रिस्क फ्री म्यूचुअल फंड के निवेशकों को लगा झटका


नई दिल्ली: लोकसभा से साल 2023-24 का बजट शुक्रवार, 24 मार्च को ही पारित हो गया। इसके लिए जिस वित्त विधेयक (Finance Bill) को पारित कराया गया, उसमें करीब दर्जन भर संशोधन भी कर दिए गए हैं। हम मान कर चलते हैं कि यह खबर आप तक पहुंच चुकी होगी। आपने यह भी पढ़ा होगा कि कुछ म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) पर लांग टर्म टैक्स बेनीफिट का लाभ अगले एक अप्रैल से नहीं मिलेगा। लेकिन इसके मर्म को आपने शायद ही समझा होगा। आज जब हमने बजट प्रस्ताव के इस संशोधन की चर्चा आर. के. राव से की तो उन्होंने माथा पकड़ लिया। उनके मुंह से बस यही वाक्य निकला, सरकार आखिर चाहती क्या है? क्या रिटायरीज 70 साल की उम्र में भी शेयर बाजार में गोते लगाएं?

क्यों छलका राव साहब का दर्द


राव साहब के दर्द पर चर्चा करने से पहले हम आपको उनका बैकग्राउंड बताते हैं। उनकी उम्र 70 साल से भी ज्यादा है। वह केंद्र सरकार की एक कंपनी में अधिकारी थे। पीएसयू में काम करने की वजह से उन्हें पेंशन नाम मात्र का मिलता है। हालांकि वह अपना बुढ़ापा आराम से काटने के लिए म्यूचुअल फंड के तहत आने वाले डेट फंड और गोल्ड फंड में जीवन भर की कमाई लगा कर रखा है। फंड हाउस के पर्फोमेंस के आधार पर वह गोल्ड (Gold Fund) और डेट फंड (Debt Fund) में ही उलट-फेर करते रहते हैं। इसमें इसलिए निवेश करते हैं, क्योंकि प्योर डेट या गोल्ड फंड में शेयर बाजार का रिस्क नहीं है। मोडरेट रिटर्न मिल जाता है। सबसे अच्छी बात कि इसमें इनकम टैक्स में कुछ छूट मिल जाती है जो कि बैंक एफडी या कंपनी एफडी में नहीं है। अब जबकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस लाभ को छीन लिया है तो राव साहब जैसे तमाम रिटायरीज का दर्द छलकना स्वाभाविक है।

डेट म्यूचुअल फंड क्यों था लोकप्रिय

डेट या गोल्ड म्यूचुअल फंड वैसे निवेशकों के बीच लोकप्रिय था, जो शेयर बाजार के थपेड़ों से नहीं जूझना चाहते हैं। इस म्यूचुअल फंड का पैसा इक्विटी में नहीं बल्कि गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, डिबेंचर्स, कॉरपोरेट बॉण्ड्स और अन्य मनी मार्केट इंस्ट्रुमेंट्स में निवेश किया जाता है। ये Fixed-Income Securities कहलाते हैं। इसमें शेयर बाजार जैसा रिस्क नहीं होता है। यह रिटायर हो चुके लोगों या फिर कम से कम रिस्क लेने वाले इनवेस्टर्स का पसंदीदा है। यही नहीं, इसमें इंडेक्सेसन का भी फायदा मिलता है। इसे ऐसे समझें कि बैंक एफडी या कारपोरेट एफडी से मिलने वाले ब्याज में हर साल आपके स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा। जबकि डेट या गोल्ड म्यूचुअल फंड में निकासी के वक्त टैक्स का हिसाब—किताब होता है। मान लिया जाए कि आपने तीन साल बाद इससे पैसा निकाला तो तीन साल में जितना इंफ्लेशन हुआ, उसे जोड़ कर देय इनकम टैक्स से घटा दिया जाता है। इस तरह से निवेशकों पर कर भार काफी कम पड़ता है। इसलिए यह काफी लोकप्रिय है।

बैंक एफडी के मुकाबले कितना बेहतर है डेट म्यूचुअल फंड?

इस सवाल का जवाब आपको एक उदाहरण के जरिए देते हैं। मान लिया जाए कि किसी व्यक्ति ने एक करोड़ रुपये बैंक एफडी में और एक करोड़ रुपये डेट म्यूचुअल फंड में लगाया है। वह 30 परसेंट वाले इनकम टैक्स स्लैब में है। बैंक एफडी से उन्हें साल भर में 7 परसेंट का ब्याज मिला, मतलब कुल राशि पर तीन साल में 21 लाख रुपये का ब्याज मिला। इस पर 30 परसेंट टैक्स लग गया तो 6.30 लाख रुपये तो टैक्स में चला गया। अब आते हैं डेट म्यूचुअल फंड की तरफ। इसमें मान लिया जाए कि तीन साल बाद 7 परसेंट का रिटर्न मिलता है। मतलब 21 लाख रुपये। इस पर इंडेक्सेसन का लाभ मिला। मान लिया तीनों साल महंगाई की दर 5 परसेंट रही। मतलब कि तीन साल में 15 लाख रुपये पर इंडेक्सेसन का लाभ मिल गया। अब 6 लाख रुपये बचे। इस पर 30 परसेंट का टैक्स लगेगा। मतलब 1.20 लाख रुपए का टैक्स बना। एफडी में टैक्स बनता है 6.30 लाख रुपये। यहां देख रहे हैं कि डेट म्यूचुअल फंड में 5.10 लाख रुपये की शुद्ध बचत है। एक अप्रैल के बाद यह लाभ नहीं मिलेगा। यही लांग टर्म टैक्स एफिशिएंसी है डेट म्यूचुअल फंड का।

क्या चाहती है सरकार, सब उतर जाए शेयर बाजार में?

राव साहब सरकार से सवाल पूछते हैं, क्या सभी लोग शेयर बाजार में उतर जाएं? सरकार की यही मंशा है? पहले लोग इनकम टैक्स की धारा 80 सी में काफी पैसे बचा ले रहे थे। अब यह भी धीरे धीरे खत्म हो रहा है। सालों हो गए, इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही है। रिस्क नहीं लेने वाले इनवेस्टर्स के लिए जो रास्ते थे, उसे भी धीरे धीरे खत्म किया जा रहा है। ऐसे में तो सरकार यही चाहती है कि सभी लोग शेयर बाजार में पैसे लगाएं।

म्यूचुअल फंड के निवेशक मायूस

निवेश गुरु विश्वजीत पराशर भी कहते हैं कि सरकार के ताजा फैसले से म्यूचुअल फंड के निवेशक मायूस हैं। पहले लोग घरेलू बाजार में तो निवेश करते ही थे, विदेशी बाजार में भी निवेश कर पैसे कमाते थे। अब वह रास्ता भी बंद किया जा रहा है। सरकार ने इंटरनेशनल इक्विटी फंड में निवेश पर भी कुछ टैक्स लगा दिया है। अगले एक तारीख से कोई व्यक्ति इंटरनेशनल इक्विटी फंड मेें यदि एक लाख रुपये लगाना चाहेगा तो उसका 80 हजार रुपये ही निवेश होगा। 20 हजार रुपये तो शुरू में ही टैक्स में कट जाएगा। उनका कहना है कि मिडिल क्लास इनवेस्टर्स के पास जो म्यूचुअल फंड का बढ़िया विकल्प था, उसे धीरे धीरे तोड़ा जा रहा है।



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