Edible Oil Prices : सोयाबीन, सरसों और सूरजमुखी सहित कई तेलों में तेजी का दौर शुरू, ग्राहकों की कटेगी जेब, जानिए क्या है वजह

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नई दिल्ली : विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के सालाना 20-20 लाख टन के शुल्क-मुक्त आयात की छूट दिए जाने के बाद बाजार में कम आपूर्ति (शार्ट सप्लाई) की स्थिति पैदा हुई है। इससे शनिवार को सूरजमुखी (Sunflower) और सोयाबीन (Soybean) के साथ-साथ सरसों तेल तिलहन कीमतों में बढ़त का रुख शुरू हो गया। गुजरात में सप्ताह भर बाजार के बंद रहने की वजह से मांग प्रभावित हुई। इसके कारण जहां मूंगफली तेल तिलहन कीमतों में गिरावट आई, वहीं सामान्य कारोबार के बीच बाकी तेल तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। बाजार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि शिकागो एक्सचेंज शुक्रवार को लगभग दो फीसदी की तेजी के साथ बंद हुआ था।

कई तेलों में तेजी का रुख
सूत्रों ने कहा कि सरकार के शुल्क मुक्त खाद्यतेलों के आयात का कोटा निर्धारित करने के फैसले के बाद बाकी आयातकों ने नये सौदे खरीदने से हाथ खींच लिया। निर्धारित कोटा से अलग आयात करने पर इन आयातकों को आयात शुल्क अदा करने के बाद उनका महंगा तेल बाजार में खपना आसान नहीं रह जायेगा। क्योंकि बाजार भाव सस्ते आयातित तेलों के हिसाब से तय होने लगेगा। ऐसे में नये सौदे नहीं होने से बाजार में शार्ट सप्लाई की स्थिति बन गई है। इसके कारण सोयाबीन, सरसों तेल तिलहन के अलावा सूरजमुखी तेल कीमतों में बढ़त का रुख कायम हो गया।

ग्राहकों को महंगा मिल रहा तेल
सूत्रों ने कहा कि सरकार के शुल्क मुक्त आयात का कोटा निर्धारित करने से उत्पन्न ‘शार्ट सप्लाई’ की स्थिति के कारण उपभोक्ताओं को तेल सस्ते में मिलने के बजाय और महंगे दाम पर खरीदना पड़ रहा है। सरकार को इस ओर ध्यान देते हुए या तो कोटा व्यवस्था को समाप्त करते हुए खुले आयात की छूट देनी चाहिए या पहले की तरह आयात शुल्क लगा देना चाहिए। इन दोनों ही स्थिति में देश में पर्याप्त आयात होगा और प्रतिस्पर्धा के कारण उपभोक्ताओं को भी कम कीमत अदा करनी होगी। उपभोक्ताओं को सूरजमुखी तेल थोक में लगभग 25 रुपये किलो और खुदरा में 40-50 रुपये किलो अधिक दाम पर खरीदना पड़ रहा है।

सरकार को स्थिति के बारे में बताया जाए

सूत्रों के मुताबिक, देश के प्रमुख तेल उद्योग संगठनों का यह दायित्व बनता है कि वे सरकार को वस्तुस्थिति से अवगत कराएं और शुल्कमुक्त आयात के फैसले के प्रतिकूल नतीजों की जानकारी देकर फैसले की समीक्षा करने का परामर्श दें। सूत्रों ने कहा कि आयातकों की स्थिति बेहद डांवाडोल है। उन्होंने दो-तीन माह पहले 2,150 डॉलर प्रति टन के भाव पर सीपीओ आयात कर रखा था। लेकिन अब इसका आयात भाव लगभग 900 डॉलर प्रति टन रह गया है। आयातकों को महंगे दाम पर खरीदे गये तेल के लिए बैंकों को कर्ज और उसके ब्याज का भुगतान करना पड़ रहा है। सूत्रों ने कहा कि विदेशों में सोयाबीन तेल खली की निर्यात मांग बढ़ने के कारण सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में सुधार आया। सामान्य कारोबार के बीच सीपीओ एवं पामोलिन सहित बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,100-7,125 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,870-6,935 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,560-2,820 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,250-2,380 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,320-2,435 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,800-20,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 9,100 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,700 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,800 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 5,300-5,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज 5,100-5,150 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।



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