बेरहम कातिल! आखिर बोतल में क्यों रखा है इसका कटा सिर? पकड़ने में छूटे थे पुलिसवालों के पसीने


आपने दुनिया में एक से बढ़कर एक हैवानों के नाम सुने होंगे. कई के बारे में पढ़ा भी होगा. पर आज हम एक ऐसे दर‍िंदे की कहानी बताने जा रहे हैं जो मौत के 182 साल बाद भी लोगों को डरा जाता है. जब भी उसका जिक्र आता है लोग सिहर जाते हैं. रूह कांप उठती है. पैसा कमाने की लालच में उसने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं. उसे फांसी दे दी गई पर उसका सिर अभी भी प्रिजर्व करके रखा गया है. दुनिया उसके बारे में जानना चाहती है कि आख‍िर उसने ऐसा क्‍यों किया….

यह कहानी है पुर्तगाल के सीरियल किलर डियोगो एल्विस (Diogo Alves)की. स्‍पेन के गैलेसिया शहर में 1819 में एक गरीब परिवार में इसका जन्‍म हुआ. काम की तलाश में बहुत दिन भटकता रहा, आखिरकार पुर्तगाल की लिस्बन सिटी पहुंचा लेकिन वहां भी उसे निराशा हाथ लगी. ऐसे में उसने जुर्म की राह पकड़ ली. अनाज और सब्जियां बेचकर घर जाने वाले किसानों को लूटने लगा. एक पुल को उसने अपना अड्डा चुना और वहां से गुजरने वालों को निशाना बनाया करता था.

ब्रिज से नदी में फेंक देता था
डियोगो बाद में इतना हैवान हो गया कि लूटपाट के बाद लोगों की हत्‍याएं करने लगा. कत्‍ल करने के बाद वह उनकी बॉडी को 213 फुट ऊंचे ब्रिज से पानी में फेंक देता था. 1836 से 1839 तक उसने करीब 70 लोगों का कत्‍ल कर दिया. हर बार पुलिस इसे सुसाइड केस मानकर बंद कर देती थी. उसे लगता था कि शायद आर्थिक तंगी के कारण किसान सुसाइड कर रहे हैं. पर पुलिस के होश तब उड़ गए जब पुल के नीचे से गुजरने वाले लोगों ने कुछ लोगों की लाशें देखीं. उन पर चोट के गहरे निशान थे. इसके बाद पुलिस को शक हुआ. क्‍योंकि इतने गहरे निशान किसी हथियार से हमले के बाद ही आ सकते थे.

नहीं मिल रहा था सुराग
पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो कुछ ही दिनों में कंफर्म हो गया कि किसानों की हत्‍या करने के बाद ही उन्‍हें पुल से नीचे फेंका गया है. कात‍िल की तलाश में पुलिस के पसीने छूट गए. पुलिस चारों ओर हाथ पैर मार रही थी पर कहीं से कुछ सुराग नहीं मिल रहा था. उधर, डियोगो अंडरग्राउंड हो गया. कुछ सालों तक उसकी कोई खबर नहीं मिली. उसने लूटपाट बंद कर दी और तीन साल के अंदर उसने अपना एक गैंग खड़ा कर लिया. इसमें ज्‍यादातर गरीब पर‍िवारों के बच्‍चे थे.

गिनती याद नहीं कितने कत्‍ल किए
डियोगो ने शहर में रहने वाले रईस परिवारों को अपना निशाना बनाना शुरू किया. पहले रेकी करता, फ‍िर लूटपाट और लोगों को मौत के घाट उतारकर भाग जाता. इसके बाद पुलिस पर दबाव बढ़ा. इसी बीच उसने अपने गैंग के साथ एक मशहूर डॉक्‍टर के घर धावा बोला और चार लोगों की हत्‍या कर दी. पुलिस ने तुरंत नाकेबंदी की और उसे धर दबोचा. डियोगो ने जल्‍द ही अपना गुनाह कबूल लिया. उसने 70 हत्‍याओं की बात मानी लेकिन यह भी कहा कि उसे गिनती याद नहीं कि कितने लोगों का कत्‍ल किया.

फांसी के बाद काटा गया था सिर
डियोगो को उसके कुकर्मों के लिए 1841 में फांसी दे दी गई. उस दौरान फ्रेनोलॉजी की पढ़ाई चलन में थी, जिसमें लोगों के दिमाग को स्टडी किया जाता है. दिमाग को स्टडी कर पता लगाया जाता है कि सामने वाले इंसान के दिमाग में क्या-क्या चलता है? एक्सपर्ट्स ने ये फैसला किया कि वो डियोगो के दिमाग की भी स्टडी करेंगे और पता लगाएंगे कि क्रिमिनल किस हिसाब से सोचते हैं? इसी वजह से फांसी के बाद डियोगो का सिर काटकर लिस्‍बन यूनिवर्सिटी में प्रिजर्व किया गया था. ये तो कन्फर्म नहीं कि उसके दिमाग की स्टडी की गई या नहीं, लेकिन इतने सालों बाद भी उसका सिर यूनिवर्सिटी में वैसे का वैसा ही रखा हुआ है.

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