यूक्रेन जंग के बीच भारत-चीन के साथ रूस कर रहा सैन्य अभ्यास, पुतिन ने लिया जायजा

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मॉस्को. यूक्रेन और रूस के बीच जंग (Russia-Ukraine War) को 6 महीने से ज्यादा का वक्त हो रहा है. इस बीच रूस के कई देशों की सेनाओं के साथ वोस्टॉक सैन्य अभ्यास (Military Exercises) करने के फैसले ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने मंगलवार को वोस्टॉक में सैन्य अभ्यास का जायजा लिया. इस सैन्य अभ्यास की शुरुआत 1 सितंबर को रूस के पूर्वी सैन्य जिले में हुई. ये अभ्यास 7 सितंबर तक जारी रहेगा.

‘द इंडिपेंडेंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, वोस्टॉक-2022 में हिस्सा लेने वाले देशों में भारत, चीन, अल्जीरिया, आर्मेनिया, अज़रबैजान, बेलारूस, कज़ाख़स्तान, कीर्गिस्तान, लाओस, मंगोलिया, निकारागुआ, सीरिया और ताजिकिस्तान शामिल हैं. दिलचस्प बात ये भी है कि भारत और चीन के बीच पिछले दो साल से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चल रहे गतिरोध का पूरा समाधान न होने के बावजूद दोनों देशों की सेनाएं वोस्टॉक सैन्य अभ्यास में एक साथ अभ्यास कर रही हैं. भारत ने भारतीय सेना की गोरखा राइफ़ल्स के सैनिकों की एक टुकड़ी भेजी है.

इस सैन्य अभ्यास में 50 हजार सैनिक और 5 हजार हथियार शामिल हैं. 140 एयरक्राफ्ट और 60 जंगी जहाजों को भी इसमें शामिल किया गया है. यूक्रेन में छिड़ी जंग के बीच इसे दुनिया के बड़े ताकतों को अपने पाले में लाने के लिए रूस की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

वहीं, चीनी समाचार रिपोर्टों के अनुसार, बीजिंग ने 300 से अधिक सैन्य वाहनों, 21 लड़ाकू विमानों और तीन युद्धपोतों के साथ 2,000 से अधिक सैनिकों को अभ्यास में भाग लेने के लिए भेजा है. युद्धाभ्यास के हिस्से के रूप में जापान के सागर में रूसी और चीनी नौसेनाओं ने समुद्री संचार की रक्षा और तटीय क्षेत्रों में जमीनी बलों के समर्थन के लिए संयुक्त कार्रवाई का अभ्यास किया.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पूर्व कम्युनिस्ट प्रतिद्वंद्वियों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए मजबूत व्यक्तिगत संबंध विकसित किए हैं, क्योंकि वे दोनों अमेरिका के साथ प्रतिद्वंद्विता में हैं. भले ही मॉस्को और बीजिंग ने अतीत में एक सैन्य गठबंधन को खारिज कर दिया था. लेकिन अब अमेरिका को पीछे करने के लिए रूस और चीन साथ आ गए हैं, ऐसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

फरवरी में पुतिन द्वारा यूक्रेन में अपने सैनिकों को भेजने के बाद से दुनिया भर के देशों ने उनकी आलोचना की, लेकिन चीन इससे दूर रहा. चीन ने स्पष्ट रूप से रूस के कार्यों की आलोचना करने से इनकार कर दिया था. वहीं, चीन ने मॉस्को को उकसाने के लिए अमेरिका और नाटो को दोषी ठहराया था. साथ ही रूस के खिलाफ दंडात्मक पश्चिमी प्रतिबंधों को खारिज कर दिया था.

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