![Sangrur Biogas Plant : शुरू हुआ एशिया का सबसे बड़ा बायो गैस प्लांट, पराली से बनी गैस CNG-LPG की तरह होगी यूज, जानिए कैसे करेगा काम 1 pic](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-94964704,imgsize-20664/pic.jpg)
पंजाब हरियाणा में कई हफ्तों तक पराली जलती रहती है। इसका धुआं दिल्ली-एनसीआर में फैलता है। दिल्ली में वायु प्रदुषण बढ़ने के कारण देशभर में पराली जलाने पर प्रतिबंध है। लेकिन किसानों का कहना है कि धान की कटाई के बाद बचे ठंठ के निस्तारण के लिए उनके पास कोई किफायती उपाय नहीं है। ऐसे में इसे जलाना ही पड़ता है। संगरूर के कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट से बड़े पैमाने पर पराली का कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा।
कैसे करेगा काम
संगरूर के बायो गैसे प्लांट में कन्वेयर बेल्ट के जरिए पराली के भारी गट्ठरों को क्रशिंग मशीन में भेजा जाएगा। यह क्रशिंग मशीन पराली को बुरादे में बदलेगी। इसके बाद भारी-भरकम कंटेनरों में इस बुरादे को गोबर के पानी के साथ मिला कर रखा जाता है। इससे बैक्टीरिया के जरिए बायोगैस बनाई जाती है। इस तरह पराली से बायो गैस बनती है। इस बायो गैस को कंप्रेस्ड करके सीएनजी की तरह गाड़ियों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
किसानों की होगी कमाई
यह बायोगैस प्लांट किसानों की इनकम भी बढ़ाएगा। किसान जब पराली को प्लांट में देंगे, तो उन्हें इसके बदले में पैसे भी मिलेंगे। खास बात यह है कि खेतों से पराली के गट्ठर तैयार करके इसे प्लांट तक लाने की पूरी जिम्मेदारी प्लांट की ही होती है। बता दें कि इस प्लांट में व्यावसायिक उत्पादन अगस्त से शुरू हो चुका है। यह प्लांट इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) को कंप्रेस्ड बायो गैस की आपूर्ती कर रहा है।
कितनी है क्षमता
संगरूर के बायोगैस प्लांट में रोजाना 300 टन पराली से 33 टन कंप्रेस्ड बायोगैस तैयार की जा सकती है। वर्तमान में यह प्लांट 702 टन पराली से 8 टन बायोगैस तैयार कर रहा है। पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि जल्द ही इस प्लांट से पूरी 33 टन गैस रोजाना खरीदी जाएगी।