Pakistan Supreme Court on Imran Khan No Confidence-Motion: पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट से इमरान को बड़ा झटका, 9 अप्रैल को करना होगा अविश्वास प्रस्ताव का सामना

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Pakistan Supreme Court's verdict on no-confidence motion against Imran Khan- India TV Hindi
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Pakistan Supreme Court’s verdict on no-confidence motion against Imran Khan

Highlights

  • सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने को लेकर दिया फैसला
  • इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हुई सुनवाई
  • डिप्टी स्पीकर ने अपना काम ठीक से नहीं किया: कोर्ट

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में जारी सियासी और संवैधानिक संकट को लेकर आज पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान की असेंबली को दोबारा बहाल करने का फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि चुनाव कराने का फैसला चुनाव आयोग ही करेगा। साथ ही कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर द्वारा अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने का फैसला कानून के खिलाफ करार दिया है। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों ने एक मत से ये फैसला दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद इमरान खान 9 अप्रैल को दोबारा अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल डिप्टी स्पीकर पर बरसे। उन्होंने कहा कि संसद भंग करने का उनका फैसला गलत था, उन्होंने अपना काम ठीक से नहीं  किया। पाकिस्तान की संसद भंग कर दी गई है और 90 दिनों के अंदर वहां चुनाव होने हैं। सुनवाई के दौरान पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम में 90 दिनों के लिए देश को बेसहारा छोड़ दिया गया है।

न्यायमूर्ति मंदोखाइल ने रेखांकित किया भले तीन अप्रैल को उपाध्यक्ष सूरी ने प्रधानमंत्री खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने की व्यवस्था दी लेकिन उसपर हस्ताक्षर अध्यक्ष असर कैसर के हैं। ‘डान’ अखबार के मुताबिक, उन्होंने यह टिप्पणी सूरी और कैसर के वकील नईम बुखारी द्वारा मामले में उपाध्यक्ष के फैसले की वैधता को लेकर दिए गए तर्क के दौरान की। न्यायमूर्ति मंदोखाइल ने यह भी बताया कि संसदीय समिति की बैठक के मिनट्स, जो बुखारी द्वारा अदालत को सौंपे गए थे, यह साबित नहीं करते कि डिप्टी स्पीकर मौजूद थे या नहीं। उन्होंने पूछा कि क्या संसदीय समिति की बैठक के दौरान विदेश मंत्री मौजूद थे, जिसके दौरान कथित “धमकी पत्र” की सामग्री को सांसदों के साथ साझा किया गया था, यह देखते हुए कि उनके हस्ताक्षर रिकॉर्ड में शामिल नहीं थे। 

न्यायाधीश ने पूछा, “क्या विदेश मंत्री को मौजूद नहीं होना चाहिए था?” इस पर वकील ने यह स्वीकार किया कि मंत्री को उपस्थित होना चाहिए था। प्रधान न्यायाधीश बंदियाल ने कहा कि उस समय के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ का नाम भी रिकॉर्ड में शामिल नहीं था। नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को गिराने की तथाकथित विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए रविवार को उसे खारिज कर दिया था। कुछ मिनट बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था। 

दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि संविधान इस बात का अधिकार देता है कि प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सके। वहीं जस्टिस मुनीब अख्तर ने कहा स्पीकर सदन का केयरटेकर है। वह सिर्फ व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए वहां नहीं बैठा रह सकता। वह अपनी निजी राय देकर बाकी सदस्यों से गुडबाय नहीं कह सकता। जज ने यह भी कहा कि डिप्टी स्पीकर ने अपना काम ठीक से नहीं किया, जाहिर तौर पर उनका फैसला गलत था।

बता दें कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष की ओर से विवादित व्यवस्था के तहत प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और राष्ट्रपति द्वारा संसद को भंग करने के अहम मामले पर बृहस्पतिवार को सुनवाई फिर से शुरू की। प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति एजाज़-उल अहसन, न्यायमूर्ति मज़हर आलम खान मियांखाइल, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंदोखाइल शामिल रहे। 





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