रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित समय तक लोक सेवकों के चुनाव लड़ने पर लगे रोक, याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कही यह बात

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लोक सेवकों (Civil Servant) को रिटायर होने या नौकरी छोड़ने के तुरंत बाद एक निश्चित समयावधि तक चुनाव लड़ने से (Contest Elections) प्रतिबंधित करने संबंधी जनहित याचिका की सुनवाई से यह कहते हुए इनकार कर दिया है कि वह कार्यपालिका को कानून लागू करने का निर्देश नहीं दे सकता। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने विवेक कृष्ण की याचिका खारिज करते हुए कहा कि लोक सेवकों के चुनाव लड़ने के लिए इस तरह की कोई अवधि होनी चाहिये या नहीं, इसे विधायिका पर छोड़ देना चाहिये।

पीठ ने कहा इस मामले में याचिकाकर्ता या इनके प्रतिनिधित्व वाले व्यक्तियों के किसी भी समूह के किसी भी मौलिक अधिकार के उल्लंघन की कोई शिकायत नहीं है। किसी को भी इस अदालत से ऐसा अनिवार्य आदेश प्राप्त करने का मौलिक अधिकार नहीं है, जिसमें उपयुक्त विधायिका को निर्देश दिया जाए कि वह सिविल सेवकों की चुनाव लड़ने की पात्रता पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाए।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत प्रदत्त शक्तियों के बावजूद प्रतिवादियों को कानून लागू करने या नियम बनाने का निर्देश देने के लिए परमादेश जारी नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि वह या कोई उच्च न्यायालय विधायिका को कोई विशेष कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकता है। अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि विशिष्ट चुनाव लड़ने के लिए मानदंड और योग्यता निर्धारित करने को लेकर कानून बनाया जा सकता है।



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