निदेशक पद पर रहते हुए लापरवाही के जुर्म में भारतीय मूल के व्यक्ति को 4 सप्ताह की जेल

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सिंगापुर. भारतीय मूल के सिंगापुरी नागरिक को कंपनी के निदेशक पद पर रहते हुए लापरवाही बरतने के जुर्म में चार सप्ताह जेल की सजा सुनाई गई है. आरोपी की कंपनी को जर्मनी की कंपनी ‘वायरकार्ड एजी’ से दिसंबर 2014 से सितंबर 2015 के बीच पांच करोड़ 40 लाख यूरो से अधिक की राशि प्राप्त हुई.

‘द स्ट्रेट टाइम्स’ ने अपनी एक खबर में कहा कि तिलगरत्नम राजरत्नम प्रति माह 500 सिंगापुरी डॉलर के वेतन पर ‘स्ट्रैटेजिक कॉरपोरेट इन्वेस्टमेंट्स’ नामक कंपनी के निदेशक बनने के लिए सहमत हुए. नियुक्ति की शर्तों में यह भी शामिल था, कि वह कंपनी के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.

भुगतान सेवाएं देने वाली कंपनी ‘वायरकार्ड एजी’ ने जून 2020 में जर्मनी में एक याचिका दाखिल करके कहा कि उसके खातों से 1.9 अरब यूरो की रकम गायब है साथ ही कंपनी ने उसे दिवालिया घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया.

कंपनी के पूर्व मुख्य कार्यकारी मार्कस ब्राउन और कई अन्य शीर्ष अधिकारियों को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. तिलगरत्नम उस वक्त ‘स्ट्रैटेजिक कॉरपोरेट इन्वेस्टमेंट्स’ के प्रमुख थे लेकिन उन्हें यह नहीं पता था, कि कंपनी के खातों में वायरकार्ड से धन आया है और फिर उन खातों से धन को कई पक्षकारों को भेजा गया है.

अपराध के वक्त तिलगरत्नम का भाई आर. षणमुगरत्नम (58) ‘सिटाडेल कॉर्पोरेट सर्विसेज’ में निदेशक थे और कंपनी के ग्राहकों में ब्रिटॉन जेम्स हेनरी ओ सुलिवन (49) की स्वामित्व वाली कंपनियां शामिल थीं.
षणमुगरत्नम और ओ सुलिवन दोनों कथित तौर पर वायरकार्ड मामले में शामिल थे. उनके खिलाफ मामले लंबित हैं. तिलगरत्नम के मामले में उप सरकारी अभियोजक विंसेंट बोंग ने कहा कि उन्हें धोखे में रखकर कंपनी में निदेशक पद दिया गया और तिलगरत्नम ने भी कंपनी के कामकाज के बारे में गहनता से जांच नहीं की.

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