नई दिल्ली. यूक्रेन के खिलाफ जंग (War against Ukraine) छेड़ने और उसमें 1 महीने बाद भी कामयाबी न मिलने से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) चौतरफा दबाव में हैं. अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस के खिलाफ आक्रामक आर्थिक युद्ध (Economic War) छेड़ रखा है. आर्थिक प्रतिबंधों (Economic sanctions) की शक्ल में. जबकि देश के भीतर भी पुतिन के खिलाफ असंतोष की आवाजें उठने लगीं हैं. यहां तक उन्हें राष्ट्रपति पद से हटाए जाने की बातें तक होने लगी हैं. इसीलिए यह सवाल उठता है कि आखिर इस तरह की बातों में कितना वजन है? और क्या संभावनाएं बन सकती हैं? इसे 5-प्वाइंट (5-Points Analysis) में समझने की कोशिश करते हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान से शुरू हुई अटकलें
व्लादिमिर पुतिन को रूस के राष्ट्रपति (Russian President Vladimir Putin) पद से हटाए जाने की अटकलें उनके अमेरिकी समकक्ष जो बाइडन (US President Joe Biden) के एक हालिया बयान के बाद शुरू हुई हैं. जो बाइडेन अभी दो दिन पहले ही रूस के पड़ोसी देश पोलैंड की यात्रा पर थे. यहां उन्होंने राजधानी वारसा में रूस की आम जनता को सुनाते हुए कहा, ‘आप, रूस के लोगों से हमारी कोई दुश्मनी नहीं है. लेकिन भगवान के लिए यह आदमी (Putin) अब सत्ता में रह सकता है.’ हालांकि इस बयान के तुरंत बाद ही जब मीडिया के प्रतिनिधियों ने जो बाइडेन से सवाल किया कि क्या वे रूस में सत्ता-परिवर्तन के प्रयास करने वाले हैं? तब उन्होंने इसका जवाब ‘नहीं’ में दिया. उधर, अमेरिका से राष्ट्रपति कार्यालय ने भी सफाई जारी कि बाइडेन के कहने का मतलब सिर्फ इतना था कि पुतिन को उनकी शक्तियों के दुरुपयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती. उन्हें अपने किसी पड़ोसी देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
लेकिन अटकलें चल पड़ीं क्योंकि….
हालांकि राष्ट्रपति जो बाइडेन के बयान पर सफाई के बावजूद यह अटकलें चल पड़ीं कि क्या अमेरिका अब रूस में सत्ता-परिवर्तन कराने की कोशिश करने वाला है. इन अटकलों का आधार अमेरिका का ही अपना इतिहास है. साल 2003 में जब ईराक ने अपने पड़ोसी कुवैत पर हमला किया था, तब अमेरिका ने सीधे उसके खिलाफ जंग छेड़ दी थी. इसके साथ ही वहां के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को भी सत्ता से हटाकर और युद्ध-अपराध की सजा दिलवाकर ही दम लिया था. इसी तरह 2001 में जब अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमला हुआ तो आतंकियों के नेटवर्क को खत्म करने के बहाने अमेरिकी फौजें अफगानिस्तान में जा घुसीं. वहां 20 साल अमेरिकी इशारे पर सत्ता का संचालन हुआ. फिर जब 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजें वापस लौटीं और कट्टरपंथी संगठन तालिबान ने वहां की सत्ता अपने हाथ में ली तो वह भी अमेरिका की सहमति से ही हुआ.
लेकिन अटकलें चल पड़ीं क्योंकि….
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