Cryptocurrency को बैन करना शायद भारत के लिए सबसे उचित विकल्प: RBI के डिप्टी गवर्नर

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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर (T Rabi Sankar) ने सोमवार को क्रिप्टोकरेंसी पर बड़ी बात कही है। शंकर ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना शायद भारत के लिए सबसे उचित विकल्प है। शंकर ने यह बात इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (Indian Banks Association) के 17वें वार्षिक बैंकिंग प्रौद्योगिकी सम्मेलन और पुरस्कार कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान कही। शंकर ने कहा, “हमने उन तर्कों की जांच की है, जो वकालत करते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित किया जाना चाहिए और हमने पाया कि उनमें से कोई भी बुनियादी जांच के लिए खड़ा नहीं है।”

क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं, इस पर चल रही बहस के संदर्भ में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर की यह बात काफी महत्वपूर्ण हैं। डिप्टी गवर्नर ने वित्तीय प्रणाली में निजी क्रिप्टोकरेंसी के कारण उत्पन्न चिंताओं को भी जाहिर किया। यह शायद पहली बार है जब RBI का कोई शीर्ष अधिकारी खुले तौर पर क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान कर रहा है।

दास भी जता चुके हैं चिंता
इससे पहले आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI governor Shaktikanta Das) ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी चिंताओं को उजागर करते हुए कहा था कि यह व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए हानिकारक हैं। साथ ही दास ने निवेशकों से क्रिप्टोकरेंसीज में निवेश करते समय सतर्क रहने को कहा था। दास ने मौद्रिक नीति समीति की बैठक के बाद हुई प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “मुझे लगता है कि निवेशकों को यह बताना मेरा कर्तव्य है कि वे क्रिप्टोकरेंसी में क्या निवेश कर रहे हैं। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने जोखिम पर निवेश कर रहे हैं। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि इन क्रिप्टोकरेंसीज की कोई अंतर्निहित संपत्ति नहीं है।” बता दें कि केंद्र सरकार ने अगले वित्त वर्ष से निजी डिजिटल संपत्तियों (private digital assets) पर 30% टैक्स की घोषणा की है, लेकिन अब तक ना तो क्रिप्टोकरेंसी को वैध बनाया है और ना ही इसे अवैध कहा है।
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क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय संप्रभुता के लिए खतरा
शंकर ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी किसी देश की वित्तीय संप्रभुता के लिए खतरा है और इन मुद्राओं को नियंत्रित करने वाली निजी कंपनियों द्वारा रणनीतिक हेरफेर के लिए इसे अतिसंवेदनशील बनाती है। डिप्टी गवर्नर ने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वे मुद्रा प्रणाली, मौद्रिक प्राधिकरण, बैंकिंग प्रणाली, और सामान्य रूप से सरकार की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने की क्षमता को बर्बाद कर सकते हैं।

वित्त मंत्री ने कहा सरकार व आरबीआई एक साथ
वहीं, सोमवार को ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार और आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी और अन्य मुद्दों पर एक साथ काम कर रहे हैं। आरबीआई (RBI) की बोर्ड बैठक के समापन पर पत्रकारों से बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि बजट से पहले इस मामले पर केंद्रीय बैंक के साथ बातचीत चल रही थी और जारी है। वित्त मंत्री ने कहा, “सरकार जो कुछ भी करती है, हम आरबीआई के साथ परामर्श करते हैं और चर्चा करते हैं।

क्रिप्टो में कोई आंतरिक मूल्य नहीं
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा, संपत्ति या कमोडिटी के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। शंकर ने कहा, “क्रिप्टोकरेंसी में कोई अंतर्निहित नकदी प्रवाह नहीं है, उनका कोई आंतरिक मूल्य नहीं है। क्रिप्टोकरेंसीज को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से दूर रखने के लिए यह पर्याप्त कारण होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, वे वित्तीय अखंडता, विशेष रूप से केवाईसी और एएमएल/सीएफटी नियमों को कमजोर करते हैं और कम से कम संभावित रूप से असामाजिक गतिविधियों को सुविधा प्रदान करते हैं।” साथ ही शंकर ने कहा कि क्रिप्टो-प्रौद्योगिकी सरकारी नियंत्रण से बचने के लिए एक दर्शन पर आधारित है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को विशेष रूप से विनियमित वित्तीय प्रणाली को बायपास करने के लिए विकसित किया गया है।

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