SC Judges : 15 राज्यों से आते हैं सुप्रीम कोर्ट के 34 जज, जानिए किस राज्य से सबसे अधिक

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जजों की नियुक्ति में CJI का 'भागीरथ यत्न'

जजों की नियुक्ति में CJI का ‘भागीरथ यत्न’

सुप्रीम कोर्ट की बात होते ही सबसे पहले प्रधान न्यायाधीश, यानी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) की तस्वीर जेहन में उभरती है। फिलहाल, आंध्र प्रदेश के रहने वाले न्यायविद् जस्टिस एनवी रमना सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस का ओहदा संभाल रहे हैं। न्यायमूर्ति एनवी रमना का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था। विज्ञान में ग्रैजुएशन (B.Sc.) के बाद उन्होंने कानून की डिग्री ली। फरवरी, 1983 में उन्होंने वकील के रूप में पंजीकरण कराया। इसके बाद आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में वकालत की। सर्वोच्च न्यायालय में रमना ने सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, श्रम, सर्विस और चुनावी मामलों में पैरवी करते दिखे। संवैधानिक, आपराधिक, सर्विस और अंतर-राज्यीय नदी कानूनों में विशेषज्ञता रखने वाले रमना पहली बार वर्ष 2000 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में न्यायाधीश बने।

  • 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने।
  • फरवरी, 2014 में सुप्रीम कोर्ट जज बने।
  • न्यायमूर्ति रमना ने अप्रैल, 2021 में भारत के 48 वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली।
  • सीजेआई एनवी रमना की अगुवाई वाली पांच जजों की कॉलेजियम की सिफारिश के बाद अगस्त, 2021 से अब तक 11 सुप्रीम कोर्ट जजों की नियुक्ति।
  • न्यायमूर्ति रमना के चीफ जस्टिस बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम अब तक उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए 180 नामों की सिफारिश कर चुकी है।
  • अगस्त, 1957 में जन्मे जस्टिस एनवी रमना चीफ जस्टिस के रूप में 26 अगस्त, 2022 को रिटायर होंगे।

गौरतलब है कि जस्टिस एनवी रमना न्यायपालिका में लंबित मामलों को लेकर कई बार चिंता जता चुके हैं। अदालतों में खाली पदों को भरने के लिए उनकी अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने तेज गति से न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश की है। गत दिनों एक साथ नौ जजों का शपथ ग्रहण अदालत के इतिहास में पहली घटना बनी।

राष्ट्रीय राजधानी के 5 न्यायविद सुप्रीम कोर्ट जज

राष्ट्रीय राजधानी के 5 न्यायविद सुप्रीम कोर्ट जज

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस संजीव खन्ना या तो दिल्ली में जन्मे हैं या इन लीगल प्रोफेशनल्स ने दिल्ली के कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की है। जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता भी जज रह चुके हैं। मई, 2016 में जस्टिस चंद्रचूड़ पहली बार सुप्रीम कोर्ट जज बने। इससे पहले वे उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस थे।

सुप्रीम कोर्ट जज बनने से पहले जस्टिस हृषिकेश रॉय 2008 में असम की गौहाटी हाईकोर्ट में स्थायी जज नियुक्त किए गए थे। रॉय सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमिक काउंसिल (NJAC) में भी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने केरल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी सेवाएं दीं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून में स्नातक की डिग्री (एलएलबी) हासिल की।

जस्टिस संजय किशन कौल 2012 में दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत रहे। इसके बाद वे पंजाब और हरियाण हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 2014 में कौल ने मद्रास उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। 2017 में जस्टिस कौल सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किए गए।

जस्टिस हिमा कोहली 2021 में तेलंगाना उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश बनीं थीं। सितंबर, 1959 में दिल्ली में, जन्मीं जस्टिस कोहली, की स्कूली शिक्षा सेंट थॉमस स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में पीजी की पढ़ाई पूरी की। कानून की पढ़ाई (एल.एल.बी.) के लिए उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के ही लॉ फैकल्टी, कैंपस लॉ सेंटर का रूख किया और वर्ष 1984 में कानून की डिग्री हासिल की।

जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म मई, 1960 में हुआ। उन्होंने 1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री लेने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई पूरी की। 1983 में उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकरण कराया। 21 वर्षों की वकालत के बाद जून, 2005 में जस्टिस खन्ना दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश बने। हाईकोर्ट में स्थायी न्यायाधीश बनने के बाद जनवरी, 2019 में जस्टिस खन्ना सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए।

सुप्रीम कोर्ट में तेलुगु भाषी राज्यों के चार लीगल प्रोफेशनल्स

सुप्रीम कोर्ट में तेलुगु भाषी राज्यों के चार लीगल प्रोफेशनल्स

जस्टिस एनवी रमना के अलावा गत वर्ष सुप्रीम कोर्ट जस्टिस के रूप में शपथ लेने वालीं न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना शीर्ष अदालत पहुंचने से पहले कर्नाटक हाईकोर्ट की जज थीं। हाईकोर्ट के जजों की वरिष्ठता के मामले में वह देशभर में 33वें स्थान पर हैं. उन्होंने 1987 में वकालत शुरू की थी. 23 वर्षों की वकालत के बाद बीवी नागरत्ना पहली बार हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त की गईं। 17 फरवरी 2010 को स्थायी जज बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने नागरत्ना को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने की सिफारिश की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नागरत्ना भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने का गौरव हासिल कर सकती हैं। वरिष्ठता क्रम के मुताबिक जस्टिस नागरत्ना, फरवरी 2027 से अक्टूबर 2027 तक सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस का पद संभाल सकती हैं.जस्टिस बीवी नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ईएस वेंकटरमैया की बेटी हैं.

आंध्र प्रदेश या तेलंगाना से ताल्लुक रखने वाले दो अन्य न्यायाधीश जस्टिस एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति पीएस श्रीनरसिम्हा हैं। जस्टिस नरसिम्हा बार से बेंच तक पहुंचने वाले पहले न्यायाधीश हैं। एडिशनल सॉलिसीटर जनरल के रूप में सेवा दे चुके नरसिम्हा अगस्त, 2021 में 9 जजों के सुप्रीम कोर्ट जज बनने के समय ही शीर्ष अदालत पहुंचे हैं।

महाराष्ट्र से जुड़े चार कानूनविद सुप्रीम कोर्ट जज

महाराष्ट्र से जुड़े चार कानूनविद सुप्रीम कोर्ट जज

जस्टिस उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और अमरावती से आने वाले जस्टिस भूषण रामकृष्ण (बीआर) गवई सुप्रीम कोर्ट में सेवाएं दे रहे हैं।

सर्वोच्च न्यायालय में कर्नाटक के न्यायाधीश

सर्वोच्च न्यायालय में कर्नाटक के न्यायाधीश

न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भाटी और जस्टिस ए सोमैया बोपन्ना कर्नाटक से सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

गुजरात के तीन कानूनविद सुप्रीम कोर्ट जज

गुजरात के तीन कानूनविद सुप्रीम कोर्ट जज

जस्टिस जमशेद बुर्जोर पार्डीवाला (Justice Jamshed Burjor Pardiwala) की नियुक्ति संबंधी अधिसूचना जारी हो चुकी है। गुजरात हाईकोर्ट में पदस्थापित जस्टिस पार्डीवाला पारसी समुदाय से आते हैं। जस्टिस पार्डीवाला सुप्रीम कोर्ट जज बनने चौथे पारसी होंगे। न्यायमूर्ति पार्डीवाला वकीलों के परिवार में चौथी पीढ़ी के लीगस प्रोफेशनल हैं। उनके पिता बुर्जोर कावासजी पार्डीवाला ने वलसाड और नवसारी जिलों में 52 वर्षों तक वकालत की थी। जस्टिस जेबी पार्डीवाला के दादा और परदादा भी वकील थे। दोनों वलसाड और नवसारी जिलों में वकालत करते थे। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक संभावना है कि जस्टिस पार्डीवाला भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में लगभग दो साल और तीन महीने का कार्यकाल संभालेंगे। यह भी दिलचस्प है कि अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले किसी जज का सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन पांच साल के लंबे अंतराल के बाद हो रहा है। इससे पहले न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर फरवरी, 2017 में सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किए गए थे।

जस्टिस पार्डीवाला के अलावा दो अन्य न्यायमू्ति- न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस मुकेश कुमार रसिकभाई शाह (Justice MR Shah) भी गुजरात से आते हैं।

उच्चतम न्यायालय में उत्तर प्रदेश से जुड़े तीन कानूनी दिग्गज

उच्चतम न्यायालय में उत्तर प्रदेश से जुड़े तीन कानूनी दिग्गज

यूपी जनसंख्या और लोक सभा सीटों के मामले में भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है। अदालतों में लंबित मामलों का दबाव कम करने और राज्य के लोगों का हित देखते हुए यूपी में हाईकोर्ट की दो बेंच- इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ बेंच। लंबे समय से और बेंच बनाने की मांग की जा रही है, लेकिन अभी यह लंबित है। इतने बड़े प्रदेश से तीन लीगल प्रोफेशनल्स सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।

शीर्ष अदालत में पश्चिम बंगाल के न्यायाधीश

शीर्ष अदालत में पश्चिम बंगाल के न्यायाधीश

जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस इंदिरा बनर्जी पश्चिम बंगाल से जुड़े हैं। जस्टिस इंदिरा बनर्जी उन तीन जजों में शामिल हैं, जिनकी हाल ही में पदोन्नति हुई है। जस्टिस बनर्जी ने अगस्त, 2021 में जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस हिमा कोहली के साथ सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में शपथ ली थी।

तमिलनाडु से लीगल प्रोफेशनल्स, जो बने सुप्रीम कोर्ट जस्टिस

तमिलनाडु से लीगल प्रोफेशनल्स, जो बने सुप्रीम कोर्ट जस्टिस

चेन्नई से जुड़े न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और मद्रास लॉ कॉलेज के पूर्व छात्र न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम सुप्रीम कोर्ट जस्टिस के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बनने वाले केरल के कानूनी दिग्गज

सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बनने वाले केरल के कानूनी दिग्गज

न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ (KM Joseph) और न्यायमूर्ति सी.टी. रवि कुमार गॉड्स ओन कंट्री कहे जाने वाले मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर प्रदेश केरल से जुड़े हैं। दोनों सुप्रीम कोर्ट जस्टिस के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।

राजस्थान से आने वाले सुप्रीम कोर्ट जज

राजस्थान से आने वाले सुप्रीम कोर्ट जज

न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी उदयपुर से जुड़े हैं। उनके अलावा राजस्थान से जुड़े जस्टिस अजय रस्तोगी भी सुप्रीम कोर्ट में सेवाएं दे रहे हैं।

पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड के एक-एक जस्टिस

पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड के एक-एक जस्टिस

गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की अधिसूचना जारी हो चुकी है। वे देवभूमि के रूप में मशहूर उत्तराखंड से सुप्रीम कोर्ट जज बनने वाले मात्र दूसरे न्यायाधीश हैं।

  • साल 2004 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित।
  • नवंबर 2008 में उत्तराखंड के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति।
  • गौहाटी उच्च न्यायालय (असम, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश हाईकोर्ट) के मुख्य न्यायाधीश 10 जनवरी, 2021 को बने।

जस्टिस धूलिया की प्रारंभिक शिक्षा देहरादून और इलाहाबाद में हुई, जिसके बाद वे सैनिक स्कूल, लखनऊ गए। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन और कानून की डिग्री हासिल की। स्कूल और कॉलेज के दिनों में धूलिया बहस में बढ़-चढ़ कर भाग लेते थे। कानून की डिग्री लेने के बाद उत्तराखंड उच्च न्यायालय में उन्होंने पहले मुख्य स्थायी वकील और बाद में उत्तराखंड राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता (Additional Solicitor General) के रूप में सेवाएं दीं।

जस्टिस धूलिया के अलावा पंजाब के जस्टिस हेमंत गुप्ता, हरियाणा के न्यायमूर्ति सूर्य कांत, मध्य प्रदेश के न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी भी सुप्रीम कोर्ट जज हैं।

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