RBI on Banking Crisis: ताकि भारत का न हो अमेरिका जैसा हाल… आरबीआई गवर्नर ने बैंकों को किया आगाह


मुंबई: अमेरिका से शुरू हुआ बैंकिंग संकट ने अब यूरोप में भी दस्तक दे दी है। माना जा रहा है आने वाले दिनों में यह और गहरा सकता है। दुनिया के कई देश इसकी चपेट में आ सकते हैं। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बैंकों को किसी भी तरह के परिसंपत्ति-देनदारी असंतुलन (Asset-Liability Mismatch) के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा कि दोनों तरह के अंसतुलन वित्तीय स्थिरता के लिए हानिकारक हैं। उन्होंने संकेत दिया कि अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम में जारी संकट (US Banking Crisis) इस तरह के असंतुलन से पैदा हुआ है। गवर्नर ने कोच्चि में वार्षिक के पी होर्मिस (फेडरल बैंक के संस्थापक) स्मारक व्याख्यान में कहा कि घरेलू वित्तीय क्षेत्र स्थिर है और महंगाई का बुरा दौर पीछे छूट गया है।

विनिमय दरों में जारी अस्थिरता के कारण बाहरी ऋण चुकाने की क्षमता पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में दास ने कहा कि हमें डरने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारा बाहरी ऋण प्रबंधन योग्य है। डॉलर की मजबूती से हमारे लिए कोई समस्या नहीं है। गौरतलब है कि डॉलर की कीमत बढ़ने के कारण उच्च बाहरी ऋण जोखिम वाले देशों के सामने चुनौतियां बढ़ी हैं। गवर्नर का अपने भाषण का ज्यादातर हिस्सा भारत की जी20 अध्यक्षता पर केंद्रित रहा। उन्होंने कहा कि दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह (जी20) को डॉलर की कीमत बढ़ने के कारण उच्च बाहरी ऋण जोखिम वाले देशों की मदद करने के लिए समन्वित प्रयास करने चाहिए।

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क्रिप्टोकरेंसी पर क्या कहा

उन्होंने यह भी कहा कि जी20 को सबसे अधिक प्रभावित देशों को जलवायु परिवर्तन वित्तपोषण देना चाहिए। अमेरिकी बैंकिंग संकट पर उन्होंने कहा कि इससे मजबूत नियमों का महत्व पता चलता है, जो अत्यधिक परिसंपत्ति या देनदारी तैयार करने की जगह टिकाऊ वृद्धि पर जोर देते हैं। पिछले सप्ताह अमेरिका में दो मध्यम आकार के बैंक -सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बंद हो गए थे। दास ने कहा कि मौजूदा अमेरिकी बैंकिंग संकट साफ तौर पर वित्तीय प्रणाली के लिए निजी क्रिप्टोकरेंसी के जोखिमों को दर्शाता है। वह निजी डिजिटल मुद्राओं के खुले आलोचक रहे हैं।



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