Chinese companies under scanner: चाइनीज कंपनियों का गोरखधंधा.. यहां दिखाया घाटा और चुपचाप पैसे भेज दिए चीन

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नई दिल्लीः देश के मोबाइल फोन मार्केट में चीनी कंपनियों का दबदबा है। इनमें श्याओमी (Xiaomi), ओप्पो (Oppo), वीवो (Vivo) और हुवावे (Huawei) शामिल हैं। भारत में ये कंपनियों दोनों हाथों से कमा रही हैं लेकिन एक भी पैसे का टैक्स (Tax Payment) नहीं देती हैं। सरकार ने इन कंपनियों के गोरखधंधे को उजागर करने के लिए एक विस्तृत जांच (Multi agency probe) शुरू की है। इसमें इन कंपनियों के कारनामे सामने आ रहे हैं। इनकम टैक्स विभाग के मुताबिक हुवावे टेलीकम्युनिकेशंस इंडिया (Huawei Telecommunications India) के पिछले दो साल के रेकॉर्ड में काफी गड़बड़ियां पाई गई हैं। कंपनी ने चीन में अपनी पेरेंट कंपनी को डिविडेंड के रूप में भारी रकम भेजी और भारत में अपनी टैक्सेबल इनकम कम दिखाई। कंपनी का दावा था कि उसके रेवेन्यू में भारी कमी आई लेकिन इसके बावजूद उसने 750 करोड़ रुपये चीन भेजे।

टैक्स डिपार्टमेंट ने कंपनी के ठिकानों पर छापा मारा था और फरवरी में उसके बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिए थे। अप्रैल में दिल्ली हाई कोर्ट ने हुवावे की याचिका पर उसके बैंक खाते के अटैचमेंट पर रोक लगा दी थी और इस बारे में इनकम टैक्स विभाग से जवाब मांगा था। इसी हफ्ते विभाग ने कंपनी के खिलाफ आरोपों के बारे में विस्तार से जानकारी दी थी। हुवावे ने अपनी याचिका में कहा था कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है। उसका कहना था कि नोटिस दिए बगैर कंपनी के अकाउंट्स को फ्रीज कर दिया गया था जिससे उसका बिजनस प्रभावित हुआ है।

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वीवो का घालमेल
इस बीच ईडी (ED) का कहना है कि चीन की स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी वीवो इंडिया (Vivo India) ने भारत में अपने कुल टर्नओवर की करीब आधी रकम चीन भेजी। ईडी इस कंपनी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है। कंपनी ने 2017 से 2021 के बीच 62,476 करोड़ रुपये चीन भेजे। एजेंसी के मुताबिक इस काम के लिए 18 कंपनियों का इस्तेमाल किया गया जिन्हें फर्जी तरीके से बनाया गया था। इस दौरान कंपनी की बिक्री 1.25 लाख करोड़ रुपये की रही थी।

ईडी के मुताबिक वीवो इंडिया के खिलाफ चल रही जांच में 119 बैंक अकाउंट्स का पता चला है जिनमें कुल 465 करोड़ रुपये जमा हैं। इनमें वीवो इंडिया के नाम पर 66 करोड़ रुपये की एफडी भी शामिल है। साथ ही दो किलो गोल्ड बार और 73 लाख रुपये कैश भी पकड़ा गया है। अधिकारियों का कहना है कि वीवो इंडिया की अधिकांश कंपनियों ने भारत में अपने बिजनस में घाटा दिखाया जबकि भारत में हुई कमाई को चुपचाप चीन भेज दिया।

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क्या हैं आरोप
चीनी कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने अपनी इनकम के बारे में जानकारी छिपाई, टैक्स से बचने के लिए प्रॉफिट की जानकारी नहीं दी और भारतीय बाजार में घरेलू इंडस्ट्री (Domestic Company) को तबाह करने के लिए अपने दबदबे का इस्तेमाल किया। साथ ही चीनी कंपनियों पर कंपोनेंट्स लेने और प्रोडक्ट्स के डिस्ट्रिब्यूशन में पारदर्शिता नहीं बरतने का भी आरोप है। सरकार सभी संभावित मुद्दों की जांच कर रही है। मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी की भी इस पर करीबी नजर है।

चीनी कंपनियों ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में जो फाइलिंग की है, उसमें घाटा दिखाया है। जबकि इस दौरान उनकी जबरदस्त बिक्री रही और सबसे ज्यादा फोन बेचने वाली कंपनियों की लिस्ट में वे टॉप पर रहीं। इस बारे में श्याओमी, ओप्पो और वीवो की भारतीय यूनिट्स को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं आया। ओप्पो और वीवो का मालिकाना हक चीन की दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक कंपनी बीबीके के पास है जो भारत में वनप्लस (OnePlus) और रियलमी (RealMe) ब्रांड्स को भी कंट्रोल करती है।

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घरेलू कंपनियों की हालत
हाल में चीनी कंपनियों के उभार से लावा (Lava), कार्बन (Karbonn), माइक्रोमैक्स (Micromax) और इंटेक्स (Intex) जैसी देशी कंपनियों की बिक्री में भारी गिरावट आई है। भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में उनकी हिस्सेदारी 10 फीसदी से भी कम रह गई है। कुछ साल पहले तक इन कंपनियों की भारतीय बाजार में तूती बोलती थी। चीनी कंपनियों पर यह भी आरोप है कि वे डिस्ट्रिब्यूशन स्थानीय कंपनियों से हाथ नहीं मिलाती हैं और साथ ही कलपुर्जों की सोर्सिंग में भी पारदर्शिता नहीं है। उनके अधिकांश सप्लायर्स चीनी कंपनियां हैं।



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