शादी का सच्चा वादा कर बनाया गया यौन संबंध रेप नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी

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नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप के मामले में एक अहम टिप्पणी कीजिए। हाईकोर्ट ने कहा है कि शादी का सच्चा वादा कर यदि यौन संबंध बनाया जाता है और बाद में किसी कारण से शादी नहीं हो पाती तो इसे रेप नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक मामले की सुनवाई के दौरान की। मामले में एक व्यक्ति और एक महिला लंबे समय तक संबंध में थे। दोनों की सगाई भी हो गई थी लेकिन किसी कारण से रिश्ता टूट गया और शादी नहीं हो सकी।

निचली अदालत के फैसले को पलटा
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने निचली अदालत के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसके तहत धारा 376 (2) (एन) के अंतर्गत व्यक्ति पर महिला को शादी का झांसा देकर उसका रेप करने का आरोप तय किया गया था। कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता के अनुसार भी, आदमी ने लड़की के माता-पिता को शादी की अनुमति के लिए तीन महीने तक मनाया। इस बीच दोनों के बीच सेक्सुअल रिलेशन में महिला की सहमति गलत धारणा या डर पर आधारित नहीं थी।

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दोनों की बीच हुई थी सगाई
कोर्ट ने कहा कि दोनों के बीच सगाई समारोह हुआ। इसमें परिवार के सभी सदस्यों ने भाग लिया। यह दर्शाता है कि याचिकाकर्ता का वास्तव में अभियोक्ता से शादी करने का इरादा था। सिर्फ इसलिए कि संबंध टूट गए, यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता का अभियोक्ता से पहली बार शादी करने का कोई इरादा नहीं था। इसके आधार पर, इस अदालत की राय है कि अभियोक्ता की तरफ से शारीरिक संबंध के लिए दी गई सहमति गलत धारणा या भय पर आधारित नहीं थी।

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कोर्ट ने आरोपी के पक्ष में देखी मेरिट
आरोपी ने कहा कि उसके खिलाफ आरोप मनगढ़ंत थे और वह महिला से प्यार करता। साथ ही उसके साथ घर बसाने का इरादा रखता था लेकिन रिश्ता खराब शर्तों पर खत्म हो गया। अदालत ने आरोपी के पक्ष में मेरिट देखी और समझाया कि ‘शादी के झूठे वादे’ और ‘शादी करने के वादे के उल्लंघन’ के बीच अंतर था।



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