मंगलवार को प्रकाशित इस आरबीआई बुलेटिन के मुताबिक, फरवरी के अंत में जारी आर्थिक वृद्धि संबंधी आंकड़े दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत को बेहतर स्थिति में दर्शाते हैं। इसके लिए घरेलू अर्थव्यवस्था के जुझारूपन के साथ ही घरेलू कारकों पर निर्भरता भी एक अहम घटक रही है। इसमें लिखा गया है कि वर्ष 2023 में वैश्विक वृद्धि पर मंदी की मार पड़ने की आशंका होने के बावजूद भारत शुरुआती धारणा के उलट महामारी के बाद कहीं अधिक मजबूत बनकर उभरा है और चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इसकी वृद्धि में तेजी बनी हुई है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा की अगुवाई वाले एक दल ने यह लेख लिखा है। लेखक दल का मानना है कि भारत का वास्तविक यानी स्थिर मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद अगले वित्त वर्ष में बढ़कर 170.9 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में इसके 159.7 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। लेख के मुताबिक, “वैश्विक अर्थव्यवस्था के उलट भारत में सुस्ती नहीं आएगी। यह वर्ष 2022-23 में हासिल वृद्धि की रफ्तार को कायम रखेगा। हम भारत को लेकर आशावादी बने हुए हैं, चाहे जैसे भी हालात हों। केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेख में कही गयी बातें, लेखकों के अपने विचार हैं और वह रिजर्व बैंक के विचार का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।