कहीं सरस्वती की तरह न हो जाए गंगा-ब्रह्मपुत्र का हाल? भारत की नदियों पर ग्लोबल वॉर्मिंग का असर, UN चीफ ने चेताया


हाइलाइट्स

ग्लोबल वार्मिंग के कारण आने वाले दशकों में ग्लेशियर और बर्फ की चादरें कम होंगी
यूएन 2023 जल सम्‍मेलन में महासच‍िव एंटोनियो गुटेरेस ने जताई गहरी च‍िंता
ग्‍लोबल वार्म‍िंग की वजह से कई बड़ी पर‍ेशान‍ियों का सामना कर सकते हैं कई देश

संयुक्त राष्ट्र: ग्‍लोबल वार्म‍िंग को कम करने और इससे न‍िपटने के ल‍िए दुन‍ियाभर के देश लगातार प्रयासरत हैं. इसके दूरगामी दुष्‍पर‍िणामों को लेकर भी लगातार चेतावनी जाह‍िर की जा रही है. अब संयुक्‍त राष्‍ट्र महासच‍िव ने भी आने वाले दशकों में भारत की नदियों को ग्‍लोबल वार्म‍िंग (Global Warming) से बड़ा नुकसान होने की चेतावनी दी है.

यूएन महासच‍िव एंटोनियो गुटेरेस (UNSG Antonio Guterres) ने एक कार्यक्रम के दौरान भारत की नद‍ियों खासकर गंगा (Ganga) और ब्रह्मपुत्र (Brahmaputra) के अलावा पाक से न‍िकलने वाली स‍िंधु नदी जैसी प्रमुख हिमालयी नद‍ियों (Himalayan rivers) को लेकर चेतावनी दी है क‍ि ग्लोबल वार्मिंग के कारण आने वाले दशकों में ग्लेशियर और बर्फ की चादरें कम होने की वजह से उनके प्रवाह में कमी देखी जा सकती है. यह नद‍ियां भारत के ल‍िए खास और बेहद अहम मानी जाती हैं.

एनडीटीवी की एक र‍िपोर्ट के मुताब‍िक ग्लेशियरों के संरक्षण के अंतरराष्ट्रीय वर्ष पर बुधवार को यूएन चीफ गुटेरेस ने टिप्पणी करते हुए कहा क‍ि पृथ्वी पर सभी जीवन के लिए ग्लेशियर (Glaciers) अहम हैं. सदियों से, उन्होंने उन भूभागों को तराशा है जिन्हें हम घर कहते हैं. ग्लेशियर हमारी दुनिया का 10 प्रतिशत कवर करते हैं और दुनिया के जल मीनार भी हैं.

गुटेरेस ने चिंता व्यक्त की कि मानव गतिविधि ग्रह के तापमान (planet’s temperature) को खतरनाक नए स्तरों की ओर ले जा रही है और “पिघलते ग्लेशियर कोयले की खान में कैनरी हैं. अंटार्कटिका हर साल औसतन 150 अरब टन बर्फ (ice mass) खो रहा है, जबकि ग्रीनलैंड की बर्फ की टोपी और भी तेजी से पिघल रही है यानी यह हर साल 270 अरब टन बर्फ कम हो रही है.

गुटरेस ने कहा क‍ि एशिया में, 10 प्रमुख नदियां हिमालयी क्षेत्र से निकलती हैं, जो इसके वाटरशेड में रहने वाले 1.3 बिलियन लोगों को फ्रेश पानी की आपूर्ति करती हैं. गुटेरेस ने कहा, “आने वाले दशकों में ग्लेशियर और बर्फ की चादरें कम होती जा रही हैं. इसका बड़ा असर सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी प्रमुख हिमालयी नदियों पर पड़ेगा. ह‍िमालय ग्‍लेशियर के प‍िघलने की वजह से पाक‍िस्‍तान में बाढ़ का प्रवाह देखा गया है. उन्होंने यह भी च‍िंता जाह‍िर की है क‍ि समुद्र का बढ़ता स्तर और खारे पानी का प्रवेश इन विशाल डेल्टाओं के बड़े हिस्से को नष्ट कर देगा.

संयुक्‍त राष्‍ट्र मुख्‍यालय में आयोज‍ित यह कार्यक्रम औपचारिक रूप से जल और स्वच्छता पर कार्रवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र के दशक (2018-2028) के कार्यान्वयन की मध्यावधि व्यापक समीक्षा के लिए 2023 सम्मेलन के रूप में जाना जाता है. संयुक्त राष्ट्र 2023 का आयोजन जल सम्मेलन के रूप में किया गया.

ताजिकिस्तान और नीदरलैंड द्वारा सह-मेजबानी के रूप में 22-24 मार्च के सम्मेलन सतत विकास (Sustainable Development) पर संयुक्त राष्ट्र के उच्च-स्तरीय राजनीतिक मंच के 2023 सत्र में फीड होगा.

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है क‍ि ताजिकिस्तान और नीदरलैंड की सरकारों द्वारा संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन की सह-मेजबानी की जा रही है. यह आयोजन वैश्विक स्तर पर यूएन के सदस्य राज्यों, यूएन स‍िस्‍टम और हितधारकों को समान रूप से कार्रवाई करने और सफल समाधान लाने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण होगा.

गुटेरेस ने विश्व मौसम विज्ञान संगठन के आंकड़ों का हवाला देते हुए यह भी चेतावनी दी कि वैश्विक औसत समुद्र का स्तर (sea levels) पिछले 3,000 सालों में किसी भी पिछली सदी की तुलना में 1900 के बाद से तेजी से बढ़ा है.

उन्होंने कहा क‍ि जब तक हम इस प्रवृत्ति को नहीं बदलते हैं, इसके परिणाम विनाशकारी होंगे. निचले इलाकों के समुदायों और पूरे देश को हमेशा के लिए मिटा दिया जाएगा. दुनिया भर में हम पूरी आबादी के बड़े पैमाने पर आंदोलनों और पानी और जमीन के लिए भयंकर प्रतिस्पर्धा देखेंगे. बाढ़, सूखा और भूस्खलन सहित आपदाओं का सामना करेंगे.

गुटेरेस ने दुन‍िया के सभी देशों से लोगों और समुदायों की समान रूप से रक्षा करने के लिए एकजुट होकर कार्य करने का आह्वान भी क‍िया. और जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों को रोकने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री वृद्धि तक सीमित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया.

उन्‍होंने यह भी कहा क‍ि हमें तत्काल उत्सर्जन को कम करने, अनुकूलन उपायों को बढ़ाने और जलवायु न्याय सुनिश्चित करने की आवश्यकता है. और विकासशील देशों के पास जलवायु आपदा के खिलाफ अनुकूलन और लचीलापन बनाने के लिए संसाधन होने चाहिए.

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जलवायु-लचीली इमारतों, बुनियादी ढाँचे, पानी की पाइपलाइनों के साथ-साथ उन नीतियों में निवेश करने का आग्रह किया जो भविष्य के लिए बहुमूल्य जल संसाधनों और उनके पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण करती हैं.

उन्होंने 2027 तक खतरनाक जलवायु या मौसम की घटनाओं के खिलाफ जीवन रक्षक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली द्वारा दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संस्थागत क्षमताओं के निर्माण और जोखिम में कमी के उपायों को एकीकृत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया.

यूएन महासच‍िव ने बुधवार को सम्मेलन के उद्घाटन करते हुए यह भी कड़ी टिप्पणी की है क‍ि हमने जल चक्र को तोड़ दिया है, पारिस्थितिक तंत्र को नष्ट कर दिया है और भूजल को दूषित कर दिया है.

चार प्राकृतिक आपदाओं में से लगभग तीन पानी से जुड़ी हैं, चार में से एक व्यक्ति प्रबंधित जल सेवाओं या स्वच्छ पेयजल के बिना रहता है और 1.7 अरब से अधिक लोगों में बुनियादी स्वच्छता की कमी है. उन्होंने बताया कि आधा अरब के बराबर लोग खुले में शौच करते हैं और लाखों महिलाएं और लड़कियां हर दिन पानी लाने में घंटों बिताती हैं.

उन्होंने कहा कि जी20 (G20) को एक जलवायु एकजुटता संधि (Climate Solidarity Pact) के प्रस्ताव के रूप में दिया है जिसमें सभी बड़े उत्सर्जक उत्सर्जन में कटौती के लिए अतिरिक्त प्रयास करते हैं, और अमीर देश उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करने के लिए वित्तीय और तकनीकी संसाधन जुटाते हैं. भारत वर्तमान में G20 का अध्यक्ष है.

Tags: Global warming, United Nation, United Nation General Assembly, Water Crisis



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