Yes Bank-DHFL scam: एक-एक पाई वसूलने की तैयारी में ईडी, दो आरोपियों की 415 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की


नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने यस बैंक-दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (Yes Bank-DHFL scam) से संबंधित बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में बड़ी कार्रवाई की है। केंद्रीय एजेंसी ने महाराष्ट्र के बिल्डर अविनाश भोंसले और संजय छाबड़िया की 415 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। दोनों बिल्डर्स को ईडी ने मामले की जांच के सिलसिले में जून में हिरासत में लिया था और अभी दोनों न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत भोंसले की 164 करोड़ रुपये की संपत्ति, जबकि छाबड़िया की 251 करोड़ रुपये की संपत्ति को कुर्क करने के लिए मंगलवार को एक अस्थाई आदेश जारी किया था। इसके साथ ही ईडी इस मामले में अब तक कुल 1,827 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुकी है।

ईडी के अधिकारियों के मुताबिक रेडियस ग्रुप के छाबड़िया की सांताक्रूज में 116.5 करोड़ रुपये की जमीन, कंपनी में उनके 25 फीसदी शेयर, बेंगलूरु में 115 करोड़ रुपये की जमीन, सांताक्रूज में तीन करोड़ रुपये का फ्लैट और दिल्ली एयरपोर्ट के नजदीक होटल से हुए 13.67 करोड़ रुपये के प्रॉफिट को जब्त किया गया है। इसी तरह अविनाश भोसले इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के प्रमोटर अविनाश भोसले की मुंबई में 102.8 करोड़ रुपये का डूप्लेक्स फ्लैट, पुणे में 44 करोड़ रुपये की दो जमीनें और नागपुर में 17 करोड़ रुपये के दो प्लॉट अटैच किए गए हैं।

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क्या है मामला
ईडी और सीबीआई इस मामले की जांच कर रहे है। दोनों केंद्रीय एजेंसियों ने दो बिल्डरों, यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर और डीएचएफएल के प्रमोटर-निदेशक कपिल वधावन तथा धीरज वधावन के खिलाफ अलग-अलग मामला दर्ज किया है। इस मामले में जहां दोनों वधावन को ईडी ने मई में गिरफ्तार किया था, जबकि कपूर को मार्च में गिरफ्तार किया गया था। ये दोनों भी अभी न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी ने आरोप लगाया कि राणा कपूर ने यस बैंक लिमिटेड के माध्यम से डीएचएफएल के अल्पकालिक गैर-परिवर्तनीय ‘डिबेंचर’ में 3,700 करोड़ रुपये और डीएचएफएल के ‘मसाला बॉन्ड’ में 283 करोड़ रुपये का निवेश किया।

यह मामला यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India) की अगुवाई वाले 17 बैंकों को 34,615 करोड़ रुपये का चूना लगाने से जुड़ा हुआ है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर 20 जून, 2022 को एक मामला दर्ज किया गया था। इसमें मुंबई की एक प्राइवेट कंपनी, उसके तत्कालीन सीएमडी, डायरेक्टर और दूसरे लोगों पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई वाले 17 बैंकों के कंसोर्टियम के साथ 34,615 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया। आरोप है कि इस प्राइवेट कंपनी और उसके प्रमोटरों ने शेल कंपनियां बनाकर पैसों का हेरफेर किया। ऑडिट में भी यह बात सामने आई कि इस कंपनी ने बैंकों से लिए गए लोन को शेल कंपनियों में डाइवर्ट किया था।

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