‘दिल दे दिया है’ का असली मकसद इस व्यक्ति ने समझाया

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‘दिल दे दिया है’ बॉलीवुड का यह मशहूर गाना काफी इमोशनल कर देने वाला है. लेकिन हाल ही में इस गाने का सही अर्थ हरियाणा के रहने वाले 45 साल के शख्स ने साबित कर दिया है. बीते रविवार को हरियाणा से एक ऐसी ही खबर सामने आई है कि जिससे पढ़ने के बाद आपकी आंखें भर आएंगी. एम्स के डॉक्टरों ने बीते रविवार को हरियाणा के रहने वाले 45 साल के राकेश शर्मा नाम के एक शख्स को ब्रेन डेड (Brain Dead) घोषित किया. लेकिन इन सब के बीच सबसे अच्छी चीज यह हुई कि इस शख्स ने जाते-जाते 5 लोगों को नई जिंदगी दे दी.

इस शख्स के परिवार वालों ने ब्रेन डेड शख्स राकेश शर्मा के ऑर्गन्स को 5 मरीजों को दान कर दिए हैं.  आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले हफ्ते इस शख्स का अपने पलवल स्थित घर में गिरने से गंभीर चोटें आई थीं. अधिकारियों ने बताया कि इस साल दिल्ली में यह 10वां अंगदान है. इस खबर को सुनने के बाद कई लोगों के मन में सवाल यह उठ सकता है क्या है ब्रेन डेड? लेकिन उससे पहले हम आपको बताएंगे आखिर 45 साल के इस शख्स के साथ आखिर हुआ क्या था. जिससे वह ब्रेन डेड की स्थिति में पहुंच गए. 

हरियाणा के 45 साल के राकेश शर्मा कैसे ब्रेन डेड की स्थिति में पहुंचे

डॉक्टर ने खास बातचीत में बताया कि राकेश शर्मा को पुनर्जीवित नहीं कर सके. इसलिए उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया है. डॉक्टरों के समझाने के बाद उनका परिवार मरीज राकेश शर्मा का अंगदान करने के लिए राजी हो गया है. एम्स के डॉक्टरों ने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ से खास बातचीत में बताया कि मरीज के बेहोश होने पर शुरुआत में ही उसे हरियाणा के एक अस्पताल में ले जाया गया था. बाद में उन्हें एम्स के ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां सीटी स्कैन करने के बाद डॉक्टरों ने उनकी हालत गंभीर बताई. रिपोर्ट के मुताबिक मरीज अपने घर में फर्श पर गिरने के बाद बेहोश हो गया था.

राकेश शर्मा की तबीयत 16 मार्च से खराब थी

राकेश के जीजा महेश शर्मा ने बताया कि राकेश ने 16 मार्च को तड़के करीब तीन बजे सिर में तेज दर्द की शिकायत की थी. जिसके बाद उन्हें दवा भी दी गई लेकिन उसे आराम नहीं मिला . जिसके बाद उन्होंने अपनी फैमिली को कहा कि वह उन्हें चेकअप के लिए डॉक्टर के पास ले जाए. महेश ने कहा, वह खड़े होने की कोशिश करते हुए गिर गया. तब से वह बेहोश था.’

राकेश के जीजा महेश आगे कहते हैं,’उन्हें कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं थी. सब कुछ अचानक हुआ और कोई भी यह विश्वास नहीं कर पा रहा है कि वह अब हमारे बीच नहीं हैं.” उन्होंने कहा कि परिवार उन्हें तो नहीं बचा सकता, लेकिन कम से कम उनके अंग दूसरों की जान तो बचा लेंगे.

नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन

‘नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन’ (NOTTO) के मुताबिक, डोनर का दिल, लिवर और एक किडनी एम्स को जबकि दूसरी किडनी सफदरजंग अस्पताल और फेफड़ा मेदांता अस्पताल को दी गई है. उनके कॉर्निया को एम्स के आई बैंक में संभाल कर रख लिया गया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिन व्यक्तियों को ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है. उस पूरी दान प्रक्रिया में NOTTO महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

भारत में ऑर्गन डोनेट करने का पूरा प्रोसेस काफी स्लो और स्ट्रगल से भरा हुआ है. आंकड़े काफी दुखी कर देने वाले हैं. साल 2015 से किडनी का इंतजार कर रहे 42 साल के एक व्यक्ति को शर्मा की एक किडनी मिली. वहीं एक 23 साल का यंग लड़के को 5 साल के लंबे इंतजार के बाद अपनी दूसरी किडनी मिलने जा रही है.  मेदांता हॉस्पिटल में शर्मा के फेफड़े 40 साल की एक महिला में ट्रांसप्लांट किए जाएंगे और उनका हार्ट पिछले साल से इंतजार कर रहे 38 साल के व्यक्ति में ट्रांसप्लांट किया जाएगा. सोमवार को एम्स में 56 साल के  एक व्यक्ति को लिवर ट्रांसप्लांट किया जाएगा. राकेश शर्मा के अंगो को ट्रामा सेंटर वापस लाया गया और फिर दूसरे हॉस्पिटलों में भेजा गया. एम्स के डॉक्टरों ने कहा जिन्होंने ओआरबीओ (ऑर्गन रिट्रीवल बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन) के प्रत्यारोपण समन्वयक के साथ समन्वय किया हुआ है.

ब्रेन डेड क्या होता है?

किसी भी व्यक्ति को जब ब्रेन डेड घोषित किया जाता है. इसका अर्थ होता है कि उसकी दिल की धड़कन अभी भी चल रही है. यानि वह वेंटिलेटर के जरिए अभी भी सांस ले रहा है. इस दौरान व्यक्ति का दिमाग पूरी तरह से मर जाता है लेकिन उसकी सांसे चल रही होती है. ब्रेन डेड के दौरान आपका दिमाग पूरी तरह से मर जाता है लेकिन आपकी सांसे चल रही होती है. यह तब होता है जब आपको स्ट्रोक, दिल का दौरा या सिर पर गंभीर चोट लगी हो. जब ब्रेन को बुरी तरह से चोट लगती है और इसकी वजह से दिमाग काम नहीं कर पाता है तो वैसी स्थिति में ब्रेन डेड कहा जाता है. 

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