बच्चन पांडे एक्टर अरशद वारसी ने मुन्ना भाई एमबीबीएस के ‘सर्किट’ को बताया स्टूपिड रोल, अक्षय कुमार के बारे में कही ये बात

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बॉलीवुड अभिनेता अरशद वारसी (Arshad Warsi)  का नाम उन चुनिदां सितारों में शुमार है, जिन्होंने एक नहीं बल्कि कई बार साइड किरदारों से दर्शकों का दिल जीता है। अरशद वारसी जल्दी ही अक्षय कुमार (Akshay Kumar) स्टारर फिल्म बच्चन पांडे (Bachchhan Paandey) में नजर आएंगे। फिल्म की रिलीज से पहले फिल्म का प्रमोशन जारी है और इस बीच एक इंटरव्यू में अरशद ने फिल्म ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ (Munna Bhai MBBS)  के अपने सुपरहिट किरदार ‘सर्किट’ (Circuit) को स्टूपिड रोल बताया है।

20 साल बाद एक साथ अक्षय और अरशद

जानी दुश्मन के बाद अब अरशद वारसी, अक्षय कुमार के साथ 20 साल बाद दोबारा स्क्रीन शेयर करते नजर आएंगे। इस बारे में अरशद ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, ‘वो एक अलग सिनेमा था, एक अलग कहानी थी। मैं तो ये मानना चाहूंगा कि मैंने उनके (अक्षय) के साथ कभी काम नहीं किया और ये हमारी पहली फिल्म है। वो फिल्म तो इच्छाधारी नाग- नागिन की कहानी थी।’

 

अक्षय के बारे में क्या बोले अरशद

अक्षय के बारे में अरशद ने आगे कहा, ‘मैं सच में उन्हें पसंद करता हूं। मैं उन्हें सिर्फ एक एक्टर ही नहीं बल्कि एक दोस्त की तरह जानता हूं। उनके पास बहुत कुछ है लेकिन फिर भी हमेशा दूसरों को समझते हैं। जब आप उनसे मिलते हैं तो आप समझ पाते हैं कि असल में वो कौन हैं। वो एक अच्छा दोस्त है, साफ दिल वाला… जो सबसे जरूरी है। शायद ये भी एक वजह है कि लोग उन्हें इतना पसंद करते हैं और वो भी अच्छा काम करते चले आ रहे हैं।’

सर्किट को बताया स्टूपिड रोल

अरशद से जब पूछा गया कि फिल्म में लीड एक्टर कौन है, ये आपके लिए कितना मायने रखता है.. तो उन्होंने कहा, ‘मैंने मुन्ना भाई सिर्फ संजू (संजय दत्त) की  वजह से, वरना राजू (राजकुमार हिरानी) भी जानते थे कि सर्किट एक स्टूपिड रोल है। ये सच में पेपर पर है, वो कुछ नहीं था। मकरंद देशपांडे तक ने भी सर्किट के रोल के लिए इनकार कर दिया था।’

कैसे चुनते हैं किरदार

किन बातों को ध्यान में रखकर अरशद फिल्म चुनते हैं के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मैं किसी भी कहानी को दर्शक की तरह सुनता हूं। मैं ये सोचकर सुनूंगा कि मैं क्या कर रहा तो बात नहीं बनेगी मेरे लिए। ऐसे में मैं वो चुनता हूं, जो बतौर दर्शक मुझे अच्छा लगे। स्क्रिप्ट सुनने के बाद आपके अंदर से ही आवाज आती है कि फिल्म करनी है या नहीं?’



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