Petrol Diesel High Price: पेट्रोल की कीमत में लगी आग तो घोड़े से काम पर जाने लगे युसुफ, अब बाइक की तुलना में बचते हैं ढेर सारे पैसे

pic


मुंबई: यूपी-उत्तराखंड समेत 5 राज्यों में चुनाव (Election in 5 states) से पहले तक डीजल-पेट्रोल की कीमतों में ऐसी आग (Petrol Diesel High Price) लगी थी, जिसने पूरे देश के लोगों को चिंता में डाल दिया था। मोदी सरकार और तमाम राज्य सरकारों ने बाद में टैक्स घटाए, जिससे कुछ राहत मिली, लेकिन दाम अभी भी आसमान पर ही हैं। वहीं कच्चा तेल (Crude Oil) काफी महंगा हो गया है, जिससे डीजल-पेट्रोल के एक बार फिर महंगे होने की चिंता सताने लगी है। इसी बीच महाराष्ट्र के औरंगाबाद के एक शख्स शेख युसुफ की खूब चर्चा हो रही है, जो कार या बाइक नहीं बल्कि घोड़े से अपने काम पर जाते हैं। वह शख्स ‘घोड़े वाला’ के नाम से चर्चित हो गए हैं।

कोरोना काल में शुरू हुई ये कहानी

navbharat times

इस कहानी की शुरुआत हुई कोरोना काल में, जब मोदी सरकार ने मार्च 2020 में लॉकडाउन लगाया। सब बंद हो गया, जिसके चलते 49 साल के युसुफ शेख को अपनी लैब असिस्टेंट की नौकरी गंवानी पड़ी। अब पैसे आना बंद हो चुके थे, लेकिन उनके घर के खर्चे थे, लोन थे, तभी उन्हें ‘जरूरी सेवाओं’ के बारे में पता चला। कोरोना काल में मोदी सरकार ने जरूरी चीजें मुहैया कराने वाली दुकानों, सब्जी वालों, मेडिकल स्टोर आदि को बंद नहीं किया था। ऐसे में शेख युसुफ ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर सब्जी बेचने का काम शुरू किया और कुछ पैसों का इंतजाम होने लगा।

और इस तरह उन्हें याद आया घोड़ा

navbharat times

कुछ महीनों बाद कुछ लोगों को काम पर वापस लौटने की छूट मिल गई। युसुफ को भी वाईबी चवन कॉलेज ऑफ फार्मेसी से बुलावा आया, जहां वह लैब असिस्टेंट का काम करते थे। अब दिक्कत ये भी कि लैब उनके घर से करीब 16 किलोमीटर दूर थी, वहां जाने के साधन की दिक्कत थी। युसुफ के बाद एक पुरानी बाइक थी, लेकिन पेट्रोल की ऊंची कीमतों (करीब 111 रुपये) के चलते उन्होंने लंबे वक्त तक बाइक को चलाया ही नहीं। काफी समय से बाइक पड़े-पड़े खराब हो गई थी। उस वक्त ऐसी दुकानें भी नहीं खुली थीं, जो बाइक को सही कर सके। तब उन्हें घोड़े की याद आई।

रिश्तेदार से खरीदा घोड़ा, उसी से जाते हैं लैब

navbharat times

युसुफ के एक रिश्तेदार के पास काठियावाड़ी ब्रीड का एक काले रंग का घोड़ा था, जिसे वह 40 हजार रुपये में बेच रहे थे। युसुफ ने अपनी बाइक बेची और रिश्तेदार से कुछ किस्तों में पैसे देने की बात कर के घोड़ा खरीद लिया। अब मई 2020 में युसुफ के पास कहीं आने-जाने के लिए ‘जिगर’ नाम का घोड़ा था। उसी घोड़े से वह लैब जाने लगे। कुछ ही दिनों में लोग उन्हें ‘घोड़े वाला’ के नाम से जानने लगे।

अब नहीं खरीदेंगे बाइक, घोड़े से बचता है बहुत सारा पैसा

navbharat times

युसुफ जिगर को ट्रैफिक से दूर सड़क किनारे ही रखते हैं। कॉलेज में भी उन्हें जिगर को रखने के लिए एक स्टोर रूम मिल गया। युसुफ वहां पर जिगर को कुछ खाने के साथ बांध देते। बीच-बीच में एक-दो बार वह जिगर को पानी पिला देते हैं। अब तमाम तरह की कार, बाइक से लेकर बस तक सड़क पर उतर चुके हैं, लेकिन युसुफ अपने घोड़े से ही कहीं भी आते-जाते हैं। अभी की बात करें तो शायद ही अब युसुफ अपने लिए दोबारा बाइक खरीदें। उन्होंने बाइक के लिए 4 हजार रुपये महीने का खर्च तय किया था, लेकिन उनका खर्च हर महीने 6 हजार रुपये तक जा पहुंचा। वहीं घोड़े पर उन्होंने महज 40 रुपये रोज यानी करीब 1200 रुपये महीने का खर्च आता है। वहीं जहां पर युसुफ रहते हैं, वहां आस-पास खूब घास के मैदान हैं, तो उनके घोड़े को खाने की भी कमी नहीं होती है। अब युसुफ कहते हैं कि उन्हें बाइक की जरूरत नहीं, काम पर जाने के लिए उनके पास घोड़ा है।

यह वीडियो भी देखें

Russia और Ukraine की लड़ाई से एशिया में सबसे अधिक भारत पर पडे़गा असर!



Source link