EC on Imran Khan: पाकिस्तान की सियासत में भूचाल, जानें किस लिए अब पूर्व पीएम इमरान खान पांच साल नहीं लड़ पाएंगे चुनाव

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Highlights

  • तोशाखाना मामले में पाक के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पांच वर्ष के लिए अयोग्य
  • पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने सुनाया फैसला
  • सत्तारूढ़ पक्ष के सांसदों ने आयोग से की थी शिकायत

EC on Imran Khan: पाकिस्तान के सत्ता के गलियारे से बड़ी खबर है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अब पांच वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इस खबर ने जहां पाकिस्तान के सत्ता पक्ष में खुशी की लहर दौड़ा दी है तो वहीं इमरान की पार्टी और उनके समर्थकों में भारी निराशा व्याप्त हो गई है।

 दरअसल पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को तोशाखाना मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को पांच वर्ष के लिए अयोग्य करार दे दिया। इस अवधि में इमरान खान के कोई भी सार्वजनिक पद ग्रहण करने पर रोक रहेगी। खान पर विदेशी नेताओं से प्राप्त उपहारों की बिक्री से हुई आय को छिपाने का आरोप था। इस निर्णय के बाद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख इमरान खान (70) पांच साल तक संसद के सदस्य नहीं बन सकते।

अगस्त में हुई थी शिकायत


 सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के सांसदों ने अगस्त में खान के खिलाफ पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) में शिकायत दी थी। इस शिकायत में तोशाखाना (देश का भंडार गृह) से रियायती मूल्य पर खरीदे गए उपहारों की बिक्री से हुई आय का खुलासा न करने को लेकर खान को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी। मामले की सुनवाई के बाद ईसीपी ने 19 सितंबर को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सिकंदर सुल्तान राजा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस्लामाबाद स्थित ईसीपी सचिवालय में खान के खिलाफ निर्णय सुनाया। पीठ ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से निर्णय सुनाया कि खान भ्रष्ट आचरण में शामिल थे और उन्हें संसद के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। यह निर्णय पांच सदस्यीय पीठ ने सर्वसम्मति से लिया।

निर्णय को चुनौती देने की कही बात

पंजाब के सदस्य घोषणा के समय मौजूद नहीं थे। ईसीपी ने यह भी कहा कि खान के खिलाफ भ्रष्ट आचरण कानून के तहत कार्रवाई भी की जाएगी। वहीं, खान की पार्टी के महासचिव असद उमर ने कहा कि इस निर्णय को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। पीटीआई के अन्य वरिष्ठ नेता फवाद चौधरी ने निर्णय को खारिज करते हुए खान के समर्थकों से विरोध-प्रदर्शन करने का आह्वान किया। खान की पार्टी ने सोमवार को आए उपचुनाव के नतीजों में नेशनल असेंबली की आठ में से छह जबकि प्रांतीय विधानसभा उपचुनाव की तीन में से दो सीट पर जीत दर्ज की थी, जिसके बाद ईपीसी का यह निर्णय सामने आया है। खान की पार्टी ने नेशनल असेंबली की सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से छह में जीत हासिल की। शुक्रवार को प्रेसवार्ता के दौरान ईसीपी की संवैधानिक भूमिका का उल्लेख करते हुए पीटीआई के वरिष्ठ नेता शाह महमूद कुरैशी ने कहा, ‘‘माइनस वन फॉर्मूला (एक राजनीतिक दल को अपने ही नेता के खिलाफ खड़ा करने का प्रयास) अस्वीकार्य है।’’ उन्होंने कहा कि ईसीपी एक संवैधानिक संस्था है, जिसकी जिम्मेदारी ‘‘विश्वसनीय एवं निष्पक्ष’’ चुनाव सुनिश्चित करना है।

उपहार बना तलवार

कानून मंत्री आजम तरार ने ईसीपी के निर्णय को ‘‘उचित’’ और गुण-दोष के आधार पर दिया गया निर्णय करार दिया। उधर, ईसीपी भवन के पास एक विधायक के पुलिस गार्ड द्वारा गोली चलाने की घटना भी सामने आई है। पुलिस ने पुलिस गार्ड और विधायक को गिरफ्तार कर लिया है। इसके अलावा, निर्णय के खिलाफ विभिन्न शहरों में विरोध की खबरें सामने आई हैं। वर्ष 2018 में सत्ता में आए खान को आधिकारिक यात्राओं के दौरान अरब शासकों से महंगे उपहार मिले थे, जो तोशाखाना में जमा किए गए थे। बाद में खान ने संबंधित कानूनों के अनुसार उपहारों को रियायती मूल्य पर खरीदा और उन्हें भारी लाभ पर बेच दिया। पूर्व प्रधानमंत्री ने सुनवाई के दौरान ईसीपी को सूचित किया था कि तोशाखाना से करीब 2.1 करोड़ रुपये का भुगतान कर खरीदे गए उपहारों की बिक्री से उन्हें लगभग 5.8 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे।

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