मुनव्वर फारूकी की मां ने एसिड पीकर दी थी जान, बताया 3500 रुपये के कर्ज का दर्दनाक किस्सा

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कंगना रनौत होस्टेड शो लॉकअप में मुनव्वर फारूकी ने अपनी मां से जुड़ा दर्दनाक खुलासा किया है। मुनव्वर ने बताया कि 2007 में उनकी मां ने एसिड पीकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने बताया कि वह वक्त बहुत कठिन था। गुजारा करने के लिए घर के बर्तन तक बेचने पड़े थे। इन सबसे भारी मां के ऊपर 3500 रुपये कर्ज का बोझ था। मुनव्वर बताते-बताते रो पड़े कि उनकी मां ने घर में हमेशा दुख झेला और उन्हें कई चीजों का पछतावा है। मुनव्वर बोलते हैं कि आज वह इतने रुपये कमा रहे हैं लेकिन इनका कोई फायदा नहीं। उन्होंने बताया कि सिर्फ वजह नहीं थी जो उनकी मां ने जान दी।


पेट पकड़कर दर्द से चिल्ला रही थीं मां


मुनव्वर फारूकी ने लॉकअप में अपने साथियों के बीच ऐसा राज खोला कि हर किसी की आंख नम हो गई। कंगना रनौत से इजाजत लेकर उन्होंने अपने दिल का बोझ हल्का किया। उन्होंने मां को खोने की दर्दनाक कहानी बताई। मुनव्वर ने बताया कि 2007 जनवरी के महीने में उनकी दादी ने सुबह 7 बजे उन्हें जगा दिया। उन्होंने बताया कि मेरी मां को कुछ हुआ है और उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया है। जब मैं अस्पताल पहुंचा तो मां को इमरजेंसी रूम ले बाहर लाया जा रहा था। वह अपना पेट पकड़े थीं और दर्द से चिल्ला रही थीं। मेरे पापा, बहने, बड़े पापा, बड़ी मम्मी सब वहीं थे पर किसी को नहीं पता था कि क्या हुआ। उनको बड़े अस्पताल ले जाया गया। 

 

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वक्त रहते इलाज मिलता तो बच जाती जान


उस हॉस्पिटल में मेरी खाला की बेटी नर्स थीं। थोड़ी देर में बड़ी मम्मी ने मुझे किनारे ले जाकर बताया, तेरी मम्मी ने एसिड पी लिया है। मैंने उनसे पूछा कि पहले क्यों नहीं बताया? इस पर वह बोलीं, हम सब मुसीबत में आ जाते। मैं दौड़कर अपनी खाला की बेटी के पास गया और उन्हें बताया। वह चौंक गई जैसे हमने पहले बता दिया होता तो शायद इलाज हो जाता। डॉक्टर्स उन्हें ले गए जब वापस आए तब तक 2 बज चुका था। मैंने अपनी मां का हाथ पकड़ा और लगा कि सब ठीक हो जाएगा। डॉक्टर्स ने मुझसे हाथ छोड़ने को बोला। जबरदस्ती मेरा हाथ छुड़वा दिया तब मुझे पता चला कि वह गुजर चुकी हैं। 


मां को किया जाता था प्रताड़ित


मुनव्वर बताते हैं कि मुझे आज भी पछतावा होता है कि हर रात की तरह उस रात भी मैं अपनी मां के साथ सोया होता तो वह जिंदा होतीं। कोई त्योहार था और मैं अपनी दादी के साथ सो गया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में लिखा था कि मेरी मां ने 7-8 दिन से कुछ नहीं खाया था तो शरीर ने काम करना बंद कर दिया था। मुनव्वर ने बताया कि उन्होंने अपनी मां को ससुराल में कभी खुश नहीं देखा। कभी उनको पीटा जा रहा होता था तो कभी परिवार में झगड़े होते थे। मेरे पिता अपनी दुनिया में रहते थे। मेरी मां पापड़ बनाती थीं और हम बेचने जाते थे। 

महज 3500 रुपये का था कर्ज


मुनव्वर ने बताया, साल 2007 हमारे लिए काफी मुश्किल था। हमें खाने के लिए घर के बर्तन तक बेचने पड़े थे। और सबसे भारी उन पर 3500 रुपये कर्ज का था। उन्होंने वह कर्ज हमारे लिए लिया था। उधार देने वाला आकर पैसे मांगता था। सिर्फ 3500 रुपये थे। मैं यह बात कभी भूल नहीं सकता। मैं आज इतना कमा रहा हूं, इसका कोई फायदा नहीं। जब जरूरत थी तब मेरे पास ये पैसे नहीं थे।  

 



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