भारत, वियतनाम, ग्रीस… इनकी रफ्तार से दुनिया हैरान! ग्‍लोबल इकॉनमी के सात अजूबों से मिलिए

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Edited by दीपक वर्मा | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Oct 19, 2022, 11:23 AM

Fastest Growing Economies Of The World 2022: भारत, वियतनाम, इंडोनेश‍िया, ग्रीस, सऊदी अरब, पुर्तगाल और जापान वे सात देश हैं जो मंदी की ओर बढ़ रही वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था को उम्‍मीद दे रहे हैं।

 

आर्थिक निराशा के माहौल में एक्‍सपर्ट्स भी ढूंढ-ढूंढकर कमियां खोज रहे हैं। किस देश की इकॉनमी में कहां दिक्‍कतें हैं, सब उधेड़कर सामने रख रहे हैं। इस दौर में भी भारत समेत कुछ ऐसे देश हैं जो उम्‍मीद की लौ जलाए हुए हैं। भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया, ग्रीस, पुर्तगाल, सऊदी अरब और जापान। ऑथर और ग्‍लोबल इनवेस्‍टर रुचिर शर्मा ने हमारे सहयोगी टाइम्‍स ऑफ इंडिया के लिए अपने लेख में इन्‍हें ‘वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था के सात अजूबे‘ बताया है। बाकी देशों के मुकाबले इन सात देशों की अर्थव्‍यवस्‍था काफी बेहतर स्थिति में है। ये देश कई सारी धारणाओं को धता बताते हुए आगे बढ़ रहे हैं। दुनिया की सबसे तेजी से उभरती सात अर्थव्‍यवस्‍थाएं अजूबा क्‍यों हैं, समझिए।

घरेलू बाजार के दम पर आगे बढ़ता भारत

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भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक है और आगे भी रहेगी। नीति नियंताओं ने इतने सुधार कर दिए हैं कि चीन के कड़े नियमों से परेशान इनवेस्‍टर्स भारत का रुख कर रहे हैं। भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। डिजिटल सर्विसिज और मैन्‍युफैक्‍चरिंग में नया निवेश रंग ला रहा है। बड़ा घरेलू बाजार भारत को वैश्विक मंदी से दूर रखे हुए हैं।

वियतनाम: कम्युनिस्ट शासन में फल-फूल रहा देश

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चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच पश्चिमी देशों ने ‘चीन प्लस वन’ की रणनीति अपनाई है। अक्सर वह ‘वन’ कोई और नहीं, वियतनाम होता है। इस देश ने इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर में तगड़ा निवेश किया है जो मैन्युफैक्चरिंग एक्सपोर्ट पावर के लिए जरूरी है। सड़कों से लेकर बंदरगाहों और पुलों का जाल बिछाया जा रहा है। व्यापार के लिए अपने दरवाजे खोलकर वियतनाम ने आगे बढ़ने का रास्ता पकड़ लिया है। वियतनाम की अर्थव्यवस्था हर साल 7% की दर से बढ़ रही है जो दुनिया में सबसे ज्यादा है।

इंडोनेशिया: डॉलर की टक्कर में डटकर खड़ी करेंसी

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इंडोनेशिया संसाधनों में धनी तो है ही, अब वह ग्लोबल कमोडिटी में आए प्राइस बूम से भी मुनाफा बटोर रहा है। ग्रीन इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर के लिए जरूरी मैटेरियल्‍स की डिमांड बढ़ रही है और इंडोनेशिया को इससे फायदा लेने की स्थिति में है/ 275 मिलियन के घरेलू मार्केट के साथ इंडोनेशिया एक्सपोर्ट पर हद से ज्यादा निर्भर नहीं है। बाकी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले उसका कर्ज बेहद कम है। उसकी करेंसी गिनी-चुनी मुद्राओं में से एक है जो डॉलर के आगे टिकी हुई हैं। नतीजा 5% की ग्रोथ और 5% से कम महंगाई।

ग्रीस: FDI से हो रहा इकॉनमी का रिवाइवल

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यूरोप का यह देश विदेशी निवेश और टूरिज्‍म के दम पर बाउंस बैक कर रहा है। कोविड महामारी ने यहां के टूरिज्‍म सेक्‍टर को सबसे तगड़ा झटका दिया। ग्रीस के 10 प्रतिशत से भी कम कर्ज नॉन-परफॉर्मिंग (NPA) हैं। यूरोजोन संकट के समय यह आंकड़ा 50% था। ग्रीस की अर्थव्‍यवस्‍था 4% की रफ्तार से बढ़ रही है और महंगाई घट रही है। ग्रीस इस वक्‍त यूरोप में सबसे बेहतरीन रिकवरी कर रहे देशों में है।

पुर्तगाल: सपोर्ट फंड्स में समझदारी भरा निवेश

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यूरोपियन यूनियन (EU) से सपोर्ट फंड्स में खरबों डॉलर का निवेश कर रहा है। वह अपने शानदार पेंशन सिस्‍टम में भी सुधार कर रहा है। ‘गोल्‍डन वीजा’ के जरिए पुर्तगाल रईस प्रवासियों को आ‍कर्षित करता है। विकस‍ित अर्थव्‍यवस्‍थाओं में लिस्‍बन का स्‍टॉक मार्केट सबसे जुझारू साबित हुआ है।

सऊदी अरब: तेल से आगे की सोचता देश

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खाड़ी देश तेल से आगे की सोच रहे हैं और सऊदी अरब उन्‍हें लीड कर रहा है। महिलाओं, कामगारों, पर्यटकों और नाइट लाइफ से जुड़े प्रतिबंधों में ढील के फैसलों से अगले दो साल में अर्थव्‍यवस्‍था के 6% की दर से बढ़ने का अनुमान है। तेज की कीमतें इस बूम की बड़ी वजह हैं लेकिन गैर-तेल वाले सेक्‍टर्स भी बढ़‍िया परफॉर्म कर रहे हैं। तेल की कमाई को सऊदी अरब इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर में लगा रहा है। पांच प्रमुख शहरों को ‘स्‍मार्ट सिटी’ बनाने के लिए खरबों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। पांच नए मेट्रोपोलिटन शहर बसाने की तैयारी है।

जापान: महंगाई और मंदी से कोसों दूर

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ग्‍लोबल मंदी के बावजूद जापान की अर्थव्‍यवस्‍था की रफ्तार बढ़ रही है। जापान उन चुनिंदा देशों में से हैं जहां की सालाना महंगाई दर 2% से थोड़ी ही ज्‍यादा है। जापान में लेबर की कॉस्‍ट अब चीन से भी कम है। सस्‍ते येन के चलते एक्‍सपोर्ट बढ़ रहा है।



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