सरकार नहीं करती यह काम तो 45 रुपये तक पहुंच सकता था गेहूं का दाम… जानिए किसने किया यह दावा

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नई दिल्ली:गेहूं की कीमत (wheat price) जनवरी में रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। इसे काबू में करने के लिए सरकार ने खुले बाजार में 50 लाख टन की बिक्री की घोषणा की। इससे पिछले दो महीनों में थोक और खुदरा बाजारों में गेहूं और आटे की कीमत में 6-8 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है। रोलर फ्लोर मिलर्स के संगठन रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (Roller Flour Millers Federation of India) ने यह दावा किया है। उसका कहना है कि अभी देश में आटे की कीमतें 2600-3000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रही हैं, जबकि जनवरी के मध्य में यह 3400-3800 रुपये प्रति क्विंटल थी। फेडरेशन ने आटा, मैदा और सूजी सहित गेहूं और गेहूं से बने उत्पादों पर अगले फाइनेंशियल ईयर में भी निर्यात पर पांबदी बनाए रखने की मांग की है।

फेडरेशन ने एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि 26 जनवरी, 2023 को घोषित ओपन मार्केट सेल्स स्कीम के कारण पूरे भारत में गेहूं और गेहूं उत्पादों की कीमतों में 600-800 रुपये प्रति क्विंटल की कमी आई है। इससे आम लोगों और उद्योग जगत को राहत मिली है। फेडरेशन ने यह भी बताया कि आगामी सीजन के लिए गेहूं का रकबा करीब 343.23 लाख हेक्टेयर रहने की उम्मीद है। समय से पहले गर्मी पड़ने के बावजूद इस बार 10.6-11 करोड़ टन रेकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है। सरकार ने 3.4 करोड़ टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है।

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45 रुपये तक पहुंच जाती कीमत

सरकार ने 26 जनवरी, 2023 से खुले बाजार में गेहूं की बिक्री शुरू की थी, जिससे गेहूं और गेहूं उत्पादों की कीमतों में गिरावट आई है। इससे उपभोक्ताओं और आटा मिलों को राहत मिली है। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट प्रमोद कुमार एस ने कहा कि कम स्टॉक के बावजूद व्यापक परामर्श के बाद सरकार ने एफसीआई को केंद्रीय पूल स्टॉक से 50 मीट्रिक टन गेहूं को बाजार में उतारने की अनुमति दी। केंद्र के समय पर हस्तक्षेप से न केवल गरीब, निम्न और मध्यम वर्ग को राहत मिली है, बल्कि ब्रेड और बिस्किट सहित कई तरह के उद्योगों को भी फायदा हुआ है।

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फेडरेशन के सीनियर वाइस-प्रेसिडेंट नवनीत चितलांगिया ने कहा कि जिन राज्यों में सेंट्रल पूल से गेहूं मांग के अनुरूप उतारा गया है, वहां थोक बिक्री बाजार में वर्तमान में गेहूं की दर 23-24 रुपये प्रति किग्रा रुपये तक नीचे आ गई है। इसी तरह जिन राज्यों में माल उतारने की प्रक्रिया चल रही है, वहां भाव 24-25 रुपये प्रति किग्रा है। यदि सरकार ने समय पर हस्तक्षेप न किया होता, तो कीमतें 40-45 रुपये प्रति किग्रा तक जा सकती थीं। इस साल जनवरी के अंत में शुरू हुई ई-नीलामी प्रक्रिया के जरिए एफसीआई लगभग 32-33 लाख टन गेहूं पहले ही बाजार में उतार चुका है।



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