Budget 2023: 1 फरवरी को पेश हो रहा बजट, जान लें इन शब्दों का मतलब, वित्त मंत्री का भाषण समझने में होगी आसानी

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश का वित्तीय बजट पेश करेंगी। कोरोना महामारी और रूस युक्रेन युद्ध का जो बुरा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। उससे उबारने के लिए यह बजट काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। इसके अलावा देश में जिस तेजी से महंगाई बढ़ रही है। ऐसे में देश के भीतर कई लोग सरकार से टैक्स दरों में रियायत की उम्मीद कर रहे हैं। इसे देखते हुए भी बजट में कई बड़े फैसले हो सकते हैं। इसके अलावा सरकार अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई बड़ी घोषणाएं भी कर सकती है। इस बार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने जा रही हैं। बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री कई बार वित्तीय घाटा, विनिवेश और बैलेंस शीट जैसे शब्दों का इस्तेमाल करती हैं। आम लोगों के लिए इन्हें समझना काफी मुश्किल काम होता है। इसी कड़ी में आज हम आपको बजट पेश होने से पहले कुछ शब्दों का मतलब बताने जा रहे हैं, जिन्हें जानने के बाद आपके लिए बजट समझना काफी आसान हो जाएगा। 

वित्त वर्ष (Financial Year)

हम लोगों के लिए 1 जनवरी से लेकर 31 दिसंबर तक एक साल होता है। वहीं सरकारी कामकाज वित्त वर्ष के आधार पर किए जाते हैं। ऐसे में आपको पता होना चाहिए कि भारत में एक वित्त वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है। 

जीरो बजट 

जीरो बजट में पिछले वित्त वर्ष के खर्चे या बैलेंस को कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जाता है। इसे आप इस तरह आसानी से समझ सकते हैं कि अगर किसी योजना के अंतर्गत सरकार ने सांसदों को करोड़ों रुपये की राशि को आवंटित किया है। हालांकि, इसका कुछ हिस्सा ही खर्च हुआ है। इस स्थिति में बचे हुए पैसे उन्हें दोबारा से आवंटित करना जरूरी नहीं है। 

जीएसटी

जीएसटी से तात्पर्य गूड्स एंड सर्विसेज टैक्स से है। जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है। इसके लागू होने के बाद देशभर में सभी वस्तुओं और सेवाओं पर एक ही कर लगने लगा। 1 जुलाई 2017 को जीएसटी भारत में लागू हुई। देश की टैक्स प्रणाली के ढांचे को सुधारने के लिए जीएसटी एक बड़ा फैसला था।



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