भारत के कई राज्यों की अधिकतर जेलें ओवरक्राउड हो चुकी हैं। हरदिन कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है जबकि जेलों की क्षमता में खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।
Features
lekhaka-Manshul Rathodiya


महाराष्ट्र
के
जेल
विभाग
द्वारा
हाल
ही
में
जारी
की
गई
एक
रिपोर्ट
बताती
है
कि
महाराष्ट्र
की
जेलों
में
24,722
कैदियों
को
रखने
की
क्षमता
है
लेकिन
राज्य
की
जेलों
में
41,075
अपराधी
कैद
हैं।
मुंबई
सेंट्रल
जेल
में
क्षमता
से
446
प्रतिशत,
ठाणे
सेंट्रल
जेल
में
क्षमता
से
389
प्रतिशत
और
बुलढाणा
जिला
जेल
में
क्षमता
से
387
प्रतिशत
अधिक
अपराधी
बंद
हैं।
भारतीय
जेलों
में
भीड़भाड़
साल
2022
में
राष्ट्रीय
अपराध
रिकॉर्ड
ब्यूरो
(NCRB)
की
प्रिजन
स्टेटिस्टिक्स
इंडिया
(Prison
Statistics
India)
रिपोर्ट
के
अनुसार
साल
2021
में
भारतीय
जेलों
में
5,54,034
अपराधी
कैद
थे,
जबकि
कुल
कैदियों
को
रखने
की
क्षमता
4,25,609
थी।
रिपोर्ट
यह
भी
बताती
है
कि
भारतीय
जेलें
130.2
प्रतिशत
भरी
हुई
थीं।
जेलों
में
यह
अतिरिक्त
भार
अभी
तक
सर्वाधिक
है।
पिछले
साल
यह
प्रतिशत
118
था।
साल
2021
के
आकड़ों
के
अनुसार,
उत्तराखंड
की
जेलें
सर्वाधिक
185
प्रतिशत
ऑक्यूपाईड
हैं।
इसके
बाद
उत्तर
प्रदेश
में
184.8
प्रतिशत,
दिल्ली
में
182.5
प्रतिशत,
सिक्किम
166.9
प्रतिशत
और
मध्य
प्रदेश
164.1
प्रतिशत
भरी
हुई
हैं।
इसका
मतलब
है
कि
100
कैदियों
के
लिए
बनी
एक
जेल
में
180
अपराधियों
को
कैद
किया
गया
है।
वर्तमान
में,
भारत
के
36
राज्यों
और
केंद्र
शासित
प्रदेशों
में
से
18
राज्यों
और
केंद्र
शासित
प्रदेशों
की
जेलें
ओवरक्राउडेड
है।
जेलों
की
संख्या
में
कमी
राष्ट्रीय
अपराध
रिकॉर्ड
ब्यूरो
के
अनुसार
2019
में
देश
में
कुल
1351
जेलें
थी
जोकि
साल
2020
में
घटकर
1306
रह
गयी।
यानि
कुल
3.3
प्रतिशत
जेलें
देश
में
कम
हो
गयी।
फिर
2021
में
जेलों
की
संख्या
1319
हो
गयी।
इस
प्रकार
जेलों
की
संख्या
में
1.1
प्रतिशत
की
वृद्धि
की
गयी।
हालांकि
साल
2019
के
मुकाबलें
फिलहाल
जेलों
की
संख्या
कम
ही
हैं।
इसमें
सर्वाधिक
जेलें
राजस्थान
में
145,
फिर
तमिलनाडू
में
142,
मध्य
प्रदेश
में
131,
आंध्र
प्रदेश
में
106,
ओडिशा
में
92
और
उत्तर
प्रदेश
में
75
हैं।
गौरतलब
है
कि
इन
छह
राज्यों
में
देश
की
52.3
प्रतिशत
जेलें
बनी
हुई
हैं।
न्यायपालिका
और
ओवरक्राउड
की
समस्या
ऐसे
कई
कारण
हैं
जिनकी
वजह
से
भारतीय
जेलों
को
अत्यधिक
भीड़भाड़
का
सामना
करना
पड़
रहा
है।
मुख्य
कारणों
में
से
एक
है
न्यायपालिका
की
धीमी
रफ्तार।
एनसीआरबी
द्वारा
साल
2022
में
प्रकाशित
आंकड़ों
के
अनुसार
भारतीय
जेलों
में
4,27,165
ऐसे
कैदी
है
जो
अंडरट्रायल
हैं
यानि
उन
पर
मुकादम
चल
रहा
है।
जबकि
मात्र
1,22,852
कैदियों
को
ही
उनके
जुर्म
में
सजा
सुनाई
गयी
है।
यानि
से
लगभग
77
प्रतिशत
कैदी
अंडरट्रायल
है
जबकि
22
प्रतिशत
दोषी
करार
दिए
जा
चुके
हैं।
हालांकि
साल
2020
के
मुकाबले
साल
2021
में
न्यायालयों
द्वारा
कैदियों
को
सजा
सुनाने
की
दर
में
9.1
प्रतिशत
की
बढोत्तरी
दर्ज
की
गयी
है।
फिर
भी
यह
अंडरट्राइल
कैदियों
की
संख्या
को
देखते
हुए
बेहद
धीमी
है।
इसके
अलावा,
कई
ऐसे
कैदी
भी
जेलों
में
बंद
है
जिन्होंने
कोई
अपराध
ही
नहीं
किया
था।
हाल
ही
में
इसका
एक
उदाहरण
सुर्खियों
में
था।
दरअसल,
नवंबर
2022
में
एक
व्यक्ति
को
21
साल
बाद
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
ने
बरी
कर
दिया
क्योंकि
उसने
कोई
जुर्म
किया
ही
नहीं
था।
मगर
जब
उसे
बाहर
निकाला
गया
तबतक
उसने
अपनी
जिंदगी
के
21
साल
जेल
में
बिता
दिए
थे।
जेलों
का
कुल
बजट
वित्तीय
वर्ष
2021-22
में
सभी
भारतीय
जेलों
को
कुल
7619.2
करोड़
रुपये
का
बजट
आवंटित
किया
गया
था।
इस
दौरान
कुल
खर्चा
6727.3
करोड़
हुआ।
इसमें
सर्वाधिक
54.3
प्रतिशत
खर्चा
कैदियों
के
खाने
पर
होता
है।
इसके
बाद
5
प्रतिशत
स्वास्थ्य
पर,
1.3
प्रतिशत
कपड़ों
पर,
और
1
प्रतिशत
वेलफेयर
गतिविधियों
में
होता
है।
तिहाड़
सहित
देश
की
प्रमुख
जेलों
की
स्थिति
साल
2022
में
एक
सूचना
के
अधिकार
(RTI)
का
जवाब
देते
हुए
दिल्ली
के
जेल
डायरेक्टर
जनरल
के
कार्यालय
ने
बताया
कि
तिहाड़
जेल
परिसर
में
9
केंद्रीय
जेल
शामिल
हैं
और
सभी
में
मिलाकर
5,200
कैदियों
को
रखने
की
क्षमता
हैं,
लेकिन
13,183
कैदी
वर्तमान
में
इसकी
विभिन्न
केंद्रीय
जेलों
में
बंद
हैं।
मंडोली
जेल
में
6
केंद्रीय
जेल
हैं,
जिनकी
क्षमता
1,050
कैदियों
को
रखने
की
हैं,
लेकिन
वर्तमान
में
2,037
कैदी
वहां
पर
कैद
हैं।
रोहिणी
जेल
की
क्षमता
3,776
कैदियों
को
रखने
की
हैं,
लेकिन
वहां
पर
4,355
कैदी
बंद
थे।
जेल
डायरेक्टर
जनरल
के
कार्यालय
के
अनुसार
इन
सभी
16
केंद्रीय
जेलों
को
मिलाकर
10,026
कैदियों
को
रखने
की
क्षमता
हैं
लेकिन
वहां
पर
लगभग
19,500
कैदियों
को
रखा
गया
है।
इसी
प्रकार,
पुणे
की
येरवडा
जेल
में
कुल
2450
कैदियों
को
रखने
की
क्षमता
है
लेकिन
फिलहाल
वहां
पर
कुल
6854
कैदियों
को
रखा
गया
हैं।
MLA
Irfan
Solanki
अचनाक
जेल
में
लगे
चीखने-चिल्लाने,
जेलर
भी
हो
गए
परेशान,जानिए
क्या
है
मामला
विदेशों
में
ओवरक्राउडेड
जेल
जेलों
में
क्षमता
से
अधिक
कैदियों
की
समस्या
सिर्फ
भारत
ही
नहीं
बल्कि
दुनियाभर
के
कई
देशों
के
सामने
है।
भीड़भाड़
की
समस्या
का
समाधान
करने
के
लिए
कई
देशों
ने
सुधारात्मक
नीतियों
को
लागू
किया
है
जैसे
कि
जेल
की
क्षमता
का
विस्तार
करना,
सजा
के
वैकल्पिक
रूपों
को
लागू
करना,
पूर्व-परीक्षण
निरोध
प्रणाली
में
सुधार
करना
और
अहिंसक
अपराधों
के
लिए
सजा
की
लंबाई
कम
करना
शामिल
हैं।
कुछ
देशों
ने
जेलों
में
बंद
लोगों
की
संख्या
को
कम
करने
के
लिए
इलेक्ट्रॉनिक
निगरानी
जैसी
तकनीकों
का
भी
उपयोग
प्रस्तावित
किया
है।
दुनिया
के
जिन
देशों
में
जेलें
सबसे
ज्यादा
ओवरक्राउडेड
है
उनमें
फिलीपींस,
हैती,
अमेरिका,
ब्राजील,
और
मैक्सिको
शामिल
हैं।
English summary
Are Indian jails overcrowded, know how many prisoners are there in jails
Story first published: Monday, February 13, 2023, 20:13 [IST]