![Air India News: एयर इंडिया फ्लाइट में नशे में धुत यात्री ने महिला पर किया पेशाब, जानिए क्या हो सकती है सजा 1 pic](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-96731363,imgsize-26522/pic.jpg)
एयर इंडिया ने एक बयान में कहा कि उसने पुलिस और रेगुलेटरी अथॉरिटीज को इस मामले की शिकायत की है। कंपनी का कहना है कि वह लगातार पीड़ित महिला पैसेंजर के संपर्क में है। एयर इंडिया ने इस मामले की जांच के लिए एक इंटरनल कमेटी बना दी है। महिला पर पेशाब करने वाले पैसेंजर को नो फ्लाई लिस्ट में डालने की सिफारिश की है। एयरलाइन ने कहा कि यह मामला सरकारी समिति के अधीन है और उसके फैसले का इंतजार है।
क्या कहता है कानून
देश में इस विमानों में इस तरह के व्यवहार को रोकने के लिए कानून बना है लेकिन इन्हें लागू करने में एयरलाइन कंपनियों का रवैया ढीलाढाला रहा है। यह unruly/disruptive passenger behaviour के दायरे में आता है और ऐसा करने वाले पैसेंजर पर लाइफ-टाइम बैन लग सकता है। साल 2017 में एयरलाइन सेक्टर के रेगुलेटर डीजीसीए (DGCA) में अनरूली पैसेंजर बिहेवियर के बारे में नॉर्म्स जारी किए थे। इसके मुताबिक विमान के लैंड होने पर पायलट इन कमांड एयरोड्रोम में स्थित सिक्योरिटी एजेंसी में एक एफआईआर दर्ज करेगा और बदतमीजी करने वाले पैसेंजर को सिक्योरिटी एजेंसी के हवाले किया जाएगा।
जब भी एयरलाइन को इस तरह की कोई शिकायत मिलती है तो उसे एयलाइंस की इंटरनल कमेटी को रेफर किया जाएगा। कमेटी को दस दिन के भीतर यह तय करना होगा कि पैसेंजर का व्यवहार unruly/disruptive passenger के दायरे में आता है या नहीं। अगर यह पाया जाता है कि पैसेंजर ने गंभीर अपराध किया है तो उसे नेशनल नो-फ्लाई लिस्ट में डाला जा सकता है।
नो फ्लाई लिस्ट
नो फ्लाई लिस्ट नाम में यात्रियों के आपत्तिजनक व्यवहार को तीन श्रेणियों में रख जाता है। लेवल वन में तीन महीने तक यात्रा पर प्रतिबंध का प्रावधान है। लेवल-टू में छह महीने तक का प्रतिबंध और लेवल-थ्री में न्यूनतम दो साल या ताउम्र प्रतिबंध लगाया जा सकता है। हालांकि इस नो फ्लाई लिस्ट में डाले गए व्यक्ति के पास अपील का अधिकार है। उसके पास बैन का आदेश जारी होने के 60 दिन के भीतर अपील करने का विकल्प होता है। यह अपील सिविल एविएशन मिनिस्ट्री की अपीलेट कमेटी के समक्ष की जा सकती है। इस कमेटी में हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज, एयरलाइंस के रिप्रजेंटेटिव और यात्री संघ के सदस्य शामिल होते हैं। इस कमेटी का फैसला फाइनल होता है लेकिन इसी भी हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।