लगातार खांसी है तो जरूरी नहीं कि टीबी ही हो? इन लक्षणों से तुरंत अंतर पहचानिए


Tuberculosis Symptoms: कोरोना वायरस ने जब दुनिया में दस्तक दी तो इसने सबसे पहले लोगों के श्वसन तंत्र यानि रेस्पायरेटरी सिस्टम पर ही अटैक किया. लोगों को जुकाम होना, खांसी, सांस लेने में परेशानी होनी जैसी तकलीफों से जूझना पड़ा. हालत अधिक गंभीर हुई तो उन्हें ऑक्सीजन तक चढ़ानी पड़ी. सर्दियों में खांसी होना एक समस्या है. आसपास लोग भी खांसते हुए देखे होंगे. खांसी दवा खाकर या बिना मेडिसन के दो चार दिन में ठीक हो जाए. लेकिन यदि ये लगातार बनी रहे तो गंभीर होने की जरूरत है. डॉक्टरों का कहना है कि खांसी यदि दो सप्ताह से अधिक है तो तुरंत अलर्ट हो जाएं. यह गंभीर बीमारी का इंडीकेशन हो सकता है. लेकिन यहां यह भी जानना जरूरी है कि क्या सामान्य खांसी दो सप्ताह से अधिक नहीं हो सकती है? ऐसे में टीबी की खांसी है या सामान्य है. कैसे पहचान करें?  

इस वजह से होती है टीबी की खांसी

टीबी का प्राइमरी लक्षण ही खांसी होता है. यह माइकोबैक्टीरियम टीबी संक्रमण के कारण होता है. इसे टयूबरक्यूलोसिस के नाम से जाना जाता है. इसमें तमाम तरह की दवा खाने के बाद भी पेशेंट की खांसी नहीं जाती है. ऐसे में पेशेंट की जांच कराकर टीबी की दवा ही खिलानी पड़ती हैं. 

टीबी पेशेंट में दिखते हैं ये लक्षण

खांसी सामान्य है या टीबी की है. इसे पहचान करने की जरूरत है. डॉक्टरों का कहना है कि टीबी रोगी की खांसी को दो सप्ताह से अधिक गुजर जाते हैं. लेकिन उनकी खांसी नहीं जाती है. हालांकि सामान्य रोगियों को भी इस तरह की खांसी हो सकती है. लेकिन इसके अलावा टीबी पेशेंट में कुछ और लक्षण देखने को मिलते हैं, जोकि सामान्य खांसी वाले पेशेंट में आमतौर पर नहीं होते हैं. टीबी पेशेंट की खांसी में खून आने लगता है, थकान रहती है. भूख कम लगने के कारण वजन तेजी से घटता है. ठंड लगना, बुखार और रात को अधिक पसीना आना इसके लक्षण होते हैं. 

ऐसे कराएं टीबी का इलाज

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से अभियान चलाया जा रहा है. सरकारी केंद्रों पर टीबी की दवाएं फ्री होती हैं, जबकि निजी केंद्रों पर ये बहुत महंगी होती हैं. टीबी रोगी को 6 महीने तक का कोर्स कंप्लीट करना होता है. मरीज की कंडीशन के आधार पर इसे एक से दो महीने और बढ़ाया जा सकता है. यदि इस बीच मरीज दवा छोड़ देता है तो उसे मल्टीड्रग रेसिसटेंट हो जाता है. इसमें दवा लंबी अवधि तक खिलानी होती है. यदि इस दौरान भी मरीज दवा खाने में लापरवाही बरतें हालात बिगड़ सकते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि टीबी रोगियों को जिंदगी से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए. उन्हें पूरा कोर्स करना चाहिए. 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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