Explainer: सऊदी अरब में जॉब चाहते हैं तो रहिए तैयार, India-UAE समझौते में बनी बात

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कैसे सऊदी अरब में नौकरी की राह होगी आसान?

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संयुक्त अरब अमीरात में कई ऐसे इकनॉमिक सेक्टर हैं, जिनमें भारत से आने वाले स्किल्ड लोगों की जरूरत होती है और उन्हें तवज्जो भी मिलती है। भारत और संयुक्त अरब अमीरात इस समझौते के जरिए प्रोफेशनल स्टैंडर्ड और स्किल्स फ्रेमवर्क को बेहतर करने की बात पर भी सहमत हुए हैं। दोनों ही इस बात पर सहम हुए हैं कि यूएई के बाजार में भारत से जितने भी स्किल्ड लोगों की जरूरत होगी, उन्हें ट्रेनिंग प्रोग्राम के जरिए कौशल मुहैया कराया जाएगा। यह ट्रेनिंग प्रोग्राम बाजार की जरूरतों और भविष्य के काम के लिए बदलती जरूरतों को ध्यान में रखकर कराया जाएगा।

इस डील से भारत में भी पैदा होंगे रोजगार के 10 लाख मौके

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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होने से द्विपक्षीय व्यापार को अगले पांच साल में 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने और लाखों की संख्या में रोजगार सृजित करने में मदद मिलेगी। इस समझौते से कपड़ा, हथकरधा, रत्न और आभूषण, चमड़ा और जूता-चप्पल जैसे श्रम गहन क्षेत्रों में 10 लाख नौकरियों के अवसर बनेंगे।

यूएई की 30 फीसदी आबादी भारतीय

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संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई में भारतीय दूतावास से मिली जानकारी के अनुसार अभी यूएई में करीब 35 लाख भारतीय रहते हैं, जो वहां की कुल आबादी का करीब 30 फीसदी है। इनमें से करीब 15 फीसदी लोग तो आबू धाबी में है, जबकि बाकी के 15 फीसदी दुबई समेत अन्य जगहों पर रहते हैं। इनमें से अधिकतर लोग भारत के केरल से हैं। इसके अलावा तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से भी यहां पर लोग हैं। आबादी के नजरिए से एक बात तो साफ है कि यूएई में हर तीसरा शख्स भारतीय है।

भारत के लिए कितना अहम है यूएई?

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भारत के लोगों के लिए यूएई कितना अहम है, इसका अंदाजा तो वहां की भारतीय आबादी से ही लगता है, जो करीब एक तिहाई है। वहां पर भारत से बहुत सारे लोग रोजी-रोटी कमाने जाते हैं। ये लोग यूएई से भारत में ढेर सारा पैसे भेजते हैं, जिससे भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ता है। विदेशों से आने वाले पैसे की बात करें तो सबसे अधिक पैसा यूएई से ही भारत आता है। यूएई से भारत में करीब 15 अरब डॉलर आते हैं। वहीं 2020-21 में भारत में आया कुल रेमिटेंस करीब 87 अरब डॉलर था। यानी कुल रेमिटेंस का करीब 18 फीसदी तो सिर्फ यूएई से ही आता है।

आखिर यूएई क्यों है भारतीयों की पहली पंसद?

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ज्यादातर भारतीय जो विदेशों में काम करना चाहते हैं, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) उनकी पहली पसंद है। टॉप-5 देशों की लिस्ट में पहले नंबर पर यूएई फिर सऊदी अरब, कतर, अमेरिका और ओमान शामिल हैं। यानी सिर्फ अमेरिका ही एक गैर-खाड़ी देश है, जो टॉप-5 में है। यूएई भारतीयों की पहली पसंद होने की कई वजहें हैं।

यूएई उन विदेशों में सबसे पास वाला देश है, जहां पर नौकरी के ढेर सारे मौके हैं। दिल्ली से दुबई की दूरी महज 2200 किलोमीटर है।

यूएई की करंसी भारत की करंसी से महंगी है। वहां का एक दिरहम भारत के करीब 20 रुपये के बराबर है। यानी वहां अगर 5 हजार दिरहम की नौकरी भी लग जाती है तो भारत के हिसाब से वह 1 लाख रुपये बन जाएंगे।

भारत में कमाई पर इनकम टैक्स लगता है, जिसकी ऊपरी स्लैब 30 फीसदी की है। यानी 1 लाख में से 30 हजार रुपये का टैक्स। हालांकि, कई तरीकों से आप 10-12 लाख रुपये की आय तक टैक्स बचा सकते हैं, लेकिन अगर आपकी सालाना आय इससे अधिक हुई तो आपको भारी टैक्स चुकाना पड़ता है। यूएई में कोई इनकम टैक्स नहीं लगता।

यूएई में जीएसटी जैसा भी कोई टैक्स नहीं है, जिसकी वजह से भारत में हर सामान की कीमत काफी अधिक बढ़ जाती है।



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