देश की सबसे बड़ी अदालत में जजों के कुल 34 पद हैं। न्यायाधीशों की रिटायरमेंट और नियुक्ति में देरी के कारण कई पद खाली हैं। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत जजों की कुल संख्या 34 हो सकती है।
India
oi-Jyoti Bhaskar


Supreme
Court
34
Judges
की
पूरी
क्षमता
से
जल्द
लैस
होगा।
सूत्रों
ने
कहा
है
कि
सुप्रीम
कोर्ट
में
न्यायाधीशों
की
नियुक्ति
में
तेजी
आएगी।
इसके
बाद
जल्द
ही
देश
की
सबसे
बड़ी
अदालत
अपनी
पूरी
कैपिसिटी
के
साथ
काम
करना
शुरू
कर
देगी।
बता
दें
कि
चीफ
जस्टिस
डीवाई
चंद्रचूड़
की
अध्यक्षता
वाली
सुप्रीम
कोर्ट
कॉलेजियम
ने
कई
जजों
की
नियुक्ति
संबंधी
सिफारिशें
कानून
मंत्रालय
को
भेजी
हैं।
हालांकि,
मंजूरी
के
इंतजार
में
इन
जजों
की
अप्वाइंटमेंट
का
रास्ता
साफ
नहीं
हुआ
है।
शीर्ष
सरकारी
सूत्रों
ने
पुष्टि
की
सुप्रीम
कोर्ट
में
जजों
की
नियुक्ति
के
बारे
में
एनडीटीवी
की
रिपोर्ट
में
सूत्रों
के
हवाले
से
कहा
गया,
दो
उच्च
न्यायालय
के
न्यायाधीशों
की
पदोन्नति
होगी।
इस
बारे
में
शीर्ष
सरकारी
सूत्रों
ने
भी
पुष्टि
की
है।
सूत्रों
ने
कहा
कि
नियुक्ति
के
लिए
नोटिस
अगले
कुछ
दिनों
में
जारी
किए
जाने
की
उम्मीद
है।
बता
दें
कि
चीफ
जस्टिस
रंजन
गोगोई
के
दौर
के
बाद
सीजेआई
एनवी
रमना
के
कार्यकाल
में
कुछ
समय
के
लिए
सुप्रीम
कोर्ट
के
सभी
34
जज
एक
साथ
कार्यरत
थे।

सरकार
के
फैसलों
पर
नजरें
न्यायिक
नियुक्ति
प्रक्रिया
के
संबंध
में
एनडीटीवी
की
रिपोर्ट
में
कहा
गया
कि
सुप्रीम
कोर्ट
जजों
के
अलावा
सरकार
उच्च
न्यायालयों
के
तीन
मुख्य
न्यायाधीशों
की
नियुक्ति
प्रक्रिया
को
भी
अंतिम
रूप
देने
में
जुटी
है।
इस
खबर
के
मुताबिक
सरकार
को
अभी
विभिन्न
उच्च
न्यायालयों
में
पांच
न्यायाधीशों
के
संबंध
में
जवाब
देना
है।
कोलेजियम
की
सिफारिशों
से
सहमत
होना
है
या
नहीं,
इस
पर
राजनीतिक
निर्णय
लेना
है।
तीन
सिफारिशों
पर
‘सरकारी
आपत्तियां’
गौरतलब
है
कि
पिछले
महीने,
सुप्रीम
कोर्ट
ने
खुफिया
एजेंसियों
के
इनपुट
के
आधार
पर
सरकार
की
आपत्तियों
का
खंडन
करते
हुए
केंद्र
को
अपने
पत्र
अपनी
वेबसाइट
पर
अपलोड
किए।
अधिवक्ता
सौरभ
किरपाल
को
दिल्ली
उच्च
न्यायालय,
सोमशेखर
सुंदरसन
को
बॉम्बे
उच्च
न्यायालय
और
आर
जॉन
साथियन
को
मद्रास
उच्च
न्यायालय
में
पदोन्नत
करने
की
सिफारिश
की
गई
थी।
देश
को
मिलेगा
पहला
समलैंगिक
जज
एडवोकेट
किरपाल
को
जज
बनाने
का
मामला
इसलिए
भी
सुर्खियों
में
है
क्योंकि
वे
भारत
में
जज
बनने
वाले
पहले
समलैंगिक
होंगे।
शीर्ष
अदालत
के
विस्तृत
जवाब
में
सर्वोच्च
न्यायालय
ने
सरकारी
आपत्तियों
को
बेबुनियाद
करार
दिया।
दोनों
कारणों
का
बिंदुवार
जवाब
देते
हुए
अदालत
ने
कहा
कि
इन
आधारों
पर
उसे
खारिज
करना
स्पष्ट
रूप
से
संवैधानिक
सिद्धांतों
के
विपरीत
होगा।
सरकार
ने
कहा
था
कि
किरपाल
समलैंगिक
हैं
और
उसका
साथी
स्विस
नागरिक
है।
प्रधानमंत्री
की
आलोचना
अभिव्यक्ति
की
आजादी
बॉम्बे
हाईकोर्ट
के
सोमशेखर
सुंदरेसन
की
पदोन्नति
उनके
सोशल
मीडिया
पोस्ट
के
कारण
खारिज
कर
दी
गई
थी।
सूत्रों
ने
कहा
कि
उन्होंने
नागरिकता
संशोधन
अधिनियम
पर
आलोचनात्मक
ट्वीट
किए
थे।
हालांकि,
शीर्ष
अदालत
ने
कहा
कि
सभी
नागरिकों
को
अभिव्यक्ति
की
आजादी
का
अधिकार
है।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
दो
टूक
कहा
कि
जब
जजशिप
के
लिए
प्रस्तावित
व्यक्ति
योग्यता
और
सत्यनिष्ठा
वाला
व्यक्ति
हो,
ऐसे
में
विचारों
की
अभिव्यक्ति
के
कारण
संवैधानिक
पद
पर
नियुक्ति
उसकी
राह
का
रोड़ा
नहीं
बन
सकती।

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Kiren
Rijiju
ने
क्यों
कहा
जजों
की
सार्वजनिक
जांच
नहीं
होती
?
|
Supreme
Court
|
वनइंडिया
हिंदी
क्या
सोशल
मीडिया
पोस्ट
के
कारण
जज
नहीं
बन
सकते
?
मद्रास
उच्च
न्यायालय
के
वकील
आर
जॉन
साथियान
के
खिलाफ
भी
सोशल
मीडिया
पोस्ट
को
आधार
बनाया
गया।
रिपोर्ट
के
मुताबिक
खुफिया
ब्यूरो
ने
निगेटिव
रिपोर्ट
दी।
साथियान
की
पोस्ट
में
से
एक
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
की
आलोचना
वाला
लेख
था।
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Judges
:
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सुप्रीम
कोर्ट
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English summary
supreme court 34 judges full strength soon sc collegium sources