रेपो रेट को प्रमुख ब्याज दर के नाम से भी जाना जात है। रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर कमर्शियल बैंक आरबीआई से पैसा उधार लेते हैं। जब बैंकों के लिए उधारी महंगी हो जाती है, तो वे इसका बोझ ग्राहकों पर डालते हैं और अधिक रेट पर लोन देते हैं। मतलब साफ है कि रेपो रेट बढ़ने पर होम लोन (Home Loan), कार लोन (Car Loan) और पर्सनल लोन (Personal Loan) महंगा हो जाता है। ग्राहकों को डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज का निर्धारण भी मोटे तौर पर रेपो रेट से ही होता है। यानी रेपो रेट में बढ़ोतरी होने पर बैंक एफडी पर ब्याज दरों बढ़ा देते हैं। रेपो रेट में कमी से लोन सस्ता होता है ईएमआई (EMI) घट जाती है।
कब-कब बढ़ा रेपो रेट
आरबीआई ने इस साल चार मई को रेपो रेट में 0.4 फीसदी, 8 जून को 0.5 फीसदी, 5 अगस्त को 0.5 प्रतिशत और 30 सितंबर को 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है। आरबीआई मॉनीटरी पॉलिसी को तय करने के लिए सीपीआई (CPI) यानी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर गौर करता है। आरबीआई को महंगाई दर दो से छह फीसदी रखने का लक्ष्य दिया गया है लेकिन इस साल महंगाई लगातार इस स्तर से ऊंची रही है। यही वजह है कि आरबीआई लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर रहा है।
किस किस दिन हुई बढ़ोतरी
किस दिन बढ़ा रेपो रेट | कितनी हुई बढ़ोतरी | कितना हो गया |
07 दिसंबर, 2022 | 0.35% | 6.25% |
30 सितंबर 2022 | 0.5% | 5.90% |
05 अगस्त 2022 | 0.5% | 5.40% |
08 जून 2022 | 0.5% | 4.90% |
04 मई 2022 | 0.4% | 4.40% |