दशकों बीत गए, लगा कि कुछ नहीं होगा और अपराधियों को बुढ़ापे में जाना पड़ा जेल

pic


नई दिल्ली: वर्ष 1992 की बात है। उत्तर प्रदेश के बरेली में दारोगा युधिष्ठिर सिंह ने फर्जी एनकाउंटर में एक युवक मुकेश जौहरी की हत्या कर दी थी। उसने एनकाउंटर की झूठी कहानी रची। मुकेश के माता-पिता ने दारोगा युधिष्ठिर सिंह के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया। यह लड़ाई लड़ते-लड़ते पहले पिता और फिर मां का निधन हो गया। लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई। अब 31 वर्ष बाद दारोगा दोषी साबित हुआ और जेल पहुंच गया है। युधिष्ठिर सिंह रिटायर हो चुका है। अब उसकी उम्र 61 वर्ष है। सालों इंतजार के बाद जब न्याय की आस लगभग धूमिल होने लगती है, कई बार तभी अपराधी के दिन पूरे होने की खबर भी आ जाती है। आइए आज कुछ ऐसे ही वाकयों को याद करते हैं…

जहरीली शराब से मौत मामले में 41 वर्ष बाद सजा

-41-

पिछले वर्ष यूपी के फर्रुखाबाद जिला एवं सत्र न्यायालय ने 41 साल पुराने मामले में दो दोषियों को 10 वर्ष की कैद और 1.06 लाख रुपये के जुर्माने का आदेश दिया था। जहरीली शराब पिलाने के मामले में गुरसहायगंज निवासी गुलफाम ने 16 अक्टूबर, 1981 को मुकदमा दर्ज कराया था। गुलफाम के पिता समेत कुल चार लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई थी। जांच के बाद पुलिस ने कुल 13 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। आखिर में दो दोषियों को हत्या समेत कई अन्य अपराधों का दोषी पाया गया। सोचिए चार दशक तक किसकी उम्मीद बाकी रहेगी कि उसे न्याय मिल पाएगा? लेकिन देर से सही, अपराधियों को उनके किए की सजा भुगतनी पड़ रही है।

बच्चे के आम खाने पर महिला की हत्या, 29 वर्ष बाद हुई सजा

-29-

उत्तर प्रदेश के संभल में बच्चे ने बगीचे में गिरे एक आम को खा लिया। इस पर दो पक्षों में जमकर मारपीट हुई। एक पक्ष की महिला को इतनी मारा गया कि उसकी मौत ही हो गई। घटना में कई लोग घायल हो गए। वर्ष 1991 के जमालपुर गांव की उस घटना से सबको हैरत में डाल दिया था। इस मामले में पिछले वर्ष मई महीने में कोर्ट का फैसला आया और अपर सत्र न्यायाधीश ने तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा और दो आरोपियों को 10-10 वर्ष जेल की सजा सुनाई। 29 वर्ष तक चले इस मुकदमे के दौरान चार आरोपियों की मौत हो चुकी थी। मामले में दोनों पक्षों से आरोपी बनाए गए थे। इनमें एक पक्ष से दो और दूसरे पक्ष से एक व्यक्ति की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई थी।

सिस्टर अभया के कातिल को 28 साल बाद मिली सजा

-28-

केरल के तिरुवनंतपुरम की सीबीआई अदालत ने दिसंबर 2022 में एक फैसले में 28 साल पहले किए अपराध पर दोषियों को सजा सुनाई। मामला 21 वर्षीय सिस्टर अभया की हत्या का था। 1992 में कोट्टायम के एक कॉन्वेंट के कुएं से सिस्टर अभया की लाश मिली थी। अदालत ने पाया कि फादर थॉमस कोट्टूर, फादर पुथरुक्कयिल और सिस्टर सेफी अनैतिक गतिविधियों में संलिप्त थे जिसका पता सिस्टर अभया को चल गया था। इस कारण अभया की कुल्हाड़ी से हत्या करके शव को कुएं में फेंक दिया गया ताकि मामला खुदकुशी का लगे। हालांकि, जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। अदालत ने फादर पुथरुक्कयिल को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया, लेकिन बाकी दोनों दोषी पाए गए। दोनों को उम्रकैद की सजा के साथ-साथ उन पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

सूरत की हेमलता को 28 साल बाद मिला न्याय

-28-

सूरत के नानपुर इलाके में हेमलता की हत्या के मामले में 28 साल बाद इंसाफ मिला था। तीन वर्ष पहले हेमलता के 51 वर्षीय पति और पति की 55 वर्षीय मामी को सात-सात साल की सजा हुई। वर्ष 1992 में हेमलता की ससुराल में हत्या कर दी गई थी। उसकी शादी 10 महीने पहले ही मोहल्ले की ही दीपक कहार के साथ हुई थी। हत्या को ससुराल वालों ने आत्महत्या का रंग देने की कोशिश की। लेकिन दहेज हत्या की बात सामने आने पर माछी समाज के लोगों में आक्रोश फैल गया। माछी समाज को सूरत के अन्य वर्ग के लोगों का भी साथ मिला। सभी सड़क पर उतर गए और न्याय की मांग की। आखिरकार गुजरात हाई कोर्ट ने हेमलता के पति दीपक और उसकी मामी वीणा रेतवाली को हत्या का दोषी पाया और सात-सात साल की जेल और पांच-पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा दी।

पूर्व विधायक की हत्या के केस में 16 साल बाद सजा

-16-

उत्तर प्रदेश के ही अलीगढ़ में पूर्व बीजेपी विधायक मलखान सिंह और उनके सिक्यॉरिटी गार्ड सुनील कुमार यादव की हत्या के 16 साल बाद 14 दोषियों को उम्रकैद की सजा हुई। बुलंदशहर की अदालत ने 26 मार्च, 2006 को पूर्व विधायक उनके घर के बाहर ही हत्या कर दी गई। इस घटना में उनका गनर भी मारा गया था। वहीं, मलखान सिंह के जीजा प्रेमपाल सिंह और एक अन्य गनर सत्यबीर सिंह घायल हो गए थे। जांच में पता चला कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में यह हत्या की गई है। अलीगढ़ के क्वार्सी पुलिस थाने में पूर्व जिला अध्यक्ष तेजवीर सिंह गुड्डू के साथ कुल 19 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इनमें तीन की सुनवाई के दौरान मौत हो गई जबकि एक कभी हाथ ही नहीं लगा। अदालत ने 27 जनवरी, 2023 को तेजवीर सिंह समेत 15 लोगों को हत्या का दोषी ठहराया। इनमें 14 दोषियों को ताउम्र कैद की सजा सुनाई।



Source link