Budget 2023: चुनौतियों के बीच संभावनाओं का दोहन होना चाहिए बजट का लक्ष्य


Publish Date: | Tue, 31 Jan 2023 08:40 AM (IST)

Budget 2023: डा. गौतम कोठारी

कोविड महामारी के बाद उपजी वैश्विक चुनौतियों और उनसे बेहतर ढंग से निपटने के बाद इस बार देश के प्रत्येक वर्ग को एक बेहतर बजट की अपेक्षा है। महंगाई और बेरोजगारी, इन दो समस्याओं के समाधान को दिशा देते हुए आर्थिक समृद्धि व विकास इस बजट का प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए। सभी वर्गों की यह अपेक्षा है कि आर्थिक विकास को गति देने की दृष्टि से करों के युक्तियुक्तकरण का अत्यधिक महत्व है। कर जहां आम उपभोक्ता को प्रभावित करते हैं, वहीं मांग व आपूर्ति का भी करों से सीधा संबंध होता है।

उपभोग बढ़ने से जहां कर संचय बढ़ता है, वहीं बढ़ी हुई मांग का लाभ उत्पादकों को होता है। इस दृष्टि से वर्तमान वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था में काफी सुधार की गुंजाइश है। यदि सरकार वर्तमान श्रेणी में 12 को घटाकर 9 एवं 18 को घटाकर 15 दर प्रतिस्थापित करे, तो निश्चय ही आम जनता की जेब में राशि बचेगी, उपभोग भी बढ़ेगा, तद्नुसार कर संग्रह व उत्पादन में भी वृद्धि होगी। इसके साथ ही जीएसटी के विलंबित भुगतान पर ब्याज की दर 18 प्रतिशत से घटाकर 12 होनी चाहिए। अनुपालन की औपचारिकताओं को अत्यंत सरल किया जाना भी अपेक्षित है।

देश के आर्थिक विकास में औद्योगिक विकास सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसके लिए अपेक्षा है सस्ती पूंजी अर्थात कम ब्याज दर, सस्ती विद्युत आपूर्ति अर्थात गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों का विकास, सस्ता परिवहन अर्थात विकसित अधोसंरचना, सस्ती भूमि की उपलब्धता, प्रशिक्षित श्रम शक्ति व नियम व कानूनों के परिपालन में सहजता। इस दृष्टि से निर्यात व रोजगार बढ़ाने वाले उद्योगों पर बजट में ध्यान दिया जाना जरूरी है। ऐसे उद्योगों को बजट में विशेष प्रोत्साहन तथा उनके विस्तार व आधुनिकीकरण के लिए विशेष सबसिडी व छूटें उपलब्ध कराना जरूरी है।

वर्तमान में निर्यातकों को दिए जाने वाले उत्पाद आधारित प्रोत्साहन का लाभ सीमित उत्पादों तथा बड़े उद्योगों को ही मिलता है। इसमें सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों को भी छूट के दायरे में लाना अपेक्षित है। यहां यह उल्लेखनीय है कि रोजगार की दृष्टि से सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों का अत्यधिक महत्व है। इस दृष्टि से इस क्षेत्र में ऋणों की सुगमता एवं ब्याज अवदानों (सबसिडी) की घोषणा के साथ ही वर्तमान में लागू क्रेडिट ग्यारंटी स्कीम को निरंतर रखा जाना चाहिए।

आर्थिक विकास के लिए विद्युत आपूर्ति निरंतर बढ़ाना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। सरकार ने सोलर मिशन 2030 का लक्ष्य रखा है, जिसके अनुसार वर्तमान 150 गीगावाट क्षमता को वर्ष 2030 तक बढ़ाकर 350 गीगावाट किया जाना लक्ष्य है। इस दृष्टि से इसकी पूंजीगत लागत को कम करने हेतु विभिन्न स्तरों पर कर छूट व अवदानों की घोषणा की जानी चाहिए।

इधर, मध्य प्रदेश के भावी बजट से भी खूब अपेक्षाएं हैं। मप्र एक संभावनाओं वाला राज्य है, जिसका दोहन समुचित रूप से अब तक संभव नहीं हो पाया है। गत कुछ वर्षों में कृषि उत्पादन में हम अग्रणी रहे हैं, किंतु कृषकों को अग्रणी बनाने की दिशा में कृषि उत्पादों का मूल्य संवर्द्धन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यद्यपि सरकार ने फूड प्रोसेसिंग उद्योगों के लिए समुचित सबसिडी घोषित की है, किंतु समुचित बजट प्रविधानों के अभाव में भुगतान विलंबित रहता है। प्रदेश के बेहतर आर्थिक विकास की दृष्टि से सस्ती व गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति, बेहतर अधोसंरचना, सस्ती भूमि, प्रशिक्षित श्रम, नियमों के अनुपालन में सरलता सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं।

प्रदेश रेल व सड़क नेटवर्क में राष्ट्रीय औसत से बहुत पीछे है, रेल केंद्र का विषय जरूर है, किंतु वर्तमान में रेल परियोजनाओं में राज्यों की भागीदारी चाही जा रही है। इस भागीदारी हेतु वर्तमान बजट में प्रविधान किया जाना चाहिए। अधोसंरचना की दृष्टि से प्रदेश में केंद्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा बनाए जा रहे हाईवे नेटवर्क का लाभ लेते हुए राज्य सरकार को राज्य राजमार्गों के वृहद विस्तार की योजना बनानी चाहिए, जिससे औद्योगिक निवेश को सस्ती व उपयोगी भूमि उपलब्ध कराई जा सके।

श्रम प्रशिक्षण की दृष्टि से राज्य के बजट को दोगुना करना अपेक्षित है। उद्योगों को घोषित छूट व अवदानों का लाभ समय पर दिया जा सके, इस हेतु बजट में समुचित प्रविधान किए जाने चाहिए। वर्तमान में सरकार के घोषित अवदानों का भुगतान चार-पांच वर्षों तक लंबित रहता है जो छोटे उद्योगों के लिए अत्यंत कष्टदायी है।

(लेखक उद्योगपति व पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष हैं)

Posted By: Sameer Deshpande

 



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