![... और बन गया डॉग केयर स्टार्टअप 1 pic](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-99180229,imgsize-123/pic.jpg)
कैसे हुई शुरुआत
![... और बन गया डॉग केयर स्टार्टअप 2 कैसे हुई शुरुआत](https://static.langimg.com/thumb/76874587/Navbharat Times.jpg?width=540&height=405&resizemode=75)
मनीष बताते हैं कि उनके Dogo argentino नस्ल के पेट जूनो (JUNO) के गुजर जाने के बाद वह काफी व्यथित हुए। इतना खराब लग रहा था कि अपने काम में भी मन नहीं लग रहा था। उसके बाद पेट केयर पर अपनी सहयोगी हिमानी बैंसला से बात हुई। और शुरुआत हो गई। माध्यम बना सोशल मीडिया। इसी के जरिये पेट केयर पर टिप्स दिए जाने लगे। आपके पेट को अचानक कुछ हो जाए तो क्या करें? कहां से पाएं हेल्प।
बना मोंकूडॉग कम्यूनिटी
![... और बन गया डॉग केयर स्टार्टअप 3 बना मोंकूडॉग कम्यूनिटी](https://static.langimg.com/thumb/76874587/Navbharat Times.jpg?width=540&height=405&resizemode=75)
सोशल मीडिया पर लोगों ने हौंसला आफजाई की तो फिर Monkoodog एक कम्यूनिटी बनाया। फिर, वीडियो के जरिए टिप्स दिए जाने लगे। इसे लोगों ने बेहद पसंद किया। इसके बाद तो सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के देशों से हर महीने मिलियंस रिस्पांस मिलने लगा। इसके बाद अभिषेक सिंह से भी बात हुई और तीनों ने मिल कर जुलाई 2021 में Monkoodog ऐप लॉन्च कर दिया। इसके एक साल बाद मोंकूडॉग स्टार्टअप पूरी तरह से काम करने लगा। लोगों को सर्विसेज भी मिलने लगी।
मोंकूडॉग से क्या क्या मिलती है सर्विसेज
![... और बन गया डॉग केयर स्टार्टअप 4 मोंकूडॉग से क्या क्या मिलती है सर्विसेज](https://static.langimg.com/thumb/76874587/Navbharat Times.jpg?width=540&height=405&resizemode=75)
मोंकूडॉग पर इस समय डॉग से रिलेटेड कई तरह की सर्विसेज मिलती है। इनमें डॉग ट्रेनिंग, डॉग को नहलाना-धुलाना, उसका हेयर कट, नेल कट जैसी ग्रूमिंग सर्विसेज, डॉग का होम वैक्सीनेशन और डिवार्मिंग सर्विसेज शुरू हुई। इसी के साथ मोंकूडॉग से कुछ वेटनरी डॉक्टर्स को जोड़ा गया। ये डॉक्टर्स ऑनलाइन और ऑफलाइन ट्रीटमेंट करते हैं। आप चाहें तो ऐप या वेबसाइट के जरिए महज एक रुपया में ऑनलाइन सलाह ले सकते हैं। यदि डॉक्टर को घर बुलाना चाहें तो इसके लिए आपको 999 रुपये की फीस देनी होगी। फिलहाल यह सेवा दिल्ली एनसीआर में ही उपलब्ध है।
डॉग को टहलाने की भी मिलती है सर्विस
![... और बन गया डॉग केयर स्टार्टअप 5 डॉग को टहलाने की भी मिलती है सर्विस](https://static.langimg.com/thumb/76874587/Navbharat Times.jpg?width=540&height=405&resizemode=75)
जैसे किसी मानव के लिए रोज घूमना-टहलना जरूरी होता है, उसी तरह से डॉग के लिए भी घूमना-टहलना जरूरी होता है। लेकिन अधिकतर डॉग पालकों के पास इसका समय नहीं होता है। ऐसे लोगों के लिए मंकूडॉग वाकिंग सर्विसेज भी देता है। डॉग पालने वाले व्यक्ति जो समय देते हैं, उस समय पर डॉग को टहलाने वाला पहुंच जाता है और उसे वॉक करवा कर वापस घर छोड़ जाता है।
ट्रेनिंग की खूब है डिमांड
![... और बन गया डॉग केयर स्टार्टअप 6 ट्रेनिंग की खूब है डिमांड](https://static.langimg.com/thumb/76874587/Navbharat Times.jpg?width=540&height=405&resizemode=75)
मनीष बताते हैं कि जैसे मानव कम्यूनिटी में बिहेवियर सीखता है, वैसे ही पेट्स भी कम्यूनिटी में बिहेवियर सीखते हैं। लेकिन शहरों में लोग डॉग ब्रीडर से डॉगी का बच्चा ही खरीद लेते हैं। और फिर उसकी परवरिश मानव के साथ होने लगती है। इसलिए वे कम्यूनिटी के जरिए बिहेवियर सीख नहीं पाते। इसलिए इनके लिए मंकूडॉग ट्रेनिंग सेशन चलाता है। डॉग के ट्रेनर आपके घर तक आते हैं और उसे ट्रेन करते हैं। इससे डॉग वह सब चीजें सीख जाता है जो कि सोसाइटी में जरूरी है।
10 में से छह लोग पालते हैं पेट
![10- 10-](https://static.langimg.com/thumb/76874587/Navbharat Times.jpg?width=540&height=405&resizemode=75)
एक अनुमान है कि हर 10 में से छह भारतीय घर में कोई न कोई पालते जानवर या पेट पालते हैं। सबसे लोकप्रिय पेट कुत्ता है और उसके बाद आता है बिल्ली का स्थान। माना जा रहा है कि इस समय देश में करीब चार करोड़ लोग तो सिर्फ कुत्ते पालते हैं। कैट पालने वालों की संख्या भी लाखों में हैं। इसके अलावा कुछ और जानवर को भी लोग अपने घरों में पालते हैं।
एकल परिवार में ज्यादा लोग पालते हैं पेट्स
![... और बन गया डॉग केयर स्टार्टअप 7 एकल परिवार में ज्यादा लोग पालते हैं पेट्स](https://static.langimg.com/thumb/76874587/Navbharat Times.jpg?width=540&height=405&resizemode=75)
पहले की बात अलग थी। पूरा परिवार एक साथ रहते थे। काम से शाम में थक हार कर लौटे तो बात करने के लिए पूरा परिवार रहता था। वे सुख-दु:ख में हिस्सा बंटाते थे। इस समय शहरों की हालत यह है कि बेटा अलग रहता है और बेटी अलग। घर में मां-बाप रहते हैं। ऐसी हालत में घर का पालतू जानवर ही है जो कि हर समय साथ रहता है। परिवार के सदस्यों से बातें करता है, उससे प्यार जताता है। इसलिए घरेलू पेट्स की संख्या बढ़ रही है। कोरोना काल में तो इसकी संख्या में तेज इजाफा हुआ।