एयरएशिया इंडिया में अभी टाटा संस की 83.67 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर एशिया इन्वेस्टमेंट की 16.33 प्रतिशत हिस्सेदारी है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने इस साल जून में एयर इंडिया को एयरएशिया इंडिया की पूरी हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी दी थी। इस बीच एयर इंडिया ने एयरएशिया इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस को मर्ज करके एक लो-कॉस्ट एयरलाइन बनाने का प्रक्रिया शुरू कर दी है। कंपनी का कहना है कि इस प्रोसेस के पूरा होने में एक साल का समय लग सकता है। इसके लिए एक वर्किंग ग्रुप बनाया गया है जिसमें एयरएशिया इंडिया के सीईओ सुनील भास्करन और एयर इंडिया एक्सप्रेस के सीईओ आलोक सिंह शामिल हैं।
मुश्किल सफर
एयरएशिया इंडिया ने 12 जून 2014 को अपनी पहली फ्लाइट ऑपरेट की थी। लेकिन इसे लगातार घाटा हो रहा था। फाइनेंशियल ईयर 2022 में कंपनी का घाटा 42 फीसदी बढ़करर 2178 करोड़ रुपये पहुंच गया था। कंपनी के लिए भारत में सफर आसान नहीं रहा। 2018 में उसने अपने पूर्व सीईओ मिट्टू चंडालिया को खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की थी। उन पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप थे। वह शुरुआत से अप्रैल 2016 तक कंपनी के सीईओ रहे।
2018 में सीबीआई ने एयरएशिया के ग्रुप सीईओ टोनी फर्नाडिस और दूसरे अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। उन पर सरकारी नीतियों को प्रभावित करने के आरोप थे। वे भ्रष्ट तरीके से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए लाइसेंस हासिल करना चाहते थे। इसका नतीजा यह हुआ कि एयरएशिया इंडिया आज तक अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स शुरू नहीं कर पाई जबकि उसके बेड़े में 28 विमान हैं। इंडिगो और स्पाइसजेट जैसी कंपनियों से कड़ी चुनौती के कारण कंपनी कभी भी प्रॉफिट में नहीं आ पाई।