कैसे डूब जाते हैं बड़े-बड़े बैंक, अगर डूब जाए बैंक तो आपके पैसों का क्या होगा?

pic


नई दिल्ली: अमेरिका के दो बड़े बैंक सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) और सिग्नेचर बैंक (Signature Bank) दिवालिया हो गए। स्विस बैंक क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) डूबने की कगार पर पहुंच गया। बीते दो हफ्ते में अमेरिका और यूरोप के बैंकिंग सेक्टर में सुनामी आई हुई है। दुनियाभर के निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। उन्हें डर सता रहा है कि अगर उनके बैंक के साथ ऐसा हुआ तो क्या होगा। भारत के लोग भी ऐसी स्थिति से गुजर चुके हैं। कुळ साल पहले यस बैंक (Yes Bank)डूबने क कगार पर पहुंच गया था। सरकार और आरबीआई की वजह से बैंक तो बच गया, लेकिन लोगों के भीतर बैंक में जमा अपने पैसों को लेकर चिंता घर कर गई। सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं कि आखिर इतने बड़े-बड़े बैंक दिवालिया कैसे हो जाते हैं? बैंक के डूबने का मतलब क्या है? रातोंरात बैंक के बंद होने की नौबत कैसे आ जाती है? अगर कोई बैंक बंद हो जाए तो बैंक के खाते में पड़े उनके पैसों का क्या होगा? हम आपको इन सभी सवालों के बारे में डीटेल से बता रहे हैं।


क्या होता है बैंक का डूबना?

अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने के बाद लोगों के मन में सवाल फिर से उठे कि आखिर बैंक का डूबना होता क्या है। बैंक का डूबना, मतलब अगर कोई बैंक इस स्थिति में पहुंच जाए कि नियामक को उसे बंद करने का फैसला लेना पड़ा तो उसे बैंक फेल्योर यानी बैंक का डूबना कहते हैं। बैंक के दिवालिया होने पर रेगुलेटरी खाताधारकों और निवेशकों के हितों में बंद करने का फैसला ले लेती है। किसी भी देश के केंद्रीय बैंक के बाद ये अधिकार होता है कि वो बैंक को बंद करने का फैसला ले सकती है। नियामक ये फैसला उस वक्त लेती है, जब वो देखती है कि बैंक अपने ग्राहकों और निवेशकों की जरूरत को पूरा नहीं कर पाती है और उसे जारी रखना बैंक के खाताधारकों के लिए खतरनाक हो सकता है, तो अंतिम फैसला लेते हुए उसे बंद करने का फैसला लिया जाता है।

Navbharat TimesSVB बैंक बर्बादी की कहानी: वो शख्स जिसकी एक गलती से डूब गया अमेरिका का मजबूत बैंक, दुनियाभर में हाहाकार

कब डूब जाता है कोई बैंक

अगर किसी बैंक के पास अपने खाताधारकों और निवेशकों को देने के लिए नकदी नहीं है तो उस स्थिति में बैंक को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है। जब बैंक के पास उसकी संपत्ति से ज्यादा उसकी देनदानी हो जाती है और निवेशक अपना पैसा निकालने लगते हैं तो बैंक की आर्थिक स्थिति खराब होती चली जाती है। बैंक के पास नकदी का इतना संकट हो जाता है कि वो ग्राहकों के प्रति अपने दायित्व को भी नहीं निभा पाती तो बैंक को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है। बैंक का दिवालिया होना मतलब उसका डूबना है। बैंक के डूबते ही बैंक में जमा-निकासी पर पाबंदी लगा दी जाती है। बैंक की बैंकिंग सर्विसेज को रोक दिया जाता है। बैंक के क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग सभी बैंकिंग सर्विस तुरंत बंद कर दिए जाते हैं। उस देश की बैंकिंग नियामक स्थिति को देखते हुए ग्राहकों को एक निश्चित रकम ही अपने खाते से निकालने की इजाजत देती है।

क्यों डूब जाते हैं बैंक

कोई भी बैंक पैसों से चलता है। ग्राहकों के जमा पैसों पर उन्हें ब्याज देता है और उन पैसों को ऊंची ब्याज दरों के साथ उधार में और बॉन्ड में निवेश कर कमाई करता है। जब ग्राहकों का विश्वास बैंक से हिलने लगता है, उन्हें लगता है कि बैंक में जमा उनका पैसा सुरक्षित नहीं है और वो पैसा निकालन लगते हैं तो बैंक की चिंता बढ़ जाती है। इसे बैंक रन (Bank Run) कहा जाता है, जो किसी बैंक की चिंता बढ़ा देता है। इस स्थिति में बैंक को ग्राहकों का पैसा लौटाने के लिए अपने निवेश किए गए प्रतिभूतियों , बॉन्ड्स को को नुकसान में बेचना पड़ता है। ये नुकसान बैंक के लिए सबसे बड़ा खतरा होता है। जिसके चलते बैंक फेल हो जाते हैं।

Navbharat Timesक्रेडिट सुइस की वो गलती जिसने लिखी बैंक की बर्बादी की कहानी, ‘दुश्मन’ के हाथों बिकने पर हुआ मजबूर

अगर डूब जाए आपका बैंक तो आपके पैसों का क्या?

जिस बैंक में आपका खाता है , आपने पैसे जमा कर रखें हैं अगर वो बैंक डूब जाए तो क्या होगा? भारत में इसके लिए कानून है। बैंक के डूबने पर बैंक खातों को फ्रीज कर दिया जाता है, यानी आप पैसा निकाल नहीं सकते हैं। दिवालिया हुए बैंक के खाताधारकों को RBI की जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम यानी DICGC के तहत 5 लाख रुपये तक की सुरक्षित राशि वापस कर दी जाती है। यानी आपके बैंक खाते में जमा 5 लाख रुपये आपको निश्चित तौर पर मिल जाएंगे। इससे ऊपर की रकम बैंक की स्थिति सुधरने या बैंक के दूसरे बैंकों में विलय के बाद आपको मिल सकती है। यानी आपके बैंक खाते में अधिकतम 5 लाख रुपये तक की रकम सुरक्षित है। वहीं अमेरिकी में जब साल 2001 से 2009 के बीच में 563 बैंक फेल हो गए थे तो अमेरिकी सरकार ने फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (FDIC) को लागू किया। सिक्योरिटीज इन्वेस्टर प्रोटेक्शन कॉरपोरेशन के तहत अमेरिका में बैंक खाताधारकों को 2.5 लाख डॉलर तक निकालने की छूट मिली।

Navbharat Timesकंपनी यहां और खाता अमेरिका में! तो क्या US में बैंक डूबने से भारत में बवंडर मचना तय है?



Source link