फुलबॉडी चेकउप में होते हैं इतने टेस्ट


हम सभी यह चाहते हैं कि हम और हमारा परिवार स्वस्थ रहें और हम बीमारियों से कोसों दूर रहें. इसके लिए जितना जरूरी खानपान, रहन-सहन है उतना ही जरूरी रेगुलर बॉडी चैकअप भी है. जी हां, जिस तरह व्यक्ति अपने खान-पान का ध्यान रखता है उसी तरह हमें अपने शरीर को भी समय-समय पर जांचते रहना चाहिए. कहते हैं इलाज से बेहतर बचाव है. यह बात फुल बॉडी टेस्ट पर लागू होती है. अगर व्यक्ति किसी बड़ी बीमारी के होने से पहले ही अपना चेकअप करवा ले तो उसकी जान बच सकती है या समय रहते उसका इलाज किया जा सकता है. भारत में बेहद कम ऐसे लोग हैं जो नियमित तौर पर अपना फुल बॉडी चेकअप करवाते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो साल में 1 या 2 बार फुल बॉडी चेकअप जरूर कराना चाहिए. वहीं, अगर आपकी उम्र 50 या 60 से ऊपर हो गई है तो आप साल में 2 बार जरूर फुल बॉडी चेकअप करवाएं. 

फुल बॉडी चेकअप का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप समय रहते किसी बीमारी या शरीर में हो रही परेशानी का पता लगा सकते हैं और इसके लिए जरूरी उपाय या इलाज कर सकते हैं. जब भी बात बॉडी चैकअप की आती है तो अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आखिर फुल बॉडी चेकअप में कितने टेस्ट होते हैं और कौन से टेस्ट कराने जरूरी है. अधिकतर फुल बॉडी चैकअप में डॉक्टर सबसे पहले व्यक्ति का वजन और कद नापते हैं. इसके बाद शरीर में ब्लड प्रेशर और ऑक्सीजन लेवल के साथ हार्ट रेट का पता लगाया जाता है. इसके बाद ही डॉक्टर आपको अलग-अलग टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं. वैसे तो शरीर के हर हिस्से से जुड़ा एक अलग एस होता है लेकिन, फुल बॉडी चेकअप में मुख्य तौर पर 7 से 8 टेस्ट किए जाते हैं जिससे व्यक्ति के पूरी बॉडी का आकलन मिल जाता है. डॉक्टर भी सबसे पहले किसी व्यक्ति को फुल बॉडी चैकअप में इन 7 से 8 टेस्ट को करवाने की सलाह देते हैं.

ये 8 टेस्ट है जरुरी 

फुल बॉडी चेकअप में आपका यूरिन टेस्ट, आंख और कान की जांच, ब्लड शुगर टेस्ट, लिपिड प्रोफाइल, किडनी फंक्शन टेस्ट,  लिवर फंक्शन टेस्ट, कैंसर टेस्ट, ब्लड टेस्ट आदि किए जाते हैं. ध्यान दें, डॉक्टर पहले आपकी शरीर का आकलन करता है जिसके बाद ही आपको अलग-अलग टेस्ट सुजाए जाते हैं.

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सबसे पहली ब्लड टेस्ट होता है और यही सबसे जरूरी जांच है. इससे व्यक्ति के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर, पॉलिमोर्फ्स, लिंफोसाइट, मोनोसाइट, प्लेटलेट्स आदि के स्तर को मापा जाता है. ब्लड टेस्ट के जरिए ही शुगर, कोलेस्ट्रोल आदि की जांच की जाती है.

इसके बाद यूरिन टेस्ट किया जाता है जिसमें व्यक्ति के शरीर में  ग्लूकोज और प्रोटीन की मात्रा का पता लगाया जाता है

दिल से जुड़ी बीमारियों का पता करने के लिए ईसीजी टेस्ट किया जाता है

आंखें सही तरीके से काम कर रही है इसके लिए आँख का टेस्ट किया जाता है. इसमें ब्लाइंडनेस, मायोपिया आदि की स्थिति का अंदाजा मिल जाता है. इसके साथ ही कान की सुनने की क्षमताओं का टेस्ट भी किया जाता है.

एक्स-रे और स्कैन टेस्ट सामान्य नहीं है लेकिन, कुछ स्थितियों में इसे डॉक्टर व्यक्ति को कराने की सलाह देते हैं

लिवर फंक्शन टेस्ट के तहत ही प्रोटीन, एल्बुमिन, ग्लोबुलिन, बिलरुबिन, एसजीओटी आदि टेस्ट आते हैं.  इस टेस्ट को LFT के नाम से भी जानते हैं.

फुल बॉडी चेकअप में कैंसर से जुड़े टेस्ट भी किए जाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि एक उम्र के बाद महिलाओं और पुरुष दोनों में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

किडनी से जुड़े जांचों के लिए किडनी फंक्शन टेस्ट किया जाता है

डॉक्टर के हिसाब से करवाने चाहिए ये टेस्ट

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो व्यक्ति को हर उम्र में साल में एक बार जरूर बॉडी चेकअप करवाना चाहिए.  18 वर्ष के बाद प्रीवेंटिव हेल्थ चैकअप जरूरी होता है जिसमें ब्लड प्रेशर, बायोमास इंडेक्स जैसी सामान्य जांचे की जाती है. वही, 25 से 45 की उम्र वाले लोगों को लिपिड प्रोफाइल, शुगर टेस्ट, ईसीजी आदि जरूरी जांचें करने की सलाह दी जाती हैं.

 ध्यान दें फुल बॉडी टेस्ट में कितने टेस्ट होंगे यह आपके शरीर पर निर्भर करता है और डॉक्टर की देखरेख के बाद ही यह बताया जा सकता है कि आपके शरीर को किन-किन टेस्ट की आवश्यकता है.

ध्यान रखे ये बात

फुल बॉडी चेकअप का सटीक परिणाम मिले इसके लिए यह टेस्ट भूखे पेट करवाना चाहिए. यदि व्यक्ति इससे पहले कुछ खा ले तो जांच में गड़बड़ी हो सकती है या सटीक परिणाम नहीं मिलेंगे. 

इन बीमारियों से रहेंगे दूर

दरअसल, खराब खान-पान, रहन-सहन की वजह से हर उम्र के लोगों को अलग-अलग बीमारी हो रही है. मुख्य तौर पर जो बीमारियां आजकल कॉमन है उनमें ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, माइग्रेन, दिल से जुड़ी बीमारी, थायराइड, डायबिटीज, लीवर की समस्या आदि परेशानियां हैं. फुल बॉडी चेकउप के जरिए व्यक्ति इन बीमारियों से बचे रह सकता है. बॉडी चैकअप से व्यक्ति के शरीर में हो रही या होने वाली कोई भी खराबी या परेशानी का पता लग जाता है जिससे समय रहते इसका इलाज किया जा सकता है.

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