राहुल गांधी दो दशकों से भी ज्यादा समय से भारतीय राजनीति में सक्रिय हैं। इस दौरान उनके सार्वजनिक बयानों सहित निजी जीवन पर कई बार प्रश्न खड़े हुए हैं।
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lekhaka-Rajkumar Pal


पिछले
दिनों
कांग्रेस
नेता
और
लोकसभा
सांसद
राहुल
गांधी
ने
‘भारत
में
लोकतंत्र’
को
लेकर
लंदन
में
एक
विवादित
बयान
दिया
था।
अब
उस
कथित
बयान
पर
संसद
में
हंगामा
मचा
हुआ
है।
इसलिए
संसद
की
कार्यवाही
भी
लगभग
रुक
सी
गयी
है।
राहुल
गांधी
का
कहना
है
कि
अगर
मुझे
संसद
में
बोलने
नहीं
दिया
जाएगा
तो
मैं
बाहर
बोलूंगा।
दरअसल
16
मार्च
को
संसद
पहुंचे
राहुल
गांधी
ने
लोकसभा
अध्यक्ष
ओम
बिड़ला
से
मुलाकात
कर
सदन
में
अपनी
बात
रखने
का
आग्रह
किया।
हालांकि,
मोदी
सरकार
के
मंत्रियों
का
कहना
है
कि
राहुल
संसद
में
बोलने
से
पहले
माफी
मांगे।
वैसे
राहुल
और
उनके
बयानों
से
पहले
भी
कई
बार
हंगामा
मच
चुका
है।
जैसे
एकबार
उन्होंने
अपनी
ही
पार्टी
द्वारा
प्रस्तावित
एक
अध्यादेश
को
फाड़
दिया
था।
यह
बात
28
सितंबर
2013
की
है
तब
केंद्र
में
मनमोहन
सिंह
के
नेतृत्व
वाली
सरकार
थी।
तब
भी
राहुल
गांधी
को
भारी
आलोचना
का
सामना
करना
पड़ा
था।
इसी
प्रकार
लद्दाख
में
भारत-चीन
सैनिकों
की
भिडंत
पर
राहुल
गांधी
ने
कहा
कि
सैनिक
बिना
हथियार
के
क्यों
गये?
जबकि
हकीकत
यह
है
कि
एक
संधि
के
अनुसार
वहां
हथियार
नहीं
लेकर
जा
सकते।
बीते
दिनों
ही
प्रेस
कॉफ्रेंस
के
दौरान
राहुल
गांधी
ने
कहा
कि
दुर्भाग्य
से
मैं
सांसद
हूं।
हालांकि,
बगल
में
बैठे
वरिष्ठ
कांग्रेस
नेता
जयराम
रमेश
के
कहने
पर
उन्होंने
अपने
इस
बयान
को
तुरंत
दुरुस्त
किया।
राहुल
गांधी
के
इन्हीं
बयानों
और
राजनैतिक
उठापठक
के
बीच
आइये
जानते
हैं
कि
उन्होंने
कैसे
भारतीय
राजनीति
में
शुरुआत
की।
साथ
ही
उनसे
जुड़े
कुछ
रोचक
किस्से
भी
आपको
बताते
हैं।
राजनीति
से
पहले
व्यवसाय
राजनीति
में
आने
से
पहले
राहुल
गांधी,
लंदन
बेस्ड
एक
कंपनी
से
जुड़े
थे।
राहुल
इन्वेस्टर
होने
के
साथ-साथ
ही
एक
स्टार्टअप
बीपीओ
कंपनी
से
भी
जुड़े
रहे
हैं।
इस
कंपनी
का
नाम
बैकऑप्स
सर्विसेज
प्राइवेट
लिमिटेड
है।
दिल्ली
की
यह
कंपनी
25
लाख
रुपये
में
साल
2002
में
शुरू
की
गई
थी।
इस
कंपनी
में
2004
तक
राहुल
की
हिस्सेदारी
83
प्रतिशत
थी।
बाद
में
उन्होंने
अपनी
हिस्सेदारी
प्रियंका
गांधी
के
नाम
कर
दी,
जो
साल
2010
में
91.67%
शेयरों
की
मालकिन
बन
गयी।
राजनैतिक
सफर
की
शुरुआत
2003
में
अखबारों
ने
छापना
शुरू
कर
दिया
था
कि
राहुल
गांधी
सक्रिय
तौर
पर
राजनीति
में
आ
सकते
हैं।
उस
दौरान
वे
कांग्रेस
की
बैठकों
और
सार्वजनिक
समारोहों
में
ज्यादा
नजर
आने
लगे
थे।
जब
साल
2004
में
लोकसभा
चुनावों
का
ऐलान
हुआ
तो
राहुल
गांधी
के
लिए
सोनिया
गांधी
ने
अमेठी
सीट
छोड़
दी।
जबकि
सोनिया
गांधी
के
लिए
कैप्टन
शर्मा
ने
रायबरेली
सीट
का
त्याग
कर
दिया।
अमेठी
से
जब
राहुल
गांधी
पहला
चुनाव
लड़
रहे
थे,
उस
वक्त
कैप्टन
सतीश
शर्मा
के
साथ
उनकी
मुंशीगंज
में
पहली
सभा
थी।
राहुल
गांधी
माइक
पर
बोल
रहे
थे
और
सतीश
शर्मा
मंच
के
पीछे
से
उन्हें
लगातार
गाइड
कर
रहे
थे।
इस
तरह
से
राहुल
गांधी
को
चुनावी
राजनीति
का
ककहरा
कैप्टन
शर्मा
ने
ही
सिखाया
था।
एक
गर्लफ्रेंड
की
‘कहानी’
आरती
रामचंद्रन
अपनी
किताब
‘डिकोडिंग
राहुल
गांधी’
में
लिखती
है
कि
राहुल
गांधी
की
एक
गर्लफ्रेंड
थी।
जिसका
खुलासा
खुद
राहुल
गांधी
ने
अपने
एक
इंटरव्यू
में
किया
था,
जब
कैम्ब्रिज
विश्वविद्यालय
के
ट्रिनिटी
कॉलेज
से
एम.फिल
कॉलेज
में
डिग्री
लेने
गये
थे
तो
वहीं
उनकी
मुलाकात
उनकी
गर्लफ्रेंड
वेरोनिक
से
हुई
थी।
साल
2004
के
अमेठी
चुनाव
अभियान
के
दौरान
ही
राहुल
गांधी
ने
इंडियन
एक्सप्रेस
को
बताया
था
कि
मेरी
प्रेमिका
का
नाम
वेरोनिक
था।
वह
एक
स्पेनिश
लड़की
है।
बतौर
राहुल
गांधी
उन
दोनों
की
शादी
जैसी
कोई
बात
नहीं
बन
पाई
थी।
बता
दें
कि
एजबस्टन,
बर्मिंघम
में
भारत-इंग्लैंड
विश्वकप
क्रिकेट
मैच
देखते
हुए
राहुल
गांधी
और
उनकी
कथित
गर्लफ्रेंड
वेरोनिक
को
एक
साथ
देखा
गया
था।
हालांकि
यह
पहली
बार
था
जब
राहुल
गांधी
ने
अपनी
लव-लाइफ
के
बारे
में
खुलकर
बोला
था।
इसके
बाद
राहुल
गांधी
ने
कभी
भी
अपनी
पर्सनल
लाइफ
का
जिक्र
नहीं
किया।
विरासत
को
खींचने
की
कोशिश
24
सितंबर
2007
में
पार्टी
में
फेर-बदल
कर
राहुल
गांधी
को
अखिल
भारतीय
कांग्रेस
समिति
का
महासचिव
नियुक्त
किया
गया।
साथ
ही
युवा
कांग्रेस
और
भारतीय
राष्ट्रीय
छात्र
संघ
का
कार्यभार
भी
दिया
गया।
इसी
बीच
2009
के
लोकसभा
चुनावों
में
निकटतम
प्रतिद्वंद्वी
को
333,000
वोटों
से
हराकर
अमेठी
की
सीट
बचाए
रखी।
उत्तर
प्रदेश
की
80
सीटों
में
कांग्रेस
ने
21
सीटें
जीती।
जबकि
पिछले
चुनावों
में
10
सीटें
ही
थीं।
इस
जीत
का
सेहरा
राहुल
गांधी
के
माथे
बांधा
गया
क्योंकि
राहुल
ने
125
जनसभाएं
की।
इसके
बाद
से
वह
पार्टी
में
‘आर
जी’
के
नाम
से
फेमस
हो
गये।
साल
2014
के
चुनावों
में
अमेठी
में
उलटफेर
होते
होते
बचा।
भाजपा
उम्मीदवार
स्मृति
ईरानी
ने
राहुल
गांधी
को
कड़ी
टक्कर
दी।
राहुल
जीत
गए
लेकिन
उनकी
जीत
का
मार्जिन
महज
12.33
प्रतिशत
रहा।
वहीं
2019
चुनावों
से
पहले
राहुल
गांधी
को
कांग्रेस
की
कमान
सौंप
दी
गयी।
इन
चुनावों
में
अमेठी
सीट
से
भारतीय
जनता
पार्टी
की
उम्मीदवार
स्मृति
ईरानी
ने
कांग्रेस
अध्यक्ष
को
55
हजार
120
मतों
के
अंतर
से
पराजित
किया।
इस
बार
राहुल
गांधी
अमेठी
के
साथ
साथ
केरल
की
मुस्लिम
बहुल
सीट
वायनाड
से
भी
चुनाव
लड़े
थे,
तो
वहां
उन्होंने
उस
सीट
पर
जीत
दर्ज
की।
राहुल
गांधी
को
नहीं
मिला
भाई
वरुण
का
साथ,
लंदन
विवाद
पर
कसा
‘तंज’
पार्ट
टाइम
राजनीति
करते
हैं
राहुल
गांधी
राहुल
गांधी
पर
आरोप
लगते
रहे
हैं
कि
वो
पार्ट
टाइम
पॉलिटिक्स
करते
हैं।
इसके
पीछे
जो
तर्क
दिये
जाते
हैं
उसमें
राहुल
गांधी
का
बार
बार
छुट्टियों
पर
चले
जाने
का
जिक्र
किया
जाता
है।
जब
2015
में
राहुल
गांधी
55
दिन
की
छुट्टी
पर
चले
गये
थे,
तब
अंग्रेजी
वेबसाइट
‘आईबीएन
लाइव’
ने
खबर
चलाई
कि
कांग्रेस
के
वरिष्ठ
नेता
दिग्विजय
सिंह
ने
कहा
था
कि
राहुल
को
राजनीति
में
और
ज्यादा
दिखना
चाहिए
और
इसे
पार्ट
टाइम
जॉब
की
तरह
नहीं
लिया
जा
सकता।
राहुल
गांधी
पर
यह
आरोप
हमेशा
से
लगते
रहे
हैं
कि
वह
अहम
मौकों
पर
पार्टी
को
मंझधार
में
छोड़
विदेश
चले
जाते
हैं।
साल
2019
में
केंद्रीय
गृहमंत्री
अमित
शाह
ने
लोकसभा
में
एक
जानकारी
देते
हुए
कहा
था
कि
राहुल
गांधी
हर
साल
लगभग
65
विदेश
यात्राएं
करते
हैं।
राहुल
गांधी
साल
2015
से
2019
के
बीच
247
बार
विदेश
यात्राओं
पर
गये
थे।
यह
उन
यात्राओं
की
कुल
संख्या
है
जोकि
एसपीजी
को
बिना
सूचित
किए
की
गई
थी।
इसका
मतलब
है
कि
राहुल
गांधी
की
कुल
विदेश
यात्राओं
की
संख्या
इससे
कहीं
ज्यादा
हो
सकती
हैं।
“मेरा
तो
अपना
घर
नहीं
है”
बीते
महीने
फरवरी
में
रायपुर
में
कांग्रेस
का
85वां
अधिवेशन
हुआ।
इस
दौरान
राहुल
गांधी
ने
कहा
कि
“52
साल
हो
गए
मेरे
पास
घर
नहीं
है
और
परिवार
के
पास
जो
घर
है
वह
इलाहाबाद
में
है।
वो
भी
घर
नहीं
है।
120
तुगलक
लेन
मेरा
घर
नहीं
है।”
जबकि
साल
2019
के
लोकसभा
चुनाव
में
पर्चा
भरने
के
दौरान
राहुल
गांधी
ने
अपनी
सम्पत्ति
का
ब्योरा
दिया
था।
जिसमें
चल-अचल
करीब
16
करोड़
से
ज्यादा
की
संपत्ति
की
बात
की
है।
वहीं
2014
में
उनके
पास
9
करोड़
चालीस
लाख
की
संपत्ति
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