारी तक इसकी जरूरत करार दे रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि आयकर स्लैब बढ़ाकर सीधे-सीधे दोगुना यानी पांच लाख रुपये वार्षिक किया जा सकता है। हालांकि आशंका जताई जा रही है कि बजट में आयकर सीमा को तो बढ़ाया जा सकता है लेकिन डिडक्शन लाभों को खत्म या सीमित किया जा सकता है। हालांकि विशेषज्ञ इससे असहमत हैं।

स्पष्ट जरूरत बताई जा रही है कि 80(सी) और 80(डी) के तहत डिडक्शन में मिलने लाभ के लिए भी सीमा बढ़ाई जाना चाहिए। इस बीच देश और प्रदेश के प्रमुख व्यापारी संगठनों ने बजट को लेकर केंद्र सरकार को मांग और ज्ञापन भेजे हैं। कंफेडरेशन आफ इंडियन ट्रेडर्स (कैट) ने 18 सूत्रीय मांग पत्र केंद्र सरकार को भेजा है। इससे पहले अहिल्या चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज ने भी बजट को लेकर सरकार के सामने कारोबार जगत की अपेक्षाएं और परेशानी रखी हैं।

स्लैब के साथ छूट भी बढ़े

यह केंद्र का चुनाव से पहले आखिरी पूर्ण बजट होगा। इसलिए उम्मीदें काफी हैं। आयकर स्लैब तो बढ़ाना चाहिए। रिटर्न में 80(सी) और 80(डी) की छूट भी बढ़ाना जरूरी है। 80(सी) में डेढ़ लाख रुपये खर्च पर छूट है। महंगाई और बढ़ते खर्च को देख इसे बढ़ाना जरूरी है। 80(डी) में मेडिक्लेम पर सिर्फ 25 हजार की छूट मिलती है। जबकि कोविड के बाद स्वास्थ्य बीमा महंगा हुआ है। साथ ही यह हर व्यक्ति की जरूरत भी है। 10 लाख से ज्यादा आय पर 30 प्रतिशत टैक्स है। इसे भी अब बढ़ाना जरूरी है।

-आनंद जैन, चेयरमैन इंदौर सीए ब्रांच

होम लोन डिडक्शन की सीमा बढ़े

होम लोन पर दो लाख रुपये डिडक्शन पर आयकर में छूट मिलती है। बीते दौर में निर्माण और संपत्ति की लागत बढ़ने के साथ ही होम लोन की राशि और ब्याद दरें भी बढ़ी हैं। इसी को देखते हुए होम लोन पर मिलने वाली छूट की सीमा को भी अब बढ़ाया जाना चाहिए। इससे आम लोगों के घर का सपना पूरा होगा। साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर को सरकार के इस कदम से राहत मिलेगी और संपत्ति की खरीदी में बढ़ोतरी होगी।

-स्वप्निल जैन, चार्टर्ड अकाउंटेंट

जीएसटी में बड़े सुधार हों

अप्रत्यक्ष कर जीएसटी छह साल बाद भी व्यवसायियों के लिए न तो सुविधाजनक बन सका है न ही करदाताओं को अप्रत्यक्ष करों में राहत मिलती दिखी है। बार-बार के संशोधनों से जीएसटी प्रारूप कठिन और संशय पैदा करने वाला हो गया है। जीएसटी के प्रविधानों की समीक्षा कर कर प्रणाली को सरल बनाने को लेकर इस बजट में बढ़ी घोषणा की जरूरत है। भले ही इसमें समय लगे लेकिन जीएसटी के प्रारूप में सुधार की आवश्यकता है। इस कर प्रणाली में आसान सुनवाई और एक देश एक कर की भावना के अनुरूप आम जरूरत की तमाम वस्तुओं पर कर दी दरें भी कम की जाना चाहिए।

-आरएस गोयल, कर सलाहकार

18 मांगें रखी हैं

हमने 18 बिंदु केंद्र सरकार के सामने रखे हैं। इसमें जीएसटी की समीक्षा, आयकर में कमी लाने के साथ ही पूरे देश में व्यापार के लिए एक लायसेंस लागू हो। व्यापारियों के लिए बीमा और पेंशन योजना लाई जाए। बैंकों व वित्तीय संस्थानों की कर्ज प्रक्रिया आसान हो। चेक बाउंस यानी धारा 138 के विवादों के निराकरण के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जाना चाहिए।

-रमेश गुप्ता, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कैट

स्लैब बढ़ेगी तो बाजार में धन प्रवाह होगा

आम मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा जो सबसे ईमानदारी से टैक्स चुकाता है उसे राहत देने के लिए आयकर स्लैब में बढ़ोतरी जरूरी है। इससे लोगों के हाथ में कुछ पैसा बच सकेगा। जब बचत बढ़ेगी तो वह रुपया बाजार में खर्च होगा। इससे व्यापार के साथ सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा व अर्थव्यवस्था सुगम होगी। जीएसटी में बड़े बदलाव नहीं, बल्कि पूरे कानून को फिर से सुगठित करने की जरूरत है।

-रमेश खंडेलवाल, अध्यक्ष अहिल्या चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री

Posted By: Sameer Deshpande

 



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