Electoral Ink: जानें क्यों नहीं मिटती अंगुली पर लगाई जाने वाली चुनावी स्याही, पीछे छुपी है ये वजह

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देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की शुरुआत आज यानी 10 फरवरी 2022 से उत्तर प्रदेश से हो चुकी है। जहां पहले चरण में 58 सीटों पर वोटिंग सुबह 7 बजे से जारी है। लोग मतदान केंद्र पर पहुंच रहे हैं और अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट दे रहे हैं। आप जब पोलिंग बूथ पर वोट दने जाते हैं, तो आपके हाथों पर नीली स्याही लगाई जाती है। अक्सर लोग जानते हैं कि इस स्याही को इसलिए मतदाता की अंगुली पर लगाया जाता है, ताकि उसका वोट सुरक्षित रहे और किसी तरह का कोई फर्जीवाड़ा न हो सके। वहीं, अंगुली पर लगने वाली ये स्याही लंबे समय तक मिटती नहीं है। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर ये चुनावी स्याही क्यों नहीं मिटती है? अगर आपके मन में भी ये सवाल घूम रहा है, तो चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है। आप अगली स्लाइड्स में इस बारे में जान सकते हैं…

कहां और कौन बनाता है ये नीली स्याही?

  • भारत में होने वाले चुनावों में जो नीली स्याही इस्तेमाल में लाई जाती है, इसे भारत में ही तैयार किया जाता है। दरअसल, मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड नाम की एक कंपनी इस नीली स्याही का प्रोडक्शन करती है। इस इंक का इस्तेमाल चुनाव में किया जाता है।

कौन खरीदता है ये स्याही?

  • एम.वी.पी.एल नाम की कंपनी जो नीली स्याही तैयार करती है, वो इसे रिटेल में नहीं बेचती है। बल्कि इस स्याही को सरकार या फिर चुनाव से जुड़ी एजेंसियां ही इसे खरीदती हैं और इन्हीं को कंपनी सप्लाई करती है।

इसलिए नहीं मिटती चुनावी स्याही

  • दरअसल, इस चुनावी स्याही को बनाने के लिए सिल्वर नाइट्रेट केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में इसे कम से कम 72 घंटे तक त्वचा से नहीं मिटाया जा सकता है। दूसरी तरफ जैसे ही ये स्याही पानी के संपर्क में आती है, इसका रंग बदलकर काला हो जाता है और फिर ये मिटता भी नहीं है।
  • अंगुली पर स्याही लगने के बाद इसमें मौजूद सिल्वर नाइट्रेट हमारे शरीर में मौजूद नमक के साथ मिलकर सिल्वर क्लोराइड बनाता है। वहीं, जब सिल्वर क्लोराइड पानी में घुलता है, और त्वचा से जुड़ा रहता है। वहीं, साबुन से भी इसे मिटाया नहीं जा सकता है।



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