श्रीलंका ने चीन से कर्ज लेकर बनाया था 350 मीटर ऊंचा टावर, देश डुबाने में इसका भी था बड़ा हाथ

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स्टैचू ऑफ यूनिटी से दोगुनी ऊंची

स्टैचू
ऑफ
यूनिटी
से
दोगुनी
ऊंची

इस
टावर
की
विशालता
का
अंदाजा
इस
बात
से
लगाया
जा
सकता
है
कि
इसकी
ऊंचाई
भारत
के
सबसे
ऊंचे
स्टैचू
ऑफ
यूनिटी
से
लगभग
दोगुनी
है।
इतनी
ऊंचाई
का
टावर
भारत
में
भी
अब
तक
नहीं
बन
पाया
है।
इस
टावर
का
निर्माण
चीन
के
बेल्‍ट
एंड
रोड
इनीशिएटिव
(बीआरआई)
के
तहत
किया
गया
है।
भारत
शुरुआत
से
चीन
के
इस
प्रोजेक्‍ट
का
विरोध
करता
रहा
है।
इस
टावर
का
निर्माण
दस
साल
पहले
तत्कालीन
राष्ट्रपति
महिंदा
राजपक्षे
के
कार्यकाल
में
शुरू
हुआ
था।
इसके
बाद
से
ही
यह
भ्रष्टाचार
के
दावों
से
ग्रसित
है।

टावर के रखरखाव की लागत चुकाना मुश्किल

टावर
के
रखरखाव
की
लागत
चुकाना
मुश्किल

इस
टावर
चीनी
ऋण
के
साथ
निर्मित
उन
कई
‘सफेद
हाथी’
परियोजनाओं
में
से
एक
है।
राज्य
के
स्वामित्व
वाली
कोलंबो
लोटस
टावर
मैनेजमेंट
कंपनी
ने
कहा
कि
उन्होंने
गुरुवार
से
आगंतुकों
के
लिए
अपना
डेक
खोलने
और
नुकसान
को
कम
करने
के
लिए
टिकटों
की
बिक्री
शुरू
करने
का
फैसला
किया
है।
मुख्य
कार्यकारी
प्रसाद
समरसिंघे
ने
कहा
कि
हम
इसे
बंद
नहीं
रख
सकते।
इस
टावर
के
रखरखाव
की
लागत
बहुत
अधिक
है।

टावर बनाने में 80 फीसदी हिस्सा चीन का

टावर
बनाने
में
80
फीसदी
हिस्सा
चीन
का

संचालक
का
कहना
है
कि
संचार
टावर
के
रूप
में
यह
किसी
काम
का
नहीं
है
ऐसे
में
हम
इस
टावर
को
मनोरंजन
का
केंद्र
बनाना
चाहते
हैं।
करीब
113
मिलियन
डॉलर
की
लागत
से
तैयार
हुए
इस
लोटस
टावर
के
निर्माण
में
80
फीसदी
धनराशि
चीन
ने
प्रदान
की
है।
30,600
वर्ग
मीटर
में
बने
इस
टावर
में
एक
होटल,
टेलिकम्‍युनिकेशन
म्‍यूजियम,
ऑडिटोरियम,
ऑब्‍जर्वेशन
टावर,
मॉल
शामिल
हैं।
श्रीलंका
के
पूर्व
राष्‍ट्रपति
मैत्रिपाला
सिरीसेना
ने
इस
टावर
के
निर्माण
से
जुड़ी
चीनी
कंपनी
पर
11
मिलियन
डॉलर
के
घपले
का
आरोप
लगा
चुके
हैं।

पूर्व राष्ट्रपति ने लगाया था भ्रष्ट्राचार का आरोप

पूर्व
राष्ट्रपति
ने
लगाया
था
भ्रष्ट्राचार
का
आरोप

राष्‍ट्रपति
सिरीसेना
ने
आरोप
लगाते
हुए
कहा
कि
2012
में
शुरू
हुए
इस
प्रोजेक्‍ट
के
लिए
चाइना
एक्जिम
बैंक
से
16
मिलियन
रुपए
का
कर्ज
लिया
गया
था।
राष्‍ट्रपति
ने
कहा
कि
त्रिपक्षीय
समझौते
के
तहत
चीनी
कंपनी
को
11
मिलियन
डॉलर
दिए
गए
थे।
लेकिन
यह
कंपनी
गायब
हो
गई।
जब
सरकार
ने
इस
घपले
की
जांच
की
तो
पता
चला
कि
चीन
में
इस
नाम
की
कोई
कंपनी
है
ही
नहीं।



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