Republic Day 2023: ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या है अंतर? 26 जनवरी को राष्ट्रपति फहराते हैं फ्लैग..


गणतंत्र दिवस का महत्व

गणतंत्र दिवस का महत्व

26 जनवरी का दिन पूरे देशवासियों के लिए बहुत मायने रखता है। इस दिन का इंतजार सभी को बेसब्री से रहता है। 26 जनवरी के अहम दिन देश की राजधानी दिल्ली के राजपथ पर देश की सांस्कृतिक विविधता में एकता, अखंडता और सेना की ताकत की झलक दिखाई देती है। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ था। ऐसे में हर साल इस दिन को मनाने के लिए पहले से ही खास तैयारियां की जाती हैं।

ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या है फर्क?

ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या है फर्क?

हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी के मौके पर झंडा फहराया जाता है। आपने ध्वजारोहण और झंडा फहराने के बारे में सुना होगा। ऐसे में कई बार लोग दोनों को एक ही समझने की गलती कर बैठते हैं। लेकिन ध्वजारोहण और झंडा फहराने में बहुत फर्क है। दरअसल, जब तिरंगे को नीचे से रस्सी के जरिये खींचकर फहराया जाता है, तो ध्वजारोहण कहते हैं। लेकिन 26 जनवरी को तिरंगा ऊपर ही बंधा होता है, जिसे खोलकर फहराया जाता है। इसे झंडा फहराना कहते हैं।

राष्ट्रपति ही क्यों फहराते हैं तिरंगा?

राष्ट्रपति ही क्यों फहराते हैं तिरंगा?

26 जनवरी के दिन देश के माननीय राष्ट्रपति ध्वज फहराते हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि इस दिन राष्ट्रपति ही क्यों तिरंगा फहराते हैं? दरअसल, 1950 से पहले प्रधानमंत्री राज्य के मुखिया हुआ करते थे। यही कारण था कि पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण करते थे। इसके बाद साल 1950 में जब संविधान लागू हुआ, तब देश के पहले राष्ट्रपति के तौर पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पहली बार तिरंगा फहराया था।

तिरंगा फहराने का निश्चित समय क्यों?

तिरंगा फहराने का निश्चित समय क्यों?

राष्ट्रीय ध्वज फहराने के समय के लिए कुछ नियम हैं। इस नियम के तहत भारतीय नागरिक भी झंडा फहरा सकते हैं। भारतीय ध्वज संहिता 2002 में कहा गया है कि सार्वजनिक, निजी संगठन या शैक्षणिक संस्थान का कोई भी सदस्य किसी भी दिन और अवसर पर झंडा फहरा सकता है, जब तक कि वो ध्वज सम्मान के तौर पर फहराया जा सके। इसके साथ ही नियम के मुताबिक, सूर्यास्त के बाद तिरंगा नहीं फहराया जा सकता।

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इस बार कौन है मुख्य अतिथि?

इस बार कौन है मुख्य अतिथि?

इस बार जब देश आजादी के 75 साल पूरे करने जा रहा है, तो गणतंत्र दिवस के मुख्य अवसर पर मिश्र देश के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सिसी को मुख्य अतिथि बनाया गया है। उनका मुख्य अतिथि होना कई मायनों में बहुत अहम है। मिश्र एक ऐसा देश है, जो पाकिस्तान के दुष्प्रचार को नकारता है। वहीं इस गणतंत्र दिवस पर मिश्र और भारत के बीच छह क्षेत्रों कृषि, साइबर संस्कृति, सूचना प्रौद्योगिकी, प्रसारण और युवा क्षेत्रों में द्विपक्षीय समझौते हो सकते हैं।



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