Multibagger Returns : शेयर बाजार से पाएं 10 गुना नहीं, बल्कि 100 गुना रिटर्न, अपनानी होगी यह रणनीति


नई दिल्ली : शेयर मार्केट (Stock Market) के हर निवेशक की ख्वाहिश होती है कि उसे मल्टीबैगर रिटर्न मिले। मल्टीबैगर रिटर्न (Multibagger Returns)अर्थात कई गुना रिटर्न। मार्केट में ’10-बैगर’ शब्द बड़ा प्रचलित है। इसका मतलब है कि निवेशक को 10 गुना रिटर्न मिलना। लेकिन 10- बैगर (10-Bagger) से आगे 100- बैगर (100-Bagger) का रास्ता खुलता है। यानी निवेश की रकम का 100 गुना हो जाना। भारत में 100-बैगर शेयर्स (100-Bagger Shares) की कमी नहीं है। दर्जनों ऐसी कंपनियां हैं, जो इस स्तर तक पहुंची हैं। इंफोसिस, टाइटन, एचडीएफसी बैंक, एशियन पेंट्स सहित कई ऐसे शेयर हैं, जिनमें निवेशकों की रकम 100 गुना हुई है। आइए जानते हैं कि 100 बैगर रिटर्न पाने के लिए कैसी रणनीति होनी चाहिए।

कौन-सी कंपनी देगी मल्टीबैगर रिटर्न

मल्टीबैगर रिटर्न उसी कंपनी के शेयर से मिलेगा, जो लगातार ग्रो कर रही होगी। यह एक ऐसी कंपनी होनी चाहिए, जिसके राजस्व में वृद्धि हो रही हो। उसकी कमाई बढ़ रही हो। उसका मार्जिन बढ़ रहा हो। उसकी बाजार हिस्सेदारी बढ़ रही हो और बहुत जरूरी है कि इस कंपनी की प्रति शेयर कमाई बढ़ रही हो। यह आखिरी चीज इतनी महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि शेयर की कीमत लंबी अवधि में अर्निंग्स पर शेयर को फॉलो करती है। इसलिए किसी कंपनी का ईपीएस (EPS) ऊपर जाता है, तो हमेशा उस कंपनी के शेयर की कीमत भी ऊपर जाती है।

यह फॉर्मूला आएगा काम

हम कुछ वर्षों में 1 को 100 में बदलना चाहते हैं। इस सूत्र में r सालाना रिटर्न और t वर्ष को दर्शाता है। निवेशक इस सूत्र को कई तरीकों से यूज कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आपको 30 साल में अपने एक लाख रुपये को एक करोड़ रुपये बनाना है, तो आपको 16.6 फीसद के सालाना रिटर्न की जरूरत होगी। इसके साथ ही आप इस सूत्र से यह भी जान सकते हैं कि एक निश्चित रिटर्न पर अपनी रकम को 100 गुना करने में आपको कितना वक्त लगेगा। जैसे अगर आपको 12 फीसद रिटर्न मिल रहा है, तो आपके एक लाख रुपये 40.6 साल में एक करोड़ बन जाएंगे। इसी तरह 15 फीसद के सालाना रिटर्न पर आपको अपने निवेश को 100 गुना करने में 33 साल लग जाएंगे। वहीं, आप 11 वर्षों में अपना पैसा 100 गुना करना चाहते हैं, तो आपको एक ऐसे निवेश की पहचान करनी होगी, जो इस अवधि के दौरान प्रत्येक वर्ष 50% तक रिटर्न दे।

100-Bagger

छोटी कंपनियों पर रखें नजर
बड़ी कंपनियों की तुलना में छोटी कंपनियों के लिए 100-बैगर बनना आसान है। किसी 2% बाजार हिस्सेदारी वाली कंपनी को अपनी बाजार हिस्सेदारी को दोगुना, तिगुना करना बहुत आसान होना चाहिए। उस कंपनी की तुलना में जो 30% बाजार हिस्सेदारी लिये बैठी है। कंपनी के लो बेस के चलते यह आसान होता है। इसका मतलब उन कंपनियों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा, जिनका एम-कैप 5,000 करोड़ से कम हो या शायद 3000 करोड़ से भी कम हो।

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धैर्य रखना बेहद जरूरी
क्रिस्टोफर मेयर द्वारा किए गए शोध ने निष्कर्ष निकाला कि एक कंपनी को 100-बैगर कंपनी बनने में औसतन 26 साल लगते हैं। जिसका मतलब यह है कि भले ही आप जल्दी निवेश करना शुरू कर दें, फिर भी आप अपने 40 या 50 के दशक में होंगे, जब आप अपना पहला 100-बैगर देखेंगे। अर्थात आपकी सफलता में धैर्य एक महत्वपूर्ण फेक्टर होगा। इस बात की बहुत संभावना है कि निवेशकों को इस रास्ते में बहुत से उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे। उदाहरण के लिए एपल को लेते हैं। हम इसे बाजार पूंजीकरण के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी के रूप में जानते हैं। लेकिन पिछले 20 वर्षों में एपल की सवारी एक रोलर कोस्टर रही है, जिसमें स्टॉक 40% की चार अलग-अलग गिरावटों से गुजरा है। नेटफ्लिक्स एक और महत्वपूर्ण उदाहरण है। कंपनी ने एक ही दिन में अपने वैल्यू का 25% खो दिया था। केवल एक बार नहीं, बल्कि इतिहास में चार बार ऐसा हुआ है। निवेशको को एक सही शेयर का चुनाव करने के बाद लंबे समय तक स्थिर रहना चाहिए, जिससे बड़ा रिटर्न प्राप्त हो सके।

प्राइस अर्निंग मल्टीपल पर दें ध्यान

केवल ईपीएस बढ़ाना ही काफी नहीं है। बढ़ता हुआ प्राइस अर्निंग मल्टीपल भी जरूरी है। एक प्राइस अर्निंग मल्टीपल या पीई रेश्यो (PE Ratio) सिर्फ यही नहीं बताता है कि शेयर कितना महंगा है। अगर कोई किसी स्टॉक या किसी सेक्टर का लंबे समय से अध्ययन करता है, जो वह जान सकता है कि वह कंपनी या सेक्टर निवेशकों के लिए कितना वैल्यूबल है। पीई रेश्यो कई चीजों पर निर्भर करता है। सबसे बड़ी बात, एक कंपनी की कमाई की क्षमता में वृद्धि होनी चाहिए। यह आमतौर पर तेजी से ग्रो कर रही या नई कंपनियों में देखा जाता है। उन कंपनियों और सेक्टर्स की तलाश करें, जिनके पीई मल्टीपल के ऊपर की ओर जाने की संभावना है।



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